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भारत लघु रिएक्टर

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी एवं परमाणु ऊर्जा संबंधित मुद्दे)

संदर्भ 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं का विस्तार करने की रणनीति के तहत भारत लघु रिएक्टर (BSR) विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करने की घोषणा की है। यह भारत की परमाणु नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

भारत लघु रिएक्टर (Bharat Small Reactors : BSRs) 

  • क्या है : 
    • भारत लघु रिएक्टर कॉम्पैक्ट परमाणु रिएक्टर है जिसे पारंपरिक बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में लघु पैमाने पर बिजली उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
    • यह भारत की दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) तकनीक पर आधारित है, जिसकी 16 इकाइयाँ पहले से ही चालू हैं। 
    • यह एक प्रकार का छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) है जिसे भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (Small Modular Reactors : SMRs) 

  • एसएमआर परमाणु रिएक्टरों के लघु संस्करण हैं जिनका कारखानों में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। 
  • प्रति यूनिट 300 मेगावाट (MW) तक की बिजली क्षमता के साथ, वे पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों द्वारा उत्पन्न बिजली का लगभग एक-तिहाई उत्पादन कर सकते हैं।
  • विश्व स्तर पर, रूस ने पहला वाणिज्यिक एसएमआर विकसित किया है, जो मई 2020 से चल रहा है तथा 35 मेगावाट के दो संयंत्रों से ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, अर्जेंटीना, कनाडा, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका या तो इनका निर्माण कर रहे हैं या उन्हें लाइसेंस देने की प्रक्रिया में हैं।
  • भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) के अनुसंधान और विकास पर मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में डिजाइन का काम चल रहा है। 
  • यह भारत की नई परमाणु प्रौद्योगिकियों की खोज करने की मंशा को दर्शाता है।
  • उद्देश्य : एक सुरक्षित, लागत प्रभावी और कम कार्बन ऊर्जा स्रोत प्रदान करना है, विशेष रूप से उन स्थानों के लिए उपयुक्त है जहाँ बड़े परमाणु संयंत्र नहीं हो सकते। 
    • यह भारत की परमाणु नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाता है, क्योंकि 1962 का परमाणु ऊर्जा अधिनियम के अंतर्गत परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र की भागीदारी पर रोक थी।
  • महत्त्व : 
    • भारत के ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा के योगदान को बढ़ाना है, जो वर्तमान में 1.6% है।
    • पूंजीगत लागत को कम करना 
    • ऊर्जा मिश्रण में विविधता और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण सुनिश्चित करना 
    • पारंपरिक समकक्षों की तुलना में अधिक सुरक्षित 
    • बेसलोड बिजली प्रदान करने के लिए परमाणु ऊर्जा को तापीय ऊर्जा के एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में 
  • लाभ : 
    • साइटिंग के मामले में अधिक लचीले हैं, उन्हें तेज़ी से तैनात किया जा सकता है और संभावित रूप से अधिक लागत प्रभावी हैं। 
    • ये रिएक्टर दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली प्रदान करने या सीमेंट और स्टील जैसे बड़े उद्योगों के लिए कैप्टिव पावर यूनिट के रूप में काम करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकते हैं।
  • चुनौतियां : 
    • इन नए रिएक्टरों को बिजली ग्रिड में एकीकृत करने में कुछ साल लग सकते हैं। 
    • सरकार को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम करने के लिए नई नीतियां और कानूनी ढांचे बनाने की आवश्यकता होगी। 
    • सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित करना, परमाणु कचरे का प्रबंधन करना और भारत के व्यापक ऊर्जा एवं पर्यावरण लक्ष्यों के साथ बीएसआर विकास को संरेखित करना चुनौतीपूर्ण होगा।

भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम

  • 1950 के दशक में भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी भाभा ने भारत में तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम की संकल्पना की थी। 
  • इस योजना का उद्देश्य देश के विशाल थोरियम भंडार का कुशल तरीके से उपयोग करना था तथा ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
  • ऐसे कई देश हैं जिनके पास प्रचुर मात्रा में यूरेनियम भंडार है, लेकिन भारत के सीमित यूरेनियम संसाधनों ने थोरियम आधारित परमाणु ईंधन चक्र योजना की स्थापना को प्रेरित किया। 
  • भारत का त्रि-स्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम, जीवन की गुणवत्ता और प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत के बीच विद्यमान सहसंबंध को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक द्वारा सुझाया गया है।
  • भारत के तीन चरण वाले परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम इस प्रकार हैं :
    • दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR)
    • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR)
    • उन्नत भारी जल रिएक्टर (AHWR)

निष्कर्ष 

भारत लघु परमाणु रिएक्टरों की शुरूआत भारत के लिए अपनी ऊर्जा अवसंरचना के आधुनिकीकरण और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को अधिक स्थायी रूप से पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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