भारतीय नौसेना ने 6 अक्तूबर, 2025 को विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में दूसरा पनडुब्बी रोधी युद्धक पोत आईएनएस एंड्रोथ नौसेना में शामिल किया। इस श्रेणी के पहले पोत आईएनएस अर्नाला का जून की शुरुआत में जलावतरण किया गया था।
आईएनएस एंड्रोथ के बारे में
- आईएनएस एंड्रोथ में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है जो भारतीय नौसेना के निरंतर प्रयास को दर्शाता है कि वे घरेलू समाधानों एवं नवीन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा दे रही है। इसकी लंबाई 77 मीटर और वजन लगभग 1,500 टन है।
- आईएनएस एंड्रोथ को विशेष रूप से तटीय एवं उथले पानी में पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह दीर्घकालिक अभियानों के लिए उपयुक्त और उथले पानी में लंबे समय तक संचालन कर सकता है। यह समुद्री निगरानी, खोज और बचाव, तटीय रक्षा व कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (LIMO) के लिए उपयुक्त है।
- आईएनएस एंड्रोथ का नाम लक्षद्वीप समूह के उत्तरी द्वीप एंड्रोथ (एंड्रोट) के नाम पर रखा गया है जो भारत के समुद्री क्षेत्र में ऐतिहासिक एवं सामरिक महत्व रखता है।
आत्मनिर्भर पहल में योगदान
- आत्मनिर्भर भारत की पहल के तहत स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने आईएनएस एंड्रोथ के निर्माण के लिए विशेष ग्रेड स्टील की पूरी आपूर्ति की।
यह स्टील बोकारो, भिलाई एवं राउरकेला संयंत्रों से प्रदान किया गया। इस आपूर्ति में एचआर शीट्स और प्लेट्स शामिल हैं।
- आईएनएस एंड्रोथ गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा निर्मित आठ ASW-SWC (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft) पोतों में से एक है, जो भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमता और तटीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।