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ग्रेल मिशन

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ 

नासा के ग्रेल मिशन (GRAIL MISSION) ने चंद्रमा की सतह और उसकी आंतरिक संरचना के बीच असमानताओं से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्यों को उजागर किया है जो इसके दोनों पहलुओं के बीच के भिन्न व्यवहार को स्पष्ट करते हैं। 

ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) मिशन के बारे में 

  • परिचय : यह एक दोहरा अंतरिक्ष यान मिशन था जिसमें चंद्रमा के चारों ओर कक्षा में दो समान अंतरिक्ष यान स्थापित करना शामिल था ताकि इसकी आंतरिक संरचना का पता लगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र मानचित्रण का उपयोग किया जा सके। 
    • यह मिशन नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम का 11वां मिशन था।
  • प्रक्षेपण यान : डेल्टा 7920H
  • लॉन्च तिथि : 10 सितंबर, 2011
  • लॉन्च स्थल : केप केनवरल एयर फोर्स स्टेशन, फ्लोरिडा (अमेरिका)
  • उपग्रहों की संख्या : GRAIL-A और GRAIL-B नामक दो उपग्रह (बाद में इन्हें Ebb एवं Flow नाम दिया गया)
  • वैज्ञानिक उपकरण
    • लूनर ग्रेविटी रेंजिंग सिस्टम (Lunar Gravity Ranging System: LGRS) 
    • मूनकेम लूनर-इमेजिंग सिस्टम (Moon KAM Lunar-Imaging System)
    • रेडियो साइंस बीकन (Radio Science Beacon: RSB)
  • मुख्य उद्देश्य
    • चंद्रमा के गुरुत्वीय क्षेत्र (Gravity Field) का अत्यंत उच्च सटीकता से मानचित्रण करना
    • चंद्रमा की आंतरिक संरचना (Interior Structure) और उसकी संरचनात्मक विशेषताओं का पता लगाना
    • चंद्रमा की उत्पत्ति एवं उसका भूगर्भीय विकास (Geological Evolution) समझना
    • चंद्रमा के क्रस्ट (Crust), मैंटल (Mantle) एवं कोर (Core) की जानकारी प्राप्त करना

मिशन के हालिया निष्कर्ष 

  • हालिया अध्ययन में यह पाया गया कि चंद्रमा का निकटस्थ भाग (जो पृथ्वी की ओर है) और दूरस्थ भाग (जो पृथ्वी से दूर रहता है) के बीच आंतरिक संरचना में असममिति है। निकटस्थ भाग में अधिक गर्मी एवं भूगर्भीय गतिविधि पाई गई है, जबकि दूरस्थ भाग में यह कम है। 
    • यह अंतर प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण है जिसने नजदीकी भाग में थोरियम एवं टाइटेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों का संचय किया, जिससे तापमान में लगभग 100-200°C का अंतर उत्पन्न हुआ।
  • दूरवर्ती परत की तुलना में निकटवर्ती परत काफी पतली है जिससे अतीत में चंद्रमा के आंतरिक भाग से मैग्मा आसानी से सतह तक पहुंच जाता था, जिससे व्यापक लावा प्रवाह होता था।
    • क्रस्ट की मोटाई में यह अंतर संभवतः निकटवर्ती भाग में बड़े एवं समतल मैदान होने को दर्शाता है, जबकि दूरवर्ती भाग ऊबड़-खाबड़ व भारी गड्ढों से युक्त है। 
    • पतली निकटवर्ती परत ने ऊष्मा उत्पादक तत्वों के संचय में भी योगदान दिया, जिससे दोनों गोलार्धों के बीच तापीय असंतुलन अधिक बढ़ गया।
  • मिशनों के डाटा के आधार पर यह पता चला है कि चंद्रमा की ठोस मेंटल एवं धात्विक कोर के बीच एक आंशिक रूप से पिघली हुई परत मौजूद है। 
    • यह परत चंद्रमा के हल्के आकार परिवर्तनों का कारण बनती है जो पृथ्वी एवं सूर्य के ज्वारीय बलों के प्रभाव से होते हैं। यह खोज चंद्रमा के तापीय विकास एवं आंतरिक गतिशीलता को समझने में सहायक है। 

महत्व

  • चंद्र अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण : GRAIL मिशन से मिली जानकारी से बेहतर नेविगेशन सिस्टम विकसित होंगे, जो चंद्रमा पर यात्रियों व रोबोटों के लिए मार्गदर्शक होंगे।
  • अन्य खगोलीय पिंडों के लिए महत्वपूर्ण : चंद्रमा पर किए गए गुरुत्वाकर्षण अध्ययन से जो मॉडल विकसित हुए हैं, वे मंगल, शुक्र एवं सौरमंडल के अन्य ग्रहों के उपग्रहों के अध्ययन में भी काम आ सकते हैं।
  • पृथ्वी पर प्रभाव की समझ : GRAIL मिशन से मिले डाटा की मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी पर ज्वार-भाटा के पैटर्न को बेहतर समझ सकते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी, मत्स्यन एवं तटीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • इसके अलावा, पृथ्वी के अक्षीय झुकाव (Axial Tilt) के बदलावों को समझने में मदद मिलती है, जो जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं
    • चंद्रमा की आंतरिक गतिशीलता को समझने से पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली की प्रारंभिक उत्पत्ति और विकास को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

NASA के GRAIL मिशन द्वारा चंद्रमा की आंतरिक संरचना में मिली असममितताओं का वर्णन करें। यह खोज चंद्रमा के भूगर्भीय विकास और उसकी उत्पत्ति को समझने में कैसे सहायक है?

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