New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

हट्टी समुदाय

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता)

संदर्भ

एक दुर्लभ सांस्कृतिक परंपरा का पालन करते हुए हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले के हट्टी समुदाय के दो भाइयों ने बहुपतित्व परंपरा के अनुसार एक ही स्त्री से विवाह किया। 

क्या है बहुपतित्व प्रथा 

  • यह बहुपतित्व विवाह का एक रूप है जिसमें एक स्त्री कई पुरुषों (सामान्यत: भाइयों) से विवाह करती है।
  • हिमाचल प्रदेश में ‘जोड़ीदारा’ नामक यह प्रथा हट्टी समुदाय और निचले हिमालय क्षेत्र के कुछ अन्य समुदायों में प्रचलित है।
  • महाभारत की द्रौपदी के नाम पर इस प्रथा को ‘द्रौपदी प्रथा’ भी कहा जाता है जिन्होंने पाँच भाइयों (पांडवों) से विवाह किया था।
  • यह बहुविवाह से अलग है और ऐतिहासिक रूप से कुछ हिमालयी एवं आदिवासी समाजों में प्रचलित है।
    • तिब्बतियों, टोडा जनजाति (तमिलनाडु) और नेपाल के कुछ हिस्सों में प्रचलित। 

बहुपतित्व प्रथा के प्रचलन के कारण 

  • भाइयों के बीच भूमि के बँटवारे से बचने जैसे आर्थिक कारण 
  • पारिवारिक एकता बनाए रखने के साथ ही कृषि उत्पादकता को बनाए रखना 
  • संसाधनों की कमी 

वर्तमान में स्थिति 

  • आधुनिकीकरण, कानूनी सुधारों और व्यक्तिवादी मूल्यों के कारण बहुपति प्रथा में काफी हद तक कमी आई है।
  • यह मामला परंपरा एवं आधुनिकता के बीच के तनाव को उजागर करता है और महिलाओं की स्वतंत्रता, कानूनी अधिकारों व बदलते सामाजिक मानदंडों पर सवाल उठाता है।

बहुपतित्व प्रथा की वैधता 

  • भारतीय कानून बहुपतित्व की अनुमति नहीं देता है। हालाँकि, यह कई जनजातियों के रीति-रिवाजों एवं परंपराओं के संरक्षण की अनुमति देता है।
  • हट्टी समुदाय हिंदू विवाह अधिनियम द्वारा शासित है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने ‘जोड़ीदारा कानून’ के तहत इस जनजाति में बहुपतित्व की प्रथा का संरक्षण किया है।
  • इन ‘संयुक्त विवाह’ से जन्म लेने वाले बच्चों को वाजिब-उल-अर्ज के तहत गोद लिया जाता है जो ‘जोड़ीदारा प्रथा’ को पवित्रता प्रदान करता है।
  • वाजिब-उल-अर्ज के माध्यम से पिता का नाम पंचायत रिकॉर्ड में दर्ज होता है और यह सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए लागू होता है।

हट्टी समुदाय के बारे में

  • मुख्यत: हिमाचल प्रदेश के ट्रांस-गिरि क्षेत्र (सिरमौर के कुछ हिस्सों सहित) में निवास करते हैं। वर्ष 2022 में इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया।
  • इसका नाम ‘हाट’ (बाज़ारों) के नाम पर रखा गया है जो पड़ोसी क्षेत्रों के साथ मज़बूत पारंपरिक व्यापारिक संबंधों को दर्शाता है।
  • यह समुदाय पितृसत्तात्मक रीति-रिवाजों एवं सामूहिक भूमि स्वामित्व प्रथाओं का पालन करता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X