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भारतीय सेना का ‘युद्ध कौशल 3.0’ अभ्यास

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के उच्च-ऊंचाई वाले रणनीतिक क्षेत्रों में ‘युद्ध कौशल 3.0’ नामक बहु-क्षेत्रीय अभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न किया।
  • यह अभ्यास आधुनिक युद्ध रणनीतियों, तकनीकी क्षमताओं और स्वदेशी हथियार प्रणालियों के परीक्षण के लिए आयोजित किया गया।

अभ्यास का उद्देश्य

  • बहु-क्षेत्रीय तत्परता बढ़ाना: विभिन्न प्रकार के भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों में सेना की त्वरित और कुशल प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: उन्नत डिजिटल और AI-सक्षम प्रणालियों के माध्यम से युद्ध प्रबंधन और निर्णय क्षमता में सुधार करना।
  • स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भर भारत को सुदृढ़ करना: घरेलू रूप से विकसित हथियार, ड्रोन और निगरानी प्रणालियों का प्रभावी उपयोग।
  • अंतर-एजेंसी सहयोग का परीक्षण: ITBP और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय क्षमता को मजबूत करना।

प्रमुख विशेषताएँ

  • ड्रोन निगरानी और टोही: अभ्यास में आधुनिक ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया गया, जिससे वास्तविक समय में टोही, निगरानी और लक्ष्य पहचान की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और तेज़ हुई।
  • सटीक हमले (Precision Strike): AI-सक्षम लक्षित हमले और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के माध्यम से दुश्मन के ठिकानों और रणनीतिक लक्ष्यों पर सटीक हमले किए गए।
  • ASHNI प्लाटून का योगदान: यह स्वदेशी विकसित विशेष इकाई उच्च-ऊंचाई वाले कठिन भू-भाग में युद्ध संचालन की कुशलता प्रदर्शित करती है। ASHNI प्लाटून ने रणनीतिक पहाड़ी क्षेत्रों में त्वरित और सटीक कार्रवाई की।
  • AI-सक्षम अवधारणाएँ: युद्ध निर्णय प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया, जिससे खतरे की पहचान, रणनीति निर्माण और संसाधनों के कुशल उपयोग में मदद मिली।
  • अंतर-एजेंसी सहयोग: समानांतर अभ्यास ‘अचूक प्रहार’ के दौरान ITBP के साथ तालमेल दिखाया गया, जिससे बहु-एजेंसी समन्वय और आपातकालीन ऑपरेशनों की दक्षता का परीक्षण सफलतापूर्वक हुआ।

विशेषज्ञों की टिप्पणी

  • विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रकार के अभ्यास न केवल सेना की वास्तविक युद्धकुशलता को बढ़ाते हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, तकनीकी आत्मनिर्भरता और अंतर-एजेंसी समन्वय की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।
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