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अटलांटिक महासागर में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण की गम्भीरता

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘नेचर कम्युनिकेशन’ में प्रकाशित एक अध्ययन में अटलांटिक महासागर में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा का अनुमान लगाया गया है।

पृष्ठभूमि

इस अध्ययन के अनुसार समुद्र में प्लास्टिक के आगत और स्टॉक का स्तर पहले की तुलना में बहुत अधिक हैं। यह सर्वविदित है कि प्लास्टिक, विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण महासागरों और यहाँ तक ​​कि आर्कटिक के कुछ सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी पहुँच गया है। अभी भी समुद्रों में विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

माइक्रोप्लास्टिक

  • माइक्रोप्लास्टिक ऐसे प्लास्टिक मलबे होते हैं, जिनका आकार 5 मिमी. से कम या लगभग तिल के बराबर होता है। ये विभिन्न प्रकार के स्रोतों से उत्पन्न होते हैं।
  • जब प्लास्टिक के बड़े टुकड़े छोटे- छोटे टुकड़ों में अपघटित होते हैं तब भी माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषक उत्पन्न होते हैं, जिनका पता लगाना कठिन होता है।
  • महासागरों तक प्लास्टिक के पहुँचने का प्रमुख कारण
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, महासागरों तक माइक्रोप्लास्टिक पहुँचने के कई कारण हैं, जिसमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-
    • तटीय और आंतरिक क्षेत्रों से नदी और वायुमंडलीय परिवहन द्वारा
    • अवैध डम्पिंग गतिविधियों द्वारा
    • नौ-परिवहन जहाज़ों से सीधे समुद्र में कूड़े-कचरों द्वारा
    • मछली पकड़ने और जलीय कृषि गतिविधियों द्वारा
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अनुसार, प्रत्येक वर्ष समुद्रों में कम से कम 8 मिलियन टन प्लास्टिक पहुँचता है, जो समुद्र की सतह से लेकर समुद्र की तली तक सभी समुद्री मलबे का लगभग 80% हिस्सा होता है।

प्लास्टिक प्रदूषण से क्षति

  • प्लास्टिक की स्थाई प्रकृति के कारण इसका विघटन काफी कठिन होता है। विघटन की प्रक्रिया प्लास्टिक के प्रकार और उसके डंपिंग के स्थान पर निर्भर करती है।
  • महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने से समुद्री जीवन, महासागरीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी के साथ-साथ तटीय पर्यटन और अंततः मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण से सभी प्रकार की समुद्री प्रजातियों के प्रभावित होने का खतरा रहता है परंतु आमतौर पर बड़ी समुद्री प्रजातियाँ इससे अधिक प्रभावित होती हैं।
  • समुद्री जानवर जैसे व्हेल, समुद्री पक्षी और कछुए अनजाने में प्लास्टिक को निगल लेते हैं और अक्सर उनका दम घुट जाता है। पिछले वर्ष स्कॉटिश बीच पर मृत मिली स्पर्म व्हेल के अंदर अनुमानत: 100 किलो (220 पाउंड) मलबा मिला था, जिसमें जाल, रस्सी और प्लास्टिक, आदि थे।
  • खाद्य श्रृंखला में पहुँचने की स्थिति में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण मनुष्यों के लिये भी हानिकारक है। उदाहरण के लिये माइक्रोप्लास्टिक नल के पानी, बीयर और यहाँ तक ​​कि नमक में भी पाए गए हैं।
  • पिछले वर्ष प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक औसत व्यक्ति प्रति वर्ष कम से कम 50,000 माइक्रोप्लास्टिक के कणों का अंतर्ग्रहण करता है। प्लास्टिक का उत्पादन करने के लिये उपयोग किये जाने वाले कई रसायन कैंसर जनक होते हैं।

अध्ययन के निहितार्थ

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, अटलांटिक महासागर में मुख्यतः तीन प्रकार के प्लास्टिकों के कारण प्रदूषण हुआ। ये हैं- पॉलीइथाइलीन (Polyethylene), पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीस्टाइनिन, जो समुद्र की सतह से 200 मीटर की गहराई तक निलम्बित पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इन तीन प्रकार की प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग के लिये सबसे अधिक किया जाता है।
  • प्लास्टिक के सूक्ष्म कण आसानी से समुद्र की अधिक गहराई तक डूब सकने के कारण भी अधिक खतरनाक होते हैं। कुछ समुद्री प्रजातियाँ, जैसे की ज़ूप्लैंकटन छोटे कणों का भक्षण प्राथमिक रूप से करतीं हैं, जिससे उनका खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करना आसान हो जाता है।
  • पिछले आकलनों में माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण को गम्भीर रूप से कम आंका गया है क्योंकि छोटे माइक्रोप्लास्टिक की काफी मात्रा समुद्र की सतह से उसके आंतरिक हिस्सों में संग्रहीत हो जाती है।
  • अध्ययन के अनुसार, अटलांटिक महासागर के जल में कुल 17 से 47 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा होने की सम्भावना है। यह निष्कर्ष वर्ष 1950 से 2015 तक प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन की प्रवृत्तियों तथा इन 65 वर्षों में वैश्विक प्लास्टिक कचरे के 0.3 से 0.8% भाग का अटलांटिक महासागर में पहुँचने के आकलन पर आधारित है।

निष्कर्ष

महासागरों में सूक्ष्म प्लास्टिक प्रदूषण को कम करके आंका जाना और प्रदूषण के परिमाण की अनिश्चितता एक समस्या है। माइक्रोप्लास्टिक का अध्ययन का एक उभरता हुआ क्षेत्र है अत: पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके सटीक जोखिम स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि पूर्व में आकलित किये गए मात्रा की तुलना में समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण बहुत अधिक है।

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