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भारत का महाद्वीपीय शेल्फ दावा और इसके सामरिक निहितार्थ

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।)

संदर्भ 

हाल ही में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सर क्रीक (Sir Creek) के निकटवर्ती क्षेत्र में अपने अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone : EEZ) से आगे बढ़कर महाद्वीपीय शेल्फ़ पर दावा किया है।

क्या है महाद्वीपीय शेल्फ

  • यह समुद्र का वह भाग होता है जो किसी देश के तटीय क्षेत्र से लेकर समुद्र की गहराइयों तक फैला होता है।
    • भारत को 200 नॉटिकल मील तक अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)का अधिकार है।
    • समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के तहत देश 350 नॉटिकल मील तक महाद्वीपीय शेल्फ के दावे कर सकते हैं।

इसे भी जानिए

अनन्य आर्थिक क्षेत्र: तटीय देशों के पास समुद्र तट से 200 समुद्री मील तक एक "अनन्य आर्थिक क्षेत्र" (EEZ)होता है। यह तटीय देशों को विशेष खनन और मछली पकड़ने का अधिकार देता है। इस पूरे समुद्री क्षेत्र को देश के विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का हिस्सा माना जाता है।

भारत का दावा

  • इससे पूर्व भारत ने वर्ष 2009 में एक प्रारंभिक दावा महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग (CLCS) के समक्ष किया था, और अब यह पूरक दावा (supplementary claim) है।
  • भारत द्वारा सर-क्रीक क्षेत्र में दावा किया गया है जहाँ भारत-पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा का निर्धारण अभी तक नहीं हुआ है।
  • मार्च 2023 में, CLCS ने अरब सागर क्षेत्र में भारत के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। हालाँकि, आयोग ने देशों को 'संशोधित दावे' प्रस्तुत करने की अनुमति दी।

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महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग

  • महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग (Commission on the Limits of the Continental Shelf – CLCS) संयुक्त राष्ट्र का एक तकनीकी निकाय है जो देशों द्वारा किए गए महाद्वीपीय शेल्फ विस्तार दावों की वैज्ञानिक और तकनीकी समीक्षा करता है।
  • यह आयोग UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) के अनुच्छेद 76 के अंतर्गत कार्य करता है।
  • उद्देश्य:
    • राज्यों द्वारा प्रस्तुत दावों की जाँच करना : जब कोई तटीय देश अपनी महाद्वीपीय शेल्फ को 200 नॉटिकल मील से आगे बढ़ाने का दावा करता है, तो CLCS यह देखता है कि क्या वह UNCLOS के मानदंडों को पूरा करता है या नहीं।
    • सिफारिशें देना : यदि दावे वैज्ञानिक रूप से वैध पाए जाते हैं, तो आयोग उस पर अनुशंसा (recommendation) देता है।
    • सीमा निर्धारण में भूमिका नहीं :  आयोग का कार्य केवल तकनीकी सिफारिश देना है, यह देशों के बीच सीमाओं को निर्धारित नहीं करता है। 
  • संरचना
    • कुल 21 सदस्य 
      • सभी सदस्य भू-विज्ञान, समुद्रशास्त्र और भूगर्भशास्त्र के विशेषज्ञ 
      • UNCLOS के राज्य पक्षकारों द्वारा निर्वाचित 
      • पाँच वर्ष का कार्यकाल 

सर क्रीक विवाद

  • यह 96 किमी. लंबी जलधारा है जो गुजरात (भारत) और सिंध (पाकिस्तान) को विभाजित करती है।
  • भारत  इस क्षेत्र में थालवेग सिद्धांत को मानता है, जबकि पाकिस्तान पूरे सिर क्रीक पर अपना दावा करता है।
    • थाल्वेग सिद्धांत के अनुसार, यदि दो देशों के बीच सीमा एक नौगम्य (navigable) नदी के द्वारा बनती है, तो सीमा उस नदी की सबसे गहरी धारा (main navigational channel) के साथ तय की जाती है।

रणनीतिक महत्त्व

  • इस क्षेत्र में अत्यधिक गैस, तेल और मत्स्य संसाधन पाए जाते हैं।
  • भारत के नए दावे से इसका सामरिक एवं आर्थिक नियंत्रण और मजबूत होगा।

निष्कर्ष

भारत का नया महाद्वीपीय शेल्फ दावा उसकी भू-राजनीतिक रणनीति, आर्थिक हितों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था में मजबूती का प्रतीक है। हालाँकि, जब तक पाकिस्तान के साथ समुद्री सीमाएँ स्पष्ट नहीं होतीं, तब तक यह क्षेत्र विवादों और तनाव का केंद्र बना रहेगा। इसके समाधान के लिए राजनयिक संवाद, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता, और विश्वसनीय सीमा निर्धारण की आवश्यकता है।

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