चर्चा में क्यों ?
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने भारत–ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) के तहत जैविक उत्पादों के लिए पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (Mutual Recognition Agreement – MRA) पर हस्ताक्षर किए।
- स्थान: वाणिज्य भवन, नई दिल्ली
- उपस्थित: दोनों देशों के शीर्ष व्यापार और कृषि अधिकारी
उद्देश्य:
- जैविक व्यापार को मजबूत करना
- प्रमाणन प्रक्रियाओं को सरल बनाना
- प्रमाणित जैविक उत्पादकों के लिए बाज़ार पहुँच बढ़ाना
MRA में क्या शामिल है
MRA के तहत जैविक प्रमाणन मानकों की पारस्परिक स्वीकृति दी जाएगी, जिससे बार-बार निरीक्षण की आवश्यकता समाप्त होगी।
श्रेणियाँ:
- अप्रसंस्कृत पौध-आधारित उत्पाद
- ग्रीनहाउस फसलें और जलीय पौधों को छोड़कर
- प्रसंस्कृत पौध-आधारित खाद्य पदार्थ
- भारत या ऑस्ट्रेलिया में संसाधित तृतीय-देश प्रमाणित सामग्री शामिल
- वाइन
क्रियान्वयन एजेंसियाँ:
- भारत: APEDA (एपीडा), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
- ऑस्ट्रेलिया: DAFF (डीएएफएफ), कृषि, मत्स्य और वानिकी विभाग
भारत की जैविक दृष्टि
लक्ष्य: दुनिया की “ऑर्गेनिक फूड बास्केट” बनना
एपीडा के प्रयास:
- प्रमाणित जैविक खेती का विस्तार
- वैश्विक निर्यात को बढ़ावा
- पारदर्शिता और अनुरेखण (Traceability) को प्रोत्साहन
MRA का महत्व:
- भारत के प्रमाणन को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य बनाना
- उपभोक्ताओं और नियामक निकायों में भरोसा बढ़ाना
MRA का महत्व
- व्यापार को बढ़ावा:
- FY 2024–25 में भारत का ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात 8.96 मिलियन USD
- प्रमुख उत्पाद: ईसबगोल की भूसी, नारियल का दूध, चावल
- MRA से व्यापार में वृद्धि की संभावना
- किसानों को सहयोग:
- जैविक उत्पाद 30–40% प्रीमियम कीमत दिलाते हैं
- आय में वृद्धि और वैश्विक बाजारों तक आसान पहुँच
- प्रमाणन पर भरोसा:
- एक-दूसरे की प्रमाणन प्रणाली की मान्यता
- उपभोक्ताओं के विश्वास में वृद्धि और नियामक सामंजस्य
- नए बाज़ारों तक पहुँच:
- भारतीय जैविक उत्पाद ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ताओं तक आसानी से
- ऑस्ट्रेलियाई वाइन और जैविक अनाज भारतीय बाज़ार में प्रवेश