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भारत का कपड़ा उद्योग और कपास आयात शुल्क छूट

 चर्चा में क्यों ?

  • भारत सरकार ने हाल ही में कपास पर आयात शुल्क में 11% की छूट को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 तक लागू रखने की घोषणा की है।


प्रमुख बिन्दु:

  • इस निर्णय को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • कपास पर शुल्क छूट से देश के कपड़ा उद्योग को राहत मिलेगी, जो पहले से ही मांग–आपूर्ति अंतर और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • विभिन्न कपड़ा संघों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है और इसे उद्योग, उपभोक्ता तथा किसानों तीनों के लिए लाभकारी बताया है।

भारत का कपड़ा उद्योग : स्थिति और महत्व

  • भारत का कपड़ा उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है।
  • यह उद्योग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
  • भारत के कुल वस्त्र निर्यात में सूती वस्त्रों का हिस्सा लगभग 33% है।
  • वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल–अक्टूबर) के दौरान भारत के कपड़ा एवं परिधान निर्यात में सूती वस्त्रों का मूल्य लगभग 7.08 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
  • रेडीमेड परिधानों के बाद सूती वस्त्र निर्यात, देश के वस्त्र निर्यात में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

शुल्क छूट से संभावित लाभ

1. उद्योग को लाभ

  • शुल्क छूट से सूत, कपड़ा, परिधान और मेड-अप सहित पूरे कपड़ा मूल्य श्रृंखला में कच्चे माल की लागत स्थिर होगी।
  • निर्यात-उन्मुख इकाइयों और छोटे–मध्यम उद्यमों को राहत मिलेगी।
  • कपड़ा उद्योग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी, जिससे नए निर्यात ऑर्डर आने की संभावना भी बढ़ेगी।

2. उपभोक्ताओं को लाभ

  • कच्चे माल की लागत कम होने से तैयार परिधानों और अन्य उत्पादों की कीमतों में स्थिरता आएगी।
  • इससे आम उपभोक्ता को किफायती दामों पर वस्त्र उपलब्ध हो सकेंगे।

3. किसानों को अप्रत्यक्ष लाभ

  • भारत का कपड़ा उद्योग अपनी लगभग 95% कपास की आवश्यकता घरेलू उत्पादन से पूरी करता है।
  • शुल्क छूट से कपड़ा मिलों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी, जिससे वे किसानों को बेहतर मूल्य देने में सक्षम होंगे।
  • यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि आयातित कपास घरेलू कपास का विकल्प न बने, बल्कि विशिष्ट औद्योगिक आवश्यकताओं को ही पूरा करे।

किसानों के हितों की सुरक्षा

  • किसानों को संरक्षण देने के लिए भारतीय कपास निगम लिमिटेड (CCI) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था संचालित करता है।
  • MSP के अंतर्गत किसानों को उनकी लागत से कम से कम 50% अधिक मूल्य दिलाने की गारंटी दी जाती है।
  • आयातित कपास प्रायः तब लाया जाता है जब घरेलू उत्पादन अपर्याप्त हो या औद्योगिक गुणवत्ता की विशेष मांग हो।
  • इससे घरेलू किसानों के हित सुरक्षित रहते हैं और उनकी बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

रणनीतिक और दीर्घकालिक महत्व

  • कपास की स्थिर आपूर्ति से रोजगार में गिरावट को रोका जा सकेगा और उद्योग का सतत विकास संभव होगा।
  • उच्च गुणवत्ता और उच्च मूल्य वाले परिधान एवं कपड़ों का उत्पादन बढ़ेगा।
  • इससे सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और घरेलू विनिर्माण लक्ष्यों को बल मिलेगा।
  • सरकार कपास की कीमतों पर लगातार निगरानी रखती है और आवश्यकतानुसार सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए लचीलापन बनाए रखती है।

प्रश्न. हाल ही में भारत सरकार ने कपास पर 11% आयात शुल्क छूट किस तिथि तक बढ़ाई है ?

(a) 31 मार्च 2025

(b) 31 दिसंबर 2025 

(c) 30 जून 2026

(d) 31 दिसंबर 2026

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