(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, आपदा व आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
एक अध्ययन में पाया गया है कि केरल के पूंथुरा तटीय क्षेत्र में जियोट्यूब प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए अपतटीय ब्रेकवाटर प्रणाली में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं।
जियोट्यूबिंग तकनीक के बारे में
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जियोट्यूबिंग (Geotubing) एक भू-तकनीकी प्रौद्योगिकी है जिसमें बड़े पैमाने पर बने भू-टेक्सटाइल (Geotextile) के ट्यूब या थैलों का इस्तेमाल समुद्र तट, नदी तट या अन्य जल निकायों के किनारे संरक्षण के लिए किया जाता है।
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ये ट्यूब विशेष प्रकार के सिंथेटिक कपड़े से बने होते हैं जो पानी के प्रति प्रतिरोधी एवं मजबूत होते हैं। इन्हें रेत, मृदा या अन्य इंजीनियर्ड पदार्थों से भरा जाता है और ये तरंगों, लहरों एवं प्रवाह की ऊर्जा को अवशोषित या कम करके तटों को कटाव से बचाते हैं।
जियोट्यूब की संरचना
- भू-टेक्सटाइल सामग्री : जियोट्यूब उच्च गुणवत्ता वाले सिंथेटिक कपड़े से बनाए जाते हैं जो जलरोधी व टिकाऊ होते हैं। यह सामग्री पानी को पार करने देती है किंतु रेत या मिट्टी को रोके रखती है।
- आकार एवं आकार-प्रकार : ये लंबे सिलेंडर जैसे ट्यूब होते हैं जिनका व्यास 1.5 से 5 मीटर या उससे अधिक हो सकता है।
- भराव सामग्री : मुख्यतः रेत, मलबा या ड्रेजिंग से निकाली गई गाद आदि से भरे जाते हैं।
जियोट्यूबिंग का कार्य सिद्धांत
- जियोट्यूब को समुद्र के नीचे या किनारे तटरेखा के पास इस तरह रखा जाता है कि वे आने वाली लहरों की ऊर्जा को कम कर दें।
- ट्यूब लहरों की ऊर्जा को अवशोषित करते हैं जिससे लहरों की तीव्रता कम हो जाती है एवं कटाव नहीं होता है।
- इस प्रक्रिया से बालू का संचय होता है और तटरेखा चौड़ी तथा मजबूत बनती है।
जियोट्यूबिंग के प्रमुख उपयोग
- तटीय सुरक्षा : समुद्री कटाव को रोकना एवं तट का संरक्षण करना
- बाढ़ नियंत्रण : नदियों या समुद्र के किनारे बाढ़ रोकने के लिए
- ड्रेजिंग कार्य : नदियों या समुद्र से निकाले गए गाद को सुरक्षित करने के लिए
- मिट्टी स्थिरीकरण : ढलानों या तटबंधों पर मिट्टी को स्थिर बनाए रखने के लिए
लाभ
- अर्थव्यवस्था : पारंपरिक कंक्रीट संरचनाओं की तुलना में कम लागत
- पर्यावरण-अनुकूल : प्राकृतिक संसाधनों को कम नुकसान
- स्थायित्व : लंबे समय तक टिकाऊ व मजबूत
- लचीलापन : विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप डिजाइन संभव
- तेजी से स्थापना : कम समय में कार्य पूरा होना
निष्कर्ष
जियोट्यूबिंग तकनीक भारत के तटीय क्षेत्रों में एक प्रभावी, किफायती एवं टिकाऊ समाधान है। यह समुद्री लहरों एवं कटाव से तटों की सुरक्षा करते हुए पर्यावरण अनुकूल भी है। भविष्य में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में यह तकनीक अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है।
पूंथुरा परियोजना की प्रमुख उपलब्धियाँ
- तरंगों की ऊर्जा में कमी और लहरों का नियंत्रण : अपतटीय ब्रेकवाटर से बड़ी लहरों की शक्ति घट गई, जिससे तटीय कटाव में कमी आई।
- दोगुनी लंबाई तक वेव ओवरटॉपिंग की रोकथाम : समुद्री दीवार के पार लहरों का बहाव प्रभावी रूप से रोका गया।
- स्थायी एवं चौड़ी तटरेखा (Beach Formation) : इस संरचना से तटरेखा के पीछे रेत के संचय में वृद्धि से स्थायी समुद्र तट का निर्माण हुआ।
- मौसम प्रतिकूलता में भी प्रभावशीलता : खराब मौसम में भी समुद्र तट की संरचना स्थिर रही, जो इसकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता को दर्शाता है।
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