हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association: IORA) एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 7 मार्च, 1997 को हुई थी। इसका लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग एवं संधारणीय विकास को मजबूत करना है।
आई.ओ.आर.ए. की परिकल्पना वर्ष 1995 में दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने भारत यात्रा के दौरान की थी।
इस भावना एवं तर्क ने मार्च 1995 में हिंद महासागर रिम पहल की शुरुआत की जिसने दो वर्ष पश्चात् मार्च 1997 में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन के निर्माण को रेखांकित किया।
हिंद महासागर क्षेत्र के सभी संप्रभु देश इस एसोसिएशन की सदस्यता के लिए पात्र हैं। सदस्यता के लिए राज्यों (राष्ट्रों) को एसोसिएशन के चार्टर के सिद्धांतों एवं उद्देश्यों का पालन अनिवार्य है।
वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 23 है ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, फ्राँस, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, केन्या, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, ओमान, सेशेल्स, सिंगापुर, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात एवं यमन ।
चीन, अमेरिका, रूस एवं यूरोपीय संघ सहित 12 सदस्य इसके संवाद भागीदार हैं।
इसका वित्तपोषण आई.ओ.आर.ए. सदस्य देशों द्वारा किया जाता है। इसका सचिवालय मॉरीशस के एबेने में स्थित है जिसका नेतृत्व महासचिव करते हैं।
वर्तमान में आई.ओ.आर.ए. के महासचिव भारतीय राजनयिक संजीव रंजन हैं। इनका कार्यकाल 1 जनवरी, 2025 से 3 वर्षों के लिए है।
संरचना
मंत्रिपरिषद्
आई.ओ.आर.ए. मंत्रिपरिषद् संगठन का सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय है जिसे प्राथमिक निकाय भी कहा जाता है। इसमें सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री (या समकक्ष) शामिल होते हैं जिसकी वार्षिक बैठक होती है।
मंत्रिपरिषद् के कार्य मंत्रिपरिषद् को आई.ओ.आर.ए. चार्टरके पैराग्राफ 5.1 (ए) द्वारा सशक्त किया गया है जिसके अनुसार इसके मुख्य कर्तव्य हैं:
नीतियों का निर्माण करना
सहयोग की प्रगति की समीक्षा करना
सहयोग के नए क्षेत्रों पर निर्णय लेना
कार्यात्मक निकायों की स्थापना करना
विशेष एजेंसियों की स्थापना करना
सामान्य हित के मामलों पर कोई अन्य निर्णय लेना
वर्तमान में आई.ओ.आर.ए. का अध्यक्ष श्रीलंका है जबकि उपाध्यक्ष भारत है। नवंबर 2025 में भारत द्वारा आई.ओ.आर.ए, की अध्यक्षता संभाली जाएगी।
मंत्रिपरिषद् की बैठक का प्रबंधन अध्यक्ष के देश के विदेश मंत्रालय द्वारा आई.ओ.आर.ए. सचिवालय के सहयोग से किया जाता है।
वरिष्ठ अधिकारियों की समिति
यह आई.ओ.आर.ए. के भीतर दूसरा सबसे बड़ा निर्णयकारी निकाय है।
सदस्य देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से मिलकर गठित यह समिति विभिन्न आई.ओ.आर.ए, एजेंडा मदों की समीक्षा, चर्चा एवं सिफारिशें करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिपरिषद् को भेजा जाता है।
समिति की द्वि-वार्षिक बैठकें आयोजित की है जिसमें सदस्य देशों द्वारा आपसी सहमति के अनुसार अतिरिक्त सत्र आयोजित करने का विकल्प होता है।
इन बैठकों के दौरान समिति चार प्रमुख कार्यों पर ध्यान केंद्रित करती है:
क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग पहलों के लिए प्राथमिकताएँ स्थापित करना
कार्य कार्यक्रमों का विकास, निगरानी एवं समन्वय करना जो विशिष्ट कार्यों व परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार करते हैं।
इन कार्य कार्यक्रमों की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए संसाधन जुटाना।
