चर्चा में क्यों ?

- यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) की जून 2025 रिपोर्ट के अनुसार, सोने ने अब वैश्विक आरक्षित संपत्तियों में दूसरा स्थान हासिल कर लिया है, यूरो को पीछे छोड़ते हुए।
- इस बदलाव के पीछे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक महंगाई और अमेरिकी डॉलर की विश्वसनीयता को लेकर संदेह को प्रमुख कारण माना गया है।
वैश्विक आरक्षित संपत्ति संरचना:
संपत्ति
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2024 में हिस्सेदारी
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अमेरिकी डॉलर
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47% (पहले स्थान पर)
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सोना
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19% (दूसरे स्थान पर)
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यूरो
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16% (तीसरे स्थान पर)
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- 2023 में सोने की हिस्सेदारी 16.5% थी, जो 2024 में बढ़कर 19% हो गई।
- यूरो की हिस्सेदारी घटकर 16% रह गई है।
केंद्रीय बैंकों की भूमिका
- दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी अब वैश्विक स्वर्ण मांग का 20% से अधिक हो चुकी है – यह आंकड़ा एक दशक पहले के मुकाबले दोगुना है।
इसका उद्देश्य है:
- मुद्रा जोखिम से बचाव
- अमेरिकी प्रतिबंधों से सुरक्षा
- डॉलर और यूरो पर निर्भरता में कमी
वैश्विक परिदृश्य और उभरती अर्थव्यवस्थाएं
- रूस, चीन, और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं, जो डॉलर आधारित प्रतिबंधों से परेशान हैं, वे अब सोने को आरक्षित संपत्ति के रूप में प्राथमिकता दे रही हैं।
- इन देशों का उद्देश्य है एक बहुध्रुवीय मुद्रा व्यवस्था की ओर बढ़ना।
क्या अब रुकेगी यह खरीदारी?
हालांकि अभी तक स्वर्ण भंडार में तेजी देखी गई है, लेकिन रिपोर्ट में संकेत है कि अब यह रफ्तार धीमी पड़ सकती है:
- कीमतों में अस्थिरता
- अमेरिकी टैरिफ नीति में बदलाव
- दुनिया में ब्याज दरों का उतार-चढ़ाव
इतिहास और विश्वसनीयता का जुड़ाव
- सोने को सदियों से एक Safe Haven Asset माना जाता है, जो आर्थिक अनिश्चितता के समय स्थिरता और मूल्य संरक्षण प्रदान करता है।
- 1960 के दशक के बाद, आज वैश्विक स्वर्ण भंडार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
प्रश्न :-वर्तमान में कौन-सी संपत्ति वैश्विक भंडार में शीर्ष पर बनी हुई है?
(a) सोना
(b) यूरो
(c) जापानी येन
(d) अमेरिकी डॉलर
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