नई दिल्ली में तीन दिवसीय ज्ञान भारतम सम्मेलन 2025 का आयोजन किया गया।
ज्ञान भारतम सम्मेलन 2025 के बारे में
- यह पहला अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन है।
- इस सम्मेलन का शीर्षक: Reclaiming India’s Knowledge Legacy through Manuscript Heritage
- इस सम्मलेन में लगभग 1,100 प्रतिभागी शामिल हैं, जिनमें संरक्षण विशेषज्ञ, विद्वान, इतिहासकार, अकादमिक और निजी एवं सरकारी संग्रहालयों के पांडुलिपि संरक्षक शामिल हैं।
- यह सम्मेलन स्वामी विवेकानंद के 132वें विश्व धर्म महासभा भाषण की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया।
उद्देश्य
- भारत की पांडुलिपि विरासत का सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण
- प्राचीन लिपियों, जैसे- सिंधु, गिलगित, शंख आदि के अध्ययन और अनुवाद में योगदान
- पांडुलिपियों का संरक्षण, मरम्मत एवं डिजिटलीकरण
- पांडुलिपियों के कानूनी और नैतिक उपयोग पर मार्गदर्शन
- देश भर के पांडुलिपि संरक्षकों के बीच सहयोग व नेटवर्किंग
मुख्य विशेषताएँ
- आठ कार्य समूह (Working Groups) बनाए गए हैं, जो निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करेंगे:
- प्राचीन लिपियों का सुलझाना
- सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण
- डिजिटलीकरण उपकरण
- संरक्षण और पुनर्स्थापना
- पांडुलिपियों का डिकोडिंग
- कानूनी और नैतिक मुद्दे
ज्ञान भारतम मिशन
- यह मिशन राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (2003) का विस्तार और सुधार है।
- इसका उद्देश्य 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को कवर करना है।
- नई दिल्ली में मुख्यालय होगा और सभी राज्यों में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- मिशन का मॉडल आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के समान होगा, जो स्मारकों के लिए है, वहीं ज्ञान भारतम पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए होगा।
लाभ
- भारत की ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
- विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ एवं डिजिटलीकृत संसाधन
- अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की ज्ञान एवं विज्ञान की छवि का संवर्धन
- पांडुलिपियों के संरक्षण में वैज्ञानिक एवं आधुनिक तकनीक का उपयोग
- राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संरक्षण व सहयोग नेटवर्क का निर्माण
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