मंत्रिपरिषद् को समय-समय पर रिपोर्ट एवं नीतिगत मामले प्रस्तुत करना।
आई.ओ.आर.ए. ट्रोइका
आई.ओ.आर.ए. ट्रोइका एक संस्थागत तंत्र है जिसमें आई.ओ. आर.ए. के वर्तमान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष (भावी अध्यक्ष) तथा भूतपूर्व अध्यक्ष शामिल होते हैं।
उद्देश्य : संगठन को महत्त्वपूर्ण मामलों, जैसे-मौजूदा तंत्रों की समीक्षा या नए तंत्रों का निर्माण, नीतिगत निर्णय पर सलाह देना।
ट्रोइका आई.ओ.आर.ए. महासचिव की नियुक्ति तथा अधिदेश की शर्तों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आई.ओ.आर.ए. की आवश्यकता
व्यापार मार्गों के लिए महत्त्वपूर्ण महासागर के रूप में हिंद महासागर दुनिया के आधे कंटेनर जहाजों, दुनिया के एक-तिहाई थोक माल यातायात और दुनिया के दो-तिहाई तेल शिपमेंट के लिए एक प्रमुख समुद्री मार्ग है।
हिंद महासागर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं परिवहन के लिए एक महत्त्वपूर्ण जीवन रेखा बना हुआ है। साझा समुद्री सीमा वाले इसके सदस्य देश सांस्कृतिक विविधता एवं भाषाओं, धर्मों, परंपराओं, कलाओं व व्यंजनों में समृद्ध हैं।
हालाँकि, वे अपने क्षेत्रों, आबादी एवं आर्थिक विकास के स्तर के संदर्भ में काफी भिन्न हैं।
उन्हें कई उप-क्षेत्रों (ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका) में भी विभाजित किया जा सकता है जिनमें से प्रत्येक के अपने क्षेत्रीय समूह हैं, जैसे- आसियान, सार्क आदि।
इतनी विविधता एवं मतभेदों के बावजूद ये देश हिंद महासागर द्वारा एक-साथ बंधे हुए हैं।
आई.ओ.आर.ए. प्राथमिकता क्षेत्र
समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षण
हिंद महासागर क्षेत्र कई पारंपरिक व गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षण (MSS) चुनौतियों का सामना करता है, जिनमें शामिल हैं:
समुद्री डकैती
समुद्र में सशस्त्र डकैती
आतंकवाद
मनुष्य, ड्रग्स, हथियार एवं वन्यजीव की अवैध तस्करी
मत्स्यपालन क्षेत्र में अपराध, जैसे अवैध, अप्रतिबंधित एवं अनियमित मत्स्यन
भूमि एवं जहाजों से प्रदूषण सहित महासागर के स्वास्थ्य का ह्रास
समुद्री संसाधनों का अवैध दोहन
जलवायु परिवर्तन और इसके संबंधित परिणाम
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के अनुसार नौवहन एवं उड़ान की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना
आई.ओ.आर.ए. कार्य योजना 2022-27:
समुद्री सुरक्षा प्राथमिकता क्षेत्र के रणनीतिक लक्ष्यों को निर्धारित करती है।
इसमें सदस्य देशों और प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच विशेषज्ञता तथा संसाधनों को साझा करने के लिए प्रभावी समन्वय के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना, सीमा पार चुनौतियों का समाधान करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना और यू.एन. सी.एल.ओ.एस. सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना शामिल है।
व्यापार एवं निवेश सुविधा
आई.ओ.आर.ए. व्यापार एवं निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए सदस्य देशों के सहयोग के मार्गदर्शक सिद्धांत, निजी क्षेत्र, ब्लू इकोनॉमी, वैश्विक नियम-आधारित व्यापार प्रणाली, रोजगार सृजन व हिंद महासागर क्षेत्र में गरीबी को कम करने तथा आर्थिक विकास में महिलाओं के सशक्तीकरण के महत्त्व को पहचानता है।
आई.ओ.आर.ए. कार्य योजना 2022-27:
व्यापार एवं निवेश प्राथमिकता क्षेत्र के रणनीतिक लक्ष्यों को निर्धारित करती है।
इसमें समावेशी सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से उत्पादों की उत्पादन क्षमता, प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं मूल्य संवर्द्धन में सुधार करना शामिल है।
