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भारत फोरकास्टिंग सिस्टम

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

26 मई, 2025 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्वदेशी रूप से निर्मित उच्च-रिज़ॉल्यूशन वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल ‘भारत पूर्वानुमान प्रणाली’ (Bharat Forecasting System (BFS) का शुभारंभ किया है। 

भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) के बारे में

  • क्या है : ‘भारत फोरकास्टिंग सिस्टम’ (BFS) एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम मॉडल है जिसे 6 किमी. के ग्रिड पर विकसित किया गया है।
    • यह प्रणाली ‘त्रिकोणीय घन अष्टफलकीय ग्रिड मॉडल’ (Triangular Cubic Octahedral Grid Model) पर आधारित वास्तविक समय मॉडलिंग का उपयोग करके चरम वर्षा के पूर्वानुमानों में 30% सुधार एवं कोर जोन में 64% वृद्धि करेगी।
    • ग्रिडेड पूर्वानुमान प्रणाली में नियमित ग्रिड पर संख्यात्मक, सांख्यिकीय एवं मानवीय मौसम पूर्वानुमानों का संश्लेषण किया जाता है।
  • उद्देश्य : BFS का उद्देश्य विश्व की सबसे सटीक एवं स्थानीयकृत मौसम भविष्यवाणियाँ प्रदान करना है।
  • विकास : इसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा विकसित किया गया है और यह हाई-स्पीड सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ के माध्यम से संचालित होता है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • उच्च रिज़ॉल्यूशन : 6 किमी. X 6 किमी. ग्रिड पर मौसम पूर्वानुमान पहले के 12 किमी. ग्रिड की तुलना में अधिक सटीक एवं स्थानीयकृत है।
  • सुपरकंप्यूटर अर्का : 11.77 पेटाफ्लॉप्स की गणना क्षमता और 33 पेटाबाइट्स स्टोरेज के साथ डाटा प्रोसेसिंग समय को 10 घंटे से घटाकर 4 घंटे करता है।
  • डॉप्लर रडार नेटवर्क : 40 रडारों का उपयोग (भविष्य में 100 तक विस्तार) 2 घंटे की नाउकास्टिंग (अल्पकालिक पूर्वानुमान) को सक्षम बनाता है।
  • क्षेत्रीय कवरेज : BFS 30 डिग्री दक्षिणी से 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए 6 किमी. रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमान प्रदान करता है जिसमें भारतीय मुख्यभूमि (8.4° से 37.6° उत्तर) शामिल है।
  • वैश्विक तुलना : 6 किमी. रिज़ॉल्यूशन के साथ यह यूरोपीय, ब्रिटिश एवं अमेरिकी मॉडलों (9-14 किमी.) से अधिक उन्नत है।
  • स्थानीयकृत अनुप्रयोग : पंचायत स्तर तक सटीक पूर्वानुमान आपदा जोखिम न्यूनीकरण, कृषि, जल संसाधन प्रबंधन व सार्वजनिक सुरक्षा में सहायक होगा।

लाभ

  • स्थानीयकृत पूर्वानुमान: 6 किमी. × 6 किमी. ग्रिड आधारित पूर्वानुमान के कारण अब ब्लॉक स्तर या पंचायत स्तर तक भी मौसम की जानकारी मिल सकती है जो आपदा जोखिम न्यूनीकरण, कृषि, जल संसाधन प्रबंधन एवं सार्वजनिक सुरक्षा में सहायक है।
  • कृषि क्षेत्र में लाभ : किसानों को फसल बुवाई, सिंचाई, कीटनाशक छिड़काव एवं कटाई के लिए उपयुक्त समय की जानकारी मिलेगी जिससे फसल हानि की आशंका कम होगी व उत्पादन में वृद्धि होगी। 
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण : चरम मौसमी घटनाओं (जैसे- बाढ़, तूफान, हीटवेव्स) की सटीक भविष्यवाणी और नाउकास्टिंग (2 घंटे की अल्पकालिक भविष्यवाणी) से आपदा प्रबंधन में सुधार होगा तथा जान-माल का नुकसान कम होगा।
  • आर्थिक स्थिरता एवं मुद्रास्फीति पर नियंत्रण : BFS द्वारा चरम मौसम घटनाओं के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे फसल हानि घटेगी और खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रित हो सकेगी।
  • विज्ञान एवं तकनीक में आत्मनिर्भरता : BFS के माध्यम से भारत ने स्वदेशी उच्च-प्रदर्शन मौसम मॉडल विकसित किया है जो तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है।
    • ‘अर्का’ जैसे सुपरकंप्यूटर के माध्यम से भारत अब विश्व स्तरीय डाटा प्रोसेसिंग करने में सक्षम है।
  • जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन में सहायक : BFS से लंबी अवधि की प्रवृत्ति को समझना संभव होगा, जिससे जलवायु-लचीली योजनाएँ, फसलें एवं बुनियादी ढाँचा विकसित किया जा सकेगा।

भारत की अर्थव्यवस्था पर मौसम का प्रभाव

मौसम का भारत की अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से कृषि एवं खाद्य मुद्रास्फीति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हाल के वर्षों में चरम मौसमी घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि ने इस प्रभाव को और गहरा किया है।

  • खाद्य मुद्रास्फीति : आर्थिक सर्वेक्षण (2024) के अनुसार, चरम मौसमी घटनाएँ, जैसे- हीटवेव्स व बाढ़ खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण रही हैं। वर्ष 2022-2024 के बीच हीटवेव्स की आवृत्ति 18% रही है जो 2020-2021 में 5% थी।
  • कृषि पर प्रभाव : सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में फसल क्षेत्र का नुकसान पिछले दो वर्षों की तुलना में अधिक था।
  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की चिंताएँ : RBI ने अपनी मासिक बुलेटिन में तापमान असामान्यताओं के कारण सब्जियों की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित किया है। इसके लिए तापमान-प्रतिरोधी फसल किस्मों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। 
  • समाधान के उपाय : दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता के लिए जलवायु-प्रतिरोधी फसलों का विकास, डाटा सिस्टम को मजबूत करना, फसल नुकसान को कम करना और कटाई के बाद के नुकसान को कम करना।

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