New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

गुस्सड़ी नृत्य

(प्रारंभिक परीक्षा : कला एवं संस्कृति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू, 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ)

संदर्भ

78वें हैदराबाद मुक्ति दिवस के अवसर पर गोंड जनजाति ने गुस्सड़ी नामक पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया। हैदराबाद मुक्ति दिवस 17 सितंबर को आयोजित किया जाता है। 

गुस्सड़ी नृत्य के बारे में 

  • यह विशेष रूप से तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के गोंड या राजगोंड जनजाति द्वारा दिवाली के त्योहार के दौरान किया जाने वाला एक पारंपरिक नृत्य है। 
  • यह पुरुषों द्वारा समूहों में किया जाता है और इन समूहों को ‘दंडारी’ कहा जाता है।  इनके भीतर छोटे समूहों को ‘गुस्सड़ी’ कहा जाता है।
    • सुआ नृत्य गोंड महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक प्रमुख नृत्य है। 
  • नृत्य के दौरान कलाकार मोर पंख, हिरण के सींग, कृत्रिम मूंछें, दाढ़ी एवं बकरी की खाल से जड़ी पगड़ी वाली पोषक पहनते हैं।
  • वे केसरिया एवं हल्दी रंग के वस्त्र पहनते हैं और अपने पैरों व कमर पर पट्टियाँ बाँधते हैं। 
  • वे अपने हाथों में एक छड़ी रखते हैं जो आकर्षक रूप से मालाओं से सजी होती हैं। 
  • नृत्य के साथ दप्पू, तुडुमु, पिपरी एवं कोलिकम्मु जैसे वाद्ययंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
  • नृत्य का एक अनूठा पहलू यह है कि प्रदर्शन के बाद नर्तक अपने पैरों को धोकर सम्मान प्रकट करते हैं।
  •  इस नृत्य में केवल पुरुष ही भाग लेते हैं। गुस्साड़ी नर्तक अपने पूरे शरीर को राख एवं हल्के चूने से ढक लेते हैं और केवल एक छोटा सा जाल पहनते हैं। 
  • गोंड जनजाति में मान्यता है कि जो लोग गुस्साड़ी नृत्य करते हैं, उन पर देवताओं का वास हो जाता है।

इसे भी जानिए

  • राज गोंड जनजाति से आने वाले कनक राजू एक प्रसिद्ध गुस्सड़ी नर्तक थे। गुस्सड़ी नृत्य में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए वर्ष 2021 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 25 अक्तूबर, 2024 को उनका निधन हो गया। 

गोंड जनजाति के बारे में 

  • गोंड एक द्रविड़ जातीय-भाषाई समूह हैं। वे भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक हैं।
  • ये मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार व ओडिशा राज्यों में फैले हुए हैं। 
  • भारत की आरक्षण व्यवस्था के तहत उन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 
  • भाषाएँ : तेलुगु, हिंदी, मराठी, उड़िया 
  • प्रमुख त्योहार : पोला (एक पशु उत्सव) फाग एवं दशहरा 

सामाजिक स्थिति 

  • गोंड समाज कई बहिर्विवाही पितृवंशीय इकाइयों में विभाजित है जिन्हें ‘सागा’ के नाम से जाना जाता है।
    • ये ‘सागा’ मुख्यतः विभिन्न अनुष्ठानों तक ही सीमित है और इसका कोई वास्तविक राजनीतिक या संगठनात्मक महत्त्व नहीं है।
  • छत्तीसगढ़ सरकार के कहने पर गोंड लोगों ने नक्सली विद्रोह से लड़ने के लिए एक सशस्त्र समूह ‘सलवा जुडूम’ का गठन किया था। 
    • किंतु 5 जुलाई, 2011 को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सलवा जुडूम को भंग कर दिया गया।

धर्म 

  • अधिकांश गोंड लोग आज भी प्रकृति पूजा की परंपराओं का पालन करते हैं किंतु भारत की कई अन्य जनजातियों की तरह उनके धर्म पर हिंदू धर्म का गहरा प्रभाव रहा है।
  • अधिकांश गोंड लोग हिंदू धर्म या अपने मूल धर्म ‘कोयापुनेम’ का पालन करते हैं। कुछ गोंड लोग सरना धर्म का भी पालन करते हैं। 
  • गोंड लोगों के पास सूर्य, चंद्रमा, आकाशगंगा और नक्षत्रों के लिए अपने स्थानीय शब्द थे। इनमें से अधिकांश उनके समय-निर्धारण और पंचांग संबंधी गतिविधियों का आधार थे।
  • गोंड लोगों के पास रामायण का अपना संस्करण है जिसे ‘गोंड रामायणी’ के नाम से जाना जाता है, जो मौखिक लोक कथाओं पर आधारित है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR