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वर्ष 2024 में विज्ञान की महत्वपूर्ण उपलब्धियां

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ 

वर्ष 2024 भारत की वैज्ञानिक प्रगति में प्रमुख वर्ष रहा है।  सौर मिशन एवं स्पैडेक्स मिशन के साथ-साथ पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रदान किया गया। साथ ही, राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान दिवस भी पहली बार आयोजित किया गया। 

सौर मिशन : आदित्य एल-1

  • वर्ष 2024 की शुरुआत में इसरो ने आदित्य एल-1 मिशन को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। यह मिशन लैग्रेजियन बिंदु एल-1 पर स्थित भारतीय सौर वेधशाला है। इसे 2 सितंबर, 2023 को अंतरिक्ष में भेजा गया था। 
  • यह सूर्य की गतिविधियों को समझने के उद्देश्य से भारत का पहला मिशन है। इसमें सौर लपटों एवं चुंबकीय प्रभावों का अध्ययन महत्वपूर्ण है।

एक्सपोसैट, आर.एल.वी. पुष्पक एवं जीसैट एन-2

  • इसरो द्वारा जनवरी 2024 में अंतरिक्ष में भेजे गए एक्सपोसैट का उद्देश्य ‘ब्लैक होल’ के रहस्यों पर से पर्दा हटाना था। 
  • जून 2024 के अंतिम सप्ताह में इसरो ने पुनः उपयोग में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान आर.एल.वी. पुष्पक का लगातार तीसरी बार सफल परीक्षण किया। 
  • नवंबर में इसरो ने पहली बार एक निजी कंपनी की सहायता से जीसैट एन-2 संचार उपग्रह अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजा। इस आधुनिक संचार उपग्रह से ब्रॉडबैंड सेवाओं का विस्तार होगा। 

प्रथम एनालॉग अंतरिक्ष मिशन

  • इसरो ने लद्दाख के लेह में देश का प्रथम एनालॉग अंतरिक्ष मिशन शुरू किया है। इसका उद्देश्य अंतरग्रहीय आवास स्थितियों का अनुकरण करना है। इसके लिए यहां अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 
  • यह मिशन मंगल एवं चंद्रमा पर चरम स्थितियों का अनुकरण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिससे भारत अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं को बढ़ा सकेगा।

गगनयान की तैयारियां

वर्ष 2024 में मानव अभियान गगनयान मिशन की तैयारियों के तहत परीक्षणों की एक श्रृंखला तैयार की गई थी। यह मिशन इसरो-नासा की संयुक्त उड़ान के अंतर्गत अगले वर्ष अप्रैल में अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना होगा। 

मिशन मौसम

  • मिशन मौसम को 11 सितंबर, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो वर्षों में 2,000 करोड़ रूपए के बजट आवंटन के साथ मंजूरी दी। इसका उद्देश्य पृथ्वी के मौसम एवं जलवायु से संबंधित जानकारी एकत्र करना है। 
  • इसका उद्देश्य देश को ‘जलवायु के लिए तैयार’ और ‘जलवायु स्मार्ट’ बनाना है। इस मिशन के प्रमुख घटक हैं- 
    • उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल का विकास
    • रियल टाइम डाटा साझाकरण के लिए जीआईएस-आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली 
    • उन्नत सेंसरों के साथ नेक्स्ट जेनरेशन राडार एवं उपग्रह प्रणालियों की तैनाती

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन

  • केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को मंजूरी प्रदान की है। 
  • इसका उद्देश्य भारत में शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों तथा शोधकर्ताओं के लिए एकीकृत व सुलभ डिजिटल संसाधनों का एक साझा प्लेटफॉर्म तैयार करना है। 
  • इसके तहत वे सभी प्रमुख शोध पत्रिकाओं, शैक्षिक डाटाबेस एवं डिजिटल सामग्री को एक ही सब्सक्रिप्शन के तहत उपयोग कर सकेंगे जिससे शैक्षिक गतिविधियों में तेजी आएगी और भारतीय अनुसंधान संस्थानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

अग्निबाण सार्टेड का परीक्षण

  • 30 मई, 2024 को को चेन्नई की अंतरिक्ष स्टॉर्टअप कंपनी अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने प्रथम उप कक्षीय या सब आर्बिटल टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर का सफल परीक्षण किया।
  • अग्निबाण रॉकेट की प्रमुख विशेषताओं में 3-डी प्रिटेंड सेमी क्रायोजेनिक इंजन, मॉड्यूलर डिज़ाइन, कम लागत और स्वदेशी प्रौद्योगिकी का प्रयोग आदि शामिल हैं।

प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान दिवस

  • वर्ष 2024 में पहली बार 23 अगस्त को प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान दिवस मनाया गया। इस ऐतिहासिक दिन वर्ष 2023 में भारत का चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा था। 
  • इसका उद्देश्य भारत की गौरवपूर्ण अंतरिक्ष यात्रा के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता एवं उत्साह का संचार करना है। 

देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो लाइन 

मार्च 2024 में कोलकाता में देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो लाइन का शुभारंभ हुआ। इसके साथ हुगली नदी में सुरंग निर्माण और मेट्रो ट्रेन संचालन का 105 वर्ष पुराना लक्ष्य पूरा हुआ। 

बायो ई-3 नीति को मंजूरी

  • वर्ष 2024 में भारत की जैव अर्थव्यवस्था को मंजूरी दी गई, जिसे संक्षेप में बायो-3 कहा जाता है। बायो ई-3 से अर्थव्यवस्था में इकोनॉमी, एम्प्लाइमेंट एवं एन्वॉयरॉन्मेंट प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने का वादा किया गया है। 
  • बायो ई-3 नीति विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करती है तथा विकसित भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।

परम रूद्र सुपरकम्प्यूटर

  • 26 सितंबर, 2024 को देश में ही विकसित तीन परम रूद्र सुपर कम्प्यूटर राष्ट्र को समर्पित किए गए। इनका विकास नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन (NSM) के अंतर्गत किया गया है।
    • यह मिशन वर्ष 2015 में शुरु किया गया था। 
  • इन सुपर कम्प्यूटरों को नई दिल्ली, कोलकाता एवं पुणे में स्थापित किया जायेगा।
    • दिल्ली में स्थापित सुपर कंप्यूटर का उपयोग पदार्थ विज्ञान एवं परमाणु भौतिकी जैसे क्षेत्रों में शोध के लिए किया जाएगा। 
    • पुणे में स्थापित सुपर कम्प्यूटर का उपयोग विशाल मीटर रेडियो टेलीस्कोप (GMRT), फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) एवं अन्य खगोलीय घटनाओं के अध्ययन के लिए करने की योजना है। 
    • कोलकाता में भौतिक विज्ञान, ब्रह्मांड एवं पृथ्वी विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उन्नत शोधकार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। 

नई पृथ्वी विज्ञान योजना को मंजूरी

  • जनवरी 2024 को केद्र सरकार ने ‘पृथ्वी विज्ञान योजना’ को मंजूरी प्रदान की जो पृथ्वी प्रणालियों और जलवायु परिवर्तन के विज्ञान के बारे में समझ बढ़ाने पर केंद्रित है। 
  • इसका उद्देश्य भू-प्रणाली और परिवर्तन के महत्त्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वातावरण, समुद्र, भू-मंडल, हिम मंडल एवं पृथ्वी के ठोस हिस्से का दीर्घकालिक अवलोकन करना है।

अरूणाचल में चींटी की नई प्रजाति 

  • अरूणाचल प्रदेश की सियांग घाटी में चींटी की एक नई प्रजाति मिली है। इस प्रजाति को पैरापैराट्रेचिना नीला वैज्ञानिक नाम प्रदान किया गया हैं। अरूणाचल प्रदेश में 121 वर्षों बाद चींटी की नई प्रजाति खोजी गई है।
  • इस चींटी के नीले रंग का कारण पिगमेंट नहीं बल्कि जैविक फोटोनिक नैनो संरचना है। यह रंग संचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

जीव-जंतुओं की सूची बनाने वाला पहला देश

  • वर्ष 2024 में भारत अपने यहां के सभी जीव-जंतुओं की सूची बनाने वाला पहला देश बन गया है। इस सूची में लगभग एक लाख प्रजातियों को शामिल किया गया है। 
  • भारत द्वारा सम्पादित दस्तावेज में जीव-जंतुओं की ज्ञात प्रजातियों की 121 सूचियां तैयार की गईं हैं। इसके अलावा इस सूची में विलुप्तप्राय जीव-जंतुओं को भी शामिल किया गया है।

सेमीकंडक्टर चिप के क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत

  • सितंबर 2024 में ग्रेटर नोएडा में ‘सेमीकंडक्टर भविष्य को आकार देना’ विषय पर आयोजित सेमिनार का उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान करना था। 
  • सरकार द्वारा देश में सेमीकंडक्टर चिप बनाने के लिए गुजरात के साणंद व धोलेरा तथा असम के मोरीगांव में संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। 
  • इनसे वर्ष 2025 में उत्पादन शुरु होने की संभावना है।

राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन

जुलाई 2024 में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) ने पहली बार पांच संस्थाओं के साथ मिलकर भोपाल में राष्ट्रीय हिंदी विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी में विज्ञान शोधपत्र लेखन को बढ़ावा देना था। 

पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

भारत में पहली बार वर्ष 2024 में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार प्रदान किए गए। इसकी स्थापना वर्ष 2023 में की गई थी। चार श्रेणियों में प्रदान किए गए इस पुरस्कार के लिए 33 वैज्ञानिकों का चयन किया गया। प्रथम विज्ञान रत्न सम्मान विख्यात जैव रसायनविद् प्रोफेसर जी. पद्मनाभन को प्रदान किया गया। 

क्रूज मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण

नवंबर 2024 में भारत की अत्याधुनिक एवियोनिक्स एवं सॉफ्टवेयर से लैस लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया। इसका विकास डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान द्वारा किया गया है। 

‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ अभियान

  • वर्ष 2024 के दौरान भी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् 'सी.एस.आई.आर.' का 'एक सप्ताह एक प्रयोगशाला' अभियान जारी रहा। इसकी शुरुआत जनवरी 2023 में हुई थी।
  • इसका मुख्य उद्देश्य जन सामान्य एवं विद्यार्थियों को देश की उन्नति व विकास में सी.एस.आई.आर. की प्रयोगशालाओं की भूमिका और उपलब्धियों से परिचित कराना है। 

विज्ञान उत्सव 'IISF’ के दस वर्ष पूर्ण 

  • वर्ष 2024 में भारत के सबसे बड़े विज्ञान उत्सव 'आई.आई.एस.एफ.' के दस वर्ष पूरे हुए। विज्ञान उत्सव का दसवां संस्करण पूर्वोतर क्षेत्र में गुवाहाटी में आयोजित किया गया था। इसका मुख्य विषय 'भारत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से प्रेरित वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलना' था। 
  • अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव एक ऐसा मंच बन चुका है जो वैज्ञानिकों व आमजनों को मिलने-जुलने के साथ ही वैज्ञानिक विचारों एवं नवीन अनुसंधानों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।

साइंस रिपोर्टर पत्रिका का हीरक जयंती वर्ष

वर्ष 2024 में विज्ञान की अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित पत्रिका ‘साइंस रिपोर्टर’ के प्रकाशन के साठ वर्ष पूरे हुए और हीरक जयंती मनाई गई। इस पत्रिका का पहला अंक वर्ष 1964 में प्रकाशित हुआ था।

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