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INS सूरत: एक आधुनिक स्टील्थ विध्वंसक

  • भारतीय नौसेना ने 24 अप्रैल, 2025 को अपने नवीनतम स्टील्थ विध्वंसक पोत INS सूरत से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Surface-to-Air Missile) का सफल परीक्षण किया। 
  • यह परीक्षण अरब सागर में एक सी-स्किमिंग (Sea Skimming) लक्ष्य के विरुद्ध किया गया, जो भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

सी-स्कीमिंग (Sea-Skimming)

  • सी-स्कीमिंग तकनीक या रणनीति में कोई मिसाइल, ड्रोन या विमान समुद्र की सतह के बहुत निकट (प्राय: 3 से 10 मीटर की अत्यंत निम्न ऊँचाई पर) उड़ान भरता है। इसका मुख्य उद्देश्य रडार एवं अन्य निगरानी प्रणालियों से बचना है। पानी की सतह के निकट रहने से रडार की किरणें सीधा उसे नहीं पकड़ पाती हैं (क्योंकि रडार की लाइन-ऑफ-साइट लिमिट होती है)।
  • फ्रांस की एक्सोसेट (Exocet), अमेरिका की हार्पून (Harpoon), भारत की ब्रह्मोस BrahMos (सुपर-सोनिक सी-स्कीमिंग) एवं चीन की C-802 (YJ-82) मिसाइल इसके उदाहरण हैं। 

उद्देश्य

  • दुश्मन के रडार से छुपकर अचानक हमला करना
  • मिसाइल को कम समय में डिटेक्ट करना मुश्किल बनाना
  • दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देना

INS सूरत: एक आधुनिक स्टील्थ विध्वंसक

  • परिचय: INS सूरत, विशाखापत्तनम श्रेणी (Visakhapatnam-class) का चौथा एवं अंतिम विध्वंसक पोत है जिसे प्रोजेक्ट 15B के तहत निर्मित किया गया है।
  • निर्माण एवं कमीशनिंग: इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा किया गया है तथा यह पोत 15 जनवरी, 2025 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 
  • तकनीकी विशेषताएँ: यह भारतीय नौसेना का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सक्षम युद्धपोत है जो उन्नत सेंसर, रडार एवं हथियार प्रणालियों से सुसज्जित है।
    • इसमें सुपरसोनिक सतह-से-सतह में मार करने वाली ‘ब्रह्मोस’ मिसाइलें एवं ‘बराक-8’ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई गई हैं।
    • यह विध्वंसक पोत