प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएँ एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने ‘नमस्ते योजना’ पर केंद्रित उत्तर प्रदेश के बरेली में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।
नमस्ते योजना के बारे में
- पूरा नाम : नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम (National Action for Mechanised Sanitation Ecosystem : NAMASTE)
- योजना की प्रकृति : केंद्रीय क्षेत्र की योजना
- आरंभ : जुलाई 2023
- नोडल मंत्रालय : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा संयुक्त रूप से
- क्रियान्वयन एजेंसी : राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (NSKFDC)
- इसे NSKFDC द्वारा 349.73 करोड़ रूपए के बजट आवंटन के साथ वित्त वर्ष 2023 से 2026 तक तीन वर्ष के लिये क्रियान्वित किया जाना है।
- वित्तपोषण संरचना
- केंद्र : राज्य = 60 : 40 (मैदानी राज्यों के लिए)
- उत्तर-पूर्वी व हिमालयी राज्यों व UTs के लिए = 90 : 10
- मशीनरी खरीद में 100% केंद्र अनुदान; ऑपरेशन-रखरखाव में साझी जिम्मेदारी
- उद्देश्य : इसका मुख्य उद्देश्य मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला ढोने की प्रथा) को समाप्त करना, सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना तथा स्वच्छता क्षेत्र में यंत्रीकृत प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
- यह योजना विशेष रूप से उन श्रमिकों के कल्याण पर केंद्रित है जो सीवर, सेप्टिक टैंक एवं कचरा संग्रह जैसे जोखिम भरे कार्यों में संलग्न हैं।
नमस्ते योजना के प्रमुख घटक
- पूर्ण मशीनीकरण
- सीवर-लाइन और सेप्टिक-टैंक की सफाई के लिए सक्शन-कम-जेटिंग ट्रक, रोबोटिक स्कैवेंजर, कैमरा-इंस्पेक्शन उपकरण तथा पर्याप्त PPE किट्स की व्यवस्था।
- ‘नो-ह्यूमन-एंट्री’ सिद्धांत को लागू करते हुए प्रत्येक शहर में मशीन-पूल और त्वरित आपातकालीन दल (Sanitation Response Unit) स्थापित करना।
- कौशल विकास व पुनः प्रशिक्षण
- 15 हज़ार से अधिक सफाई कर्मियों को NSDC/ITI के माध्यम से मशीन ऑपरेशन, ड्राइविंग, प्लम्बिंग, उद्यमिता एवं डिजिटल वित्तीय साक्षरता में प्रशिक्षित करना।
- प्रशिक्षण के बाद प्रमाण-पत्र और रोजगार/स्वरोज़गार से जोड़ना।
- सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण
- सभी लाभार्थियों को आयुष्मान भारत योजना का स्वास्थ्य बीमा, ₹10 लाख का दुर्घटना कवर और ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण।
- बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, आवासीय छात्रावास तथा उच्च शिक्षा में शुल्क-छूट की व्यवस्था।
- उद्यमिता संवर्धन (Enterprise Promotion)
- सफाई कर्मियों के स्व-स्वामित्व अथवा FPO-मॉडल पर ‘सैनिटेशन इंटरप्राइसेस’ के लिए सब्सिडी-युक्त बैंक ऋण, सीड कैपिटल एवं बाज़ार से जोड़ने के लिए हैंड-होल्डिंग।
- पी.एम.-स्वनिधि एवं मुद्रा योजनाओं से समन्वय।
- सूचना-शिक्षा-संचार (IEC & Behaviour Change)
- ‘मानव मल-सफाई मुक्त भारत’ जन-अभियान, सामुदायिक रैलियाँ, स्कूल कार्यक्रम तथा सोशल-मीडिया कैंपेन।
- कार्य-स्थल सुरक्षा मानकों (WHS) पर मल्टीमीडिया सामग्री एवं लाइव डेमो।
- प्रणाली सुदृढ़ीकरण (System Strengthening)
- नगर निकायों में जी.आई.एस.-आधारित सेप्टेज मैपिंग, डाटा-डैशबोर्ड एवं रियल-टाइम मॉनिटरिंग।
- केंद्र, राज्य एवं शहरी स्थानीय निकाय (ULB) स्तर पर बहु-स्तरीय समीक्षा-समिति; तीसरे-पक्ष से सोशल-ऑडिट एवं कंप्लायंस ट्रैकिंग।
योजना की प्रमुख उपलब्धियाँ
- सफाई कर्मियों का प्रोफाइलिंग : अब तक 54,574 सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मियों का प्रोफाइलिंग किया गया है जिनमें से लगभग 67% अनुसूचित जाति से संबंधित हैं।
- मशीनीकरण की दिशा में प्रगति : देश भर में 9,894 मशीनीकृत सफाई मशीनें स्थापित की गई है जिससे सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई में मानवीय हस्तक्षेप कम हुआ है।
- स्वास्थ्य बीमा एवं सुरक्षा उपकरण : सफाई कर्मियों को आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया है। साथ ही, उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) भी वितरित किए गए हैं।
- कौशल विकास एवं प्रशिक्षण : सफाई कर्मियों को मशीन संचालन, उद्यमिता एवं अन्य संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिससे वे ‘सैनीप्रेन्योर’ बन सकें।
- कचरा बीनने वालों का समावेश : वर्ष 2024 में योजना का विस्तार करते हुए 2,50,000 कचरा बीनने वालों को भी इसमें शामिल किया गया है, जिससे उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा व प्रशिक्षण का लाभ मिल सके।
चुनौतियाँ
- डाटा में विसंगतियाँ : विभिन्न स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों में मैनुअल स्कैवेंजर्स की संख्या एवं स्थिति को लेकर विसंगतियाँ हैं। व्यापक एवं नियमित सर्वेक्षणों की कमी के कारण लक्षित हस्तक्षेप चुनौतीपूर्ण हैं।
- जागरूकता की कमी : ग्रामीण एवं छोटे शहरी क्षेत्रों में योजना के लाभों के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है।
- वित्तीय बाधाएँ : इस योजना के लिए आवंटित बजट को और बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि सभी पात्र कर्मचारियों को लाभ मिल सके।
- प्रशिक्षण एवं बुनियादी ढाँचा : यंत्रीकृत स्वच्छता उपकरणों के उपयोग के लिए प्रशिक्षण व बुनियादी ढाँचे का अभाव कुछ क्षेत्रों में बाधक बना हुआ है।
निष्कर्ष
‘नमस्ते’ योजना केवल तकनीकी मशीनीकरण नहीं है बल्कि स्वच्छता कर्मियों के सम्मान, सुरक्षा एवं समाजीकरण की दिशा में एक समग्र कदम है। उपर्युक्त चुनौतियों का समाधान करके इसका प्रभावी क्रियान्वयन भारत को मानव मल-सफाई मुक्त बनाने की संवैधानिक एवं नैतिक प्रतिबद्धता को साकार करता है।