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भारत-अफगानिस्तान वीज़ा संबंधी मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध)

संदर्भ 

हाल ही में, तालिबान सरकार ने भारत सरकार से अफगान व्यापारियों, मरीजों एवं छात्रों को वीजा जारी करने का आग्रह किया है।

भारत द्वारा पूर्व में ज़ारी वीज़ा की स्थिति 

वर्ष 2021 में तालिबान के शासन में आने के बाद भारत सरकार ने उन अफगान नागरिकों को जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द कर दिए थे जो तब तक भारत नहीं पहुँचे थे।

वीज़ा ज़ारी करने में जटिलताएँ 

  • भारत की विभिन्न सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों द्वारा अफगानिस्तान से वीज़ा की मांग करने वालों के संबंध में सुरक्षा खतरे की आशंका जताना  
  • काबुल स्थित भारतीय दूतावास या अफगानिस्तान में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में कोई कार्यात्मक वीजा अनुभाग न होना 
  • भारत सरकार द्वारा अफ़गानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता न देना  

वीज़ा बहाली के लिए प्रयास 

  • ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन : विदेश मंत्रालय ने उन विश्वविद्यालयों, जहाँ अफगान छात्र पहले से ही नामांकित हैं, के साथ समन्वय करके अफगान छात्रों के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम एवं कक्षाएँ शुरू करने का निर्देश दिया है।
  • वीज़ा की नई श्रेणी : भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भारत की यात्रा करने के इच्छुक अफ़गानों के लिए ‘ई-आपातकालीन एक्स-विविध’ (e-Emergency X-Misc) वीज़ा की एक नई श्रेणी शुरू की। 
    • इसके तहत केवल उन अफ़गान नागरिकों को भारत आने की अनुमति है, जिनके पास ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण (ETA) दस्तावेज़ था।
      • यह गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।

आगे की राह  

  • भारत सरकार द्वारा अफ़गानी नागरिकों को वीज़ा ज़ारी करने के संदर्भ में सुरक्षा आयाम के साथ-साथ इसके राजनीतिक प्रभाव के आधार पर भी निर्णय लेना होगा। 
  • वीज़ा जारी करने के लिए भारतीय दूतावास में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता के साथ ही भारतीय वाणिज्य दूतावासों को फिर से खोलने की आवश्यकता होगी जो राजनीतिक एवं कूटनीतिक निर्णय पर आधारित होगा। जैसे-
    • अमेरिका के साथ भारत के संबंध सामान्य है जबकि अमेरिकी प्रशासन ने भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। ऐसे में भारत-अमेरिकी संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। 
    • दिसंबर 2024 में रूसी संसद ने तालिबान को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने के लिए एक कानून पारित किया है। ऐसे में भारत-रूस संबंधों को आगे बढ़ाने तथा उसे सकारात्मक बनाए रखने के लिए भारत तथा तालिबान सरकार के मध्य संबंधों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 
    • चीन अपनी बेल्ट एंड रोड पहल के तहत अफ़गानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अफगानिस्तान में चीन समर्थित वृहद् पैमाने पर चल रही शहरी विकास परियोजनाएँ भारत के लिए सामरिक चुनौती उत्पन्न कर सकती हैं। 
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