यह सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को संधारणीय रूप से विकसित करने के लिए वस्तुओं, सेवाओं तथा निवेश प्रवाह को बढ़ावा देता है।
यह व्यावसायियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने और लोगों-से-लोगों (P2P) के माध्यम से संपर्क बढ़ाने का भी प्रयास करता है।
यह व्यापार सुविधा को मजबूत करने के लिए आई.ओ. आर.ए. सदस्यों के लिए व्यापार सुगमता की रैंकिंग बढ़ाने का प्रयास करता है।
इसका उद्देश्य लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना भी है।
मत्स्य प्रबंधन
आई.ओ.आर.ए. सतत् मत्स्यपालन और जलीय कृषि के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए भागीदार देशों, संगठनों एवं हितधारकों के साथ सहयोग करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
आई.ओ.आर.ए. एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है जो इस क्षेत्र में सतत् मत्स्य प्रबंधन, जलीय कृषि विकास आजीविका, रोजगार सृजन, खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन एवं समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देता है।
इस साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए आई.ओ.आर.ए. सदस्य देशों ने निम्नलिखित विषयों पर ध्यान दिया है-
समुद्री भोजन की सुरक्षा एवं गुणवत्ता
समुद्री भोजन की हैंडलिंग, प्रसंस्करण एवं भंडारण
मत्स्यपालन संसाधनों का सतत् प्रबंधन व विकास
अवैध, अप्रतिबंधित एवं अनियमित (IUU) मत्स्यन का मुकाबला करना
आपदा जोखिम प्रबंधन
आई.ओ.आर.ए. द्वारा आपदा जोखिम प्रबंधन प्रयास, आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क के सिद्धांतों के अनुरूप हैं।
यह वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया एक वैश्विक समझौता है।
यद्यपि हिंद महासागर क्षेत्र आपदाओं से ग्रस्त है किंतु, यहाँ आपदाओं के प्रबंधन के लिए दुनिया के सर्वोत्तम संस्थान भी मौजूद हैं।
इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आई.ओ.आर.ए. सदस्य देशों के बीच उचित सूचना-साझाकरण एवं समन्वय की आवश्यकता होती है।
पर्यटन एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान
हिंद महासागर एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं अंटार्कटिका को जोड़ता है जिससे उत्पादों, लोगों, संस्कृति व प्रौद्योगिकियों का एक अनूठा अभिसरण निर्मित होता है।
आई.ओ.आर.ए. कोर ग्रुप ऑन टूरिज्म (CGT) एक समर्पित निकाय है जिसका कार्य सदस्य राज्यों के बीच पर्यटन प्रोफाइल एवं सहयोग को बढ़ावा देना है।
इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
व्यापक पर्यटन रणनीतियों का विकास करना
हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना
सतत् पर्यटन प्रथाओं को आगे बढ़ाना
इसका उद्देश्य क्षेत्र में टिकाऊ एवं प्रभावी पर्यटन विकास सुनिश्चित करने के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, आर्थिक विकास को गति देना और पर्यावरण की रक्षा करना है।
शैक्षणिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग
आई.ओ.आर.ए. सदस्य देशों की प्रगति क्षेत्र के बौद्धिक एवं तकनीकी परिदृश्य को समृद्ध करती है।
आई.ओ.आर.ए. कार्य योजना (2022-2026) इस सहयोगात्मक यात्रा के लिए एक रोडमैप के रूप में कार्य करती है। इसके तहत समर्पित आई.ओ.आर.ए. संस्थागत तंत्रों के माध्यम से रणनीतिक लक्ष्य स्थापित किए गए हैं:
आई.ओ.आर. अकादमिक समूह (IORAG): सहयोगात्मक अनुसंधान, ज्ञान के आदान-प्रदान एवं क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पर कार्य समूह : अत्याधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में क्षेत्रीय सहयोग एवं सहभागिता का नेतृत्व करना