New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

भारत और आइ.एम.एफ.: बदलते समीकरण

(प्रारम्भिक परीक्षा- राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत द्वारा आई.एम.एफ. के एस.डी.आर. कोटा प्रणाली में सुधारों को लेकर अपनी असहमति जताई गई है, जबकि भारत शुरुआत से ही आइ.एम.एफ. में सुधारों का पुरज़ोर समर्थक रहा है।

विशेष आहरण अधिकार (एस.डी.आर.)

  • विशेष आहरण अधिकार (एस.डी.आर.) आरक्षित मुद्रा का एक रूप है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) द्वारा जारी किया जाता है। इसमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, स्टर्लिंग पाउंड, येन और रेनमिनबी (युआन) शामिल है।
  • प्रत्येक देश एस.डी.आर. में एक विशेष कोटा रखता है, जो आई.एम.एफ. बोर्ड में उसके मतदान का अधिकार तय करता है। सदस्य राष्ट्र आवश्यकता पड़ने पर इन आरक्षित मुद्राओं के लिये अपने एस.डी.आर. का आदान- प्रदान कर सकते हैं।
  • एस.डी.आर. के विस्तार का अर्थ संकट के समय में बड़े संसाधन आधार की उपलब्धतता है। यह बाहरी स्थिरता और सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम माना जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भण्डार रखने की आवश्यकता कम हो जाती है।

भारत का वर्तमान कदम तथा आलोचना

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कोटा प्रणाली के विस्तार का विरोध करने के लिये भारत ने अमेरिका का पक्ष लेने का निर्णय किया है।
  • भारत लम्बे समय से उभरती अर्थव्यवस्थाओं को अधिक प्रतिनिधित्त्व प्रदान करने हेतु आई.एम.एफ. के संसाधनों के विस्तार और कोटा प्रणाली में सुधार पर ज़ोर देता रहा है।
  • भारत द्वारा किये गए प्रयासों से मतदान अधिकारों में कुछ मज़बूती भी देखने भी मिली है तथा अमेरिका और यूरोप के एकतरफा नीतिगत परिवर्तनों की क्षमता में कमी आई है। हालाँकि अमेरिका ने कुछ प्रमुख सुधारों पर वीटो बरकरार रखा है।
  • इस बार विकसित अर्थव्यवस्थाओं के केन्द्रीय बैंकों द्वारा मुहैया कराई गई पूँजी वर्ष 2008 के वित्तीय संकट की तुलना में काफी कम है, जबकि वर्तमान संकट उससे भी व्यापक है।
  • भारत द्वारा महामंदी के बाद सबसे बड़े वैश्विक संकट के दौरान 500 अरब डॉलर के नए एस.डी.आर. जारी करने के आई.एम.एफ. के प्रस्ताव के विरोध पर भी प्रश्नचिन्ह है।

भारत के कदम का समर्थन

  • न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक जैसे वैकल्पिक बहुपक्षीय संस्थानों के गठन के पिछले प्रयासों को भी चीन द्वारा बाधित किया गया है।
  • भारत के इस कदम का अर्थ यह है। इन सुधारों के चलते अमेरिका की वीटो शक्ति की समाप्ति से चीन के मतदान अधिकारों में व्यापक वृद्धि होगी, जोकि भारत के हित में नहीं है।
  • चीनी सरकार का अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को नष्ट करने का इतिहास रहा है और तथ्य यह है कि वर्तमान में अमेरिका ही चीन के विरूद्ध खड़ा होने की ताकत रखता है। इसलिये भारत का यह कदम ज़रूरी लगता है।
  • वैश्विक प्रशासन में चीन के प्रभाव को सीमित करना भारत का एक बड़ा लक्ष्य हो सकता है लेकिन भारत सरकार को इस लक्ष्य को हासिल करने हेतु और बेहतर विकल्प खोजने पर विचार करना चाहिये।

आगे की राह

  • वित्तीय बाज़ार की अस्थिरता के खिलाफ मज़बूत वित्तीय सुरक्षा सहायता का स्वागत किया जाना चाहिये।
  • वर्तमान में अगर सरकार विदेशी मुद्रा भण्डार को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाज़ार के प्रबंधन के लिये पर्याप्त मानती है तब भारत की राजकोषीय स्थिति दबाव में ही है।
  • देश लॉकडाउन से चरणबद्ध तरीके से बाहर निकल रहे हैं। नागरिकों को वित्तीय सहायता और बेहतर सार्वजानिक स्वास्थ्य संसाधनों की आवश्यकता होगी विशेषकर भारत जैसी, विकासशील अर्तव्यवस्था हेतु।
  • भारत सरकार आई.एम.एफ. के सामने इसके सदस्यों की सहायता करने हेतु नए उपाय किये जाने की माँग उठाकर विकासशील देशों का नेतृत्व कर सकता है।

निष्कर्ष

  • संकट के समय में सुधारों में तेज़ी लाने का यह एक बेहतर अवसर है। एस.डी.आर. के विस्तार के साथ ही मतदान अधिकारों में भी विस्तार का समर्थन किया जाना चाहिये, जिससे आई.एम.एफ. के प्रशासन में उभरते हुई अर्थव्यवस्थाओं का पक्ष मज़बूत हो सके।
  • अमेरिका की ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति के तहत वह कभी भी आई.एम.एफ. जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था में सुधार पर सहमत नहीं होगा। इसलिये भारत को अपनी सम्प्रभुता बनाए रखते हुए विकसित देशों के प्रभाव में आने से बचना चाहिये।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR