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ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर तमिलनाडु सरकार ने रामनाथपुरम ज़िले के धनुषकोडी क्षेत्र को ‘ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य’ घोषित किया। यह कदम केवल जैव विविधता संरक्षण ही नहीं बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

ग्रेटर फ्लेमिंगो अभयारण्य के बारे में 

  • परिचय : यह क्षेत्र पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील मन्नार खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है जिसमें मैंग्रोव, रेत टिब्बे, कीचड़ एवं दलदल जैसे विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। 
  • उद्देश्य : इसका उद्देश्य प्रवासी आर्द्रभूमि पक्षियों के लिए मध्य एशियाई फ्लाईवे पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव स्थल को संरक्षित करना है।
  • विस्तार एवं क्षेत्रफल : यह अभयारण्य 524.7 हेक्टेयर में फैला है और इसमें रामेश्वरम तालुका के राजस्व व वन भूमि दोनों शामिल हैं। 
  • अभयारण्य का दर्जा मिलने से उत्तरदायी पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा मिलने, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और आर्द्रभूमि संरक्षण के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ने की संभावना है।

धनुषकोडी क्षेत्र का महत्त्व 

  • प्रवासी पक्षियों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थल : यह क्षेत्र मध्य एशियाई प्रवासी मार्ग (Central Asian Flyway) पर एक प्रमुख ‘स्टॉपओवर पॉइंट’ है जहाँ हजारों प्रवासी पक्षी विश्राम व भोजन के लिए रुकते हैं।
  • जैव-विविधता : हाल ही में वर्ष 2023-2024 आर्द्रभूमि पक्षी सर्वेक्षण के अनुसार, धनुषकोडी क्षेत्र में 10,700 से अधिक आर्द्रभूमि पक्षी दर्ज किए गए, जिनमें बगुले, सैंडपाइपर एवं ग्रेटर व लेसर फ्लेमिंगो दोनों सहित 128 प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • प्रमुख संरक्षण क्षेत्र : धनुषकोडी लैगून पर पाई जाने वाली एविसेनिया व राइजोफोरा जैसी मैंग्रोव प्रजातियाँ समुद्री कछुओं, मछलियों एवं क्रस्टेशियनों के लिए आवश्यक प्रजनन भूमि और तटीय कटाव के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।

लाभ 

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सुरक्षा : मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक बाढ़ नियंत्रण व कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है।
  • स्थानीय समुदायों के लिए अवसर : पारंपरिक मछुआरे, पर्यावरण गाइड, हस्तशिल्प कारीगरों के लिए रोजगार के नए अवसर
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : प्रवासी पक्षियों के संरक्षण में अन्य देशों के साथ समन्वय की भूमिका

ग्रेटर फ्लेमिंगो के बारे में 

  • परिचय : यह फ्लेमिंगो की सबसे बड़ी जीवित प्रजाति है जिसे वैज्ञानिक रूप से फोनीकोप्टेरस रोजस  (Phoenicopterus roseus) के नाम से जाना जाता है।  
    • यह एक आकर्षक एवं विशाल पक्षी है जो अपनी सुंदरता, गुलाबी रंग व लंबी टांगों के लिए प्रसिद्ध है। 
  • वंश (जीनस) : फोनीकोप्टेरस (Phoenicopterus)
  • कुल (फैमिली) : फोनीकोप्टेरिडे (Phoenicopteridae)

प्रमुख विशेषताएँ

  • आकार : इसकी ऊंचाई लगभग 110-150 सेंटीमीटर (3.6-4.9 फीट) होती है और इसका वजन 2-4 किग्रा. के बीच होता है। नर प्राय: मादा से थोड़े बड़े होते हैं।
  • रंग : इसका पंख गुलाबी-सफेद रंग का होता है जिसमें उड़ान के दौरान काले किनारों वाली चमकदार गुलाबी पंखियां दिखाई देती हैं। 
    • इसका गुलाबी रंग कैरोटीनॉयड युक्त भोजन (जैसे- शैवाल व क्रस्टेशियन्स) से प्राप्त होता है। अगर इनका भोजन बदल जाए, तो इनका रंग हल्का पड़ सकता है।
  • निवास स्थान : ग्रेटर फ्लेमिंगो विभिन्न प्रकार जलाशयों में पाए जाते हैं जिसमें खारे पानी की झीलें, लैगून, मैंग्रोव, दलदल, समुद्री तट आदि शामिल हैं। 
  • जीवनकाल : इनका जीवनकाल 30-40 वर्ष तक हो सकता है और कुछ मामलों में यह 60 वर्ष तक भी जीवित रहते हैं।
  • विस्तार : ये मुख्यत: अफ्रीका, दक्षिणी यूरोप, दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया में पाए जाते हैं। 
    • भारत में इन्हें गुजरात के कच्छ के रण, राजस्थान की सांभर झील, तमिलनाडु की पुलिकट झील और ओडिशा की चिल्का झील जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकता है। ये प्रवासी पक्षी हैं और मौसम के अनुसार अपने निवास स्थान बदलते हैं।
  • भोजन : इनका भोजन मुख्यत: जल में पाए जाने वाले छोटे जीवों व पौधों पर आधारित होता है जिनमें शैवाल, क्रस्टेशियन्स, कीड़े एवं उनके लार्वा आदि शामिल हैं। 
  • संरक्षण स्थिति : अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा संकटमुक्त (Least Concern) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
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