हाल ही में तमिलनाडु और असम में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 15वें वित्त आयोग के अनुदान के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 342 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तमिलनाडु को ₹127.586 करोड़ की असंबद्ध अनुदान राशि की पहली किस्त जारी की गई।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए असम को ₹214.542 करोड़ वितरित किए गए हैं।
केंद्र सरकार, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से, ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत राज्यों को अनुदान जारी करने की सिफ़ारिश करती है।
इसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।
आवंटित अनुदानों की अनुशंसा की जाती है और वित्तीय वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाता है।
इस असंबद्ध अनुदान का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं द्वारा संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों के अंतर्गत स्थान-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए किया जाता है, जिसमें वेतन और अन्य स्थापना लागतें शामिल नहीं हैं।
इन अनुदानों का उपयोग स्वच्छता, खुले में शौच से मुक्ति (ODF) स्थिति बनाए रखने, घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन, मानव मल और मल प्रबंधन उपचार जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है।
इनका उपयोग पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण के लिए भी किया जा सकता है।
वित्त आयोग
संवैधानिक तथा अर्ध-न्यायिक निकाय निकाय
राष्ट्रपति द्वारा इसका गठन संविधान के अनुछेद 280 के तहत प्रत्येक 5 वर्ष में किया जाता है
वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशें सलाहकारी प्रवृत्ति की होती हैं, इसे मानना या ना मानना सरकार पर निर्भर करता है।
प्रथम वित्त आयोग वर्ष 1951 में गठित किया गया था
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अनुसार वित्त आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ होती हैं।
यह किसी भी गवाह को बुला सकता है
किसी अदालत या कार्यालय से किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड या दस्तावेज को पेश करने के लिए कह सकता है।
सदस्य
वित्त आयोग में एक अध्यक्ष के साथ चार अन्य सदस्य होते हैं जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
संविधान ने संसद को वित्त आयोग के सदस्यों के चयन की प्रक्रिया और तदनुसार उनकी योग्यता निर्धारित करने का अधिकार दिया है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है, जिसे सार्वजानिक मामलों का पर्याप्त अनुभव हो।
वित्त आयोग के सदस्यों के लिए निर्धारित योग्यता -
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या इस पद के लिए योग्य व्यक्ति।
ऐसा व्यक्ति जिसे भारत के वित्त एवं लेखा मामलों का विशेष ज्ञान हो।
प्रशासन के साथ-साथ वित्तीय और आर्थिक मामलों में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाला व्यक्ति।
ऐसा व्यक्ति जिसे अर्थशास्त्र का विशेष ज्ञान हो।
वित्त आयोग के सदस्यों के कार्यकाल राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है
सामान्यता सदस्यों को 5 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है,
इसके सदस्यों को फिर से नियुक्त किया जा सकता है
वित्त आयोग के कार्य
केंद्र व राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच राजस्व संसाधनों का आवंटन करना
राज्यों के बीच इन संसाधनों के वितरण हेतु सिद्धांतो का निर्धारण करना
केंद्र सरकार द्वारा भारत की संचित निधि से राज्यों को सहायता अनुदान देने वाले सिद्धांतका निर्धारणकरना
राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य की पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए राज्य की समेकित निधि का विस्तार करने के लिए सुझाव देना
कोई भी ऐसा मामला जो राष्ट्रपति द्वारा इसे सौंपा गया हो, उस पर राष्ट्रपति को सलाह देना
16वां वित्त आयोग
16वें वित्त आयोग का गठन वर्ष 2023 में किया गया था
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को इसका अध्यक्ष बनाया गया था।
यह अपनी सिफारिशें 31 अक्टूबर, 2025 तक उपलब्ध करायेगा
इसकी सिफारिशें 1 अप्रैल, 2026 से अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए लागू होंगी
प्रश्न – 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें कब से लागू होंगी ?