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भारत-जापान संयुक्त ऋण तंत्र: कार्बन व्यापार और हरित निवेश में नया कदम

चर्चा में क्यों ?

  • भारत और जापान ने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के तहत संयुक्त ऋण तंत्र (Joint Credit Mechanism -JCM) पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • इसका उद्देश्य कार्बन व्यापार, हरित निवेश और सतत नवाचार को बढ़ावा देना है। 
  • यह समझौता भारत को अपने विनिर्माण और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूत करने का रणनीतिक विकल्प प्रदान करता है, विशेष रूप से अमेरिकी टैरिफ और चीन के दुर्लभ मृदा प्रतिबंधों के बीच।

पृष्ठभूमि और रणनीतिक महत्व

  • भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जापान सरकार के बीच यह द्विपक्षीय समझौता हुआ।
  • यह 10 ट्रिलियन येन (लगभग ₹6 ट्रिलियन) मूल्य के दीर्घकालिक समझौतों का हिस्सा है।
  • समझौते के प्रमुख क्षेत्र हैं: कृत्रिम होशियारी, रक्षा, अर्धचालक और महत्वपूर्ण खनिज।
  • अमेरिका के टैरिफ और चीन के दुर्लभ मृदा प्रतिबंधों के बीच यह समझौता भारत की विनिर्माण और स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।

दुर्लभ पृथ्वी आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियाँ

  • चीन द्वारा अप्रैल 2025 में सैमेरियम, गैडोलीनियम और टेरबियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध से वैश्विक आपूर्ति बाधित हुई।
  • भारत ने घरेलू खनन और प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया, लेकिन स्थिर आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना तकनीकी और पर्यावरणीय कारणों से चुनौतीपूर्ण है।

कार्बन ट्रेडिंग और जलवायु वित्त

  • JCM के तहत भारत-जापान द्विपक्षीय कार्बन क्रेडिट व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे ग्रीनहाउस गैस में कमी, डीकार्बोनाइजेशन तकनीकी हस्तांतरण और जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी।
  • वैश्विक जलवायु वित्त वार्ताएं अमेरिका के पेरिस समझौते से बाहर निकलने के कारण गतिरोध में हैं, ऐसे में JCM का महत्व बढ़ गया है।

COP-30 की भूमिका

  • ब्राजील के बेलेम में होने वाले COP-30 में वैश्विक कार्बन बाजारों के नियम प्रमुख चर्चा का विषय होंगे।
  • अब तक केवल 23 देशों ने अद्यतन जलवायु प्रतिज्ञाएं (NDC) प्रस्तुत की हैं।
  • भारत-जापान मॉडल दिखाता है कि द्विपक्षीय सहयोग वैश्विक जलवायु वार्ताओं का पूरक बन सकता है।

भारत का घरेलू कार्बन बाज़ार

  • भारत ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (2023) शुरू की।
  • उत्सर्जन व्यापार की निगरानी के लिए राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण की स्थापना की गई।
  • JCM के अंतर्गत जापानी निवेश से स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।
  • यह भारत के 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य का समर्थन करता है।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

  • अनुच्छेद 6.2 देशों को लचीले समझौतों के माध्यम से NDC पूरा करने की अनुमति देता है।
  • यह प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।
  • यह विकासशील देशों के लिए वित्तीय संसाधनों के प्रवाह को सुगम बनाता है।
  • अनुच्छेद 6.2 के माध्यम से विकासशील देशों को आईटीएमओ उत्पन्न करने और व्यापार करने की क्षमता मिलती है।

प्रश्न :-भारत और जापान ने किस समझौते के तहत संयुक्त ऋण तंत्र (JCM) पर हस्ताक्षर किए हैं ?

(a) क्योटो प्रोटोकॉल

(b) पेरिस समझौते अनुच्छेद 

(c) वैश्विक जलवायु समझौता 2020

(d) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण समझौता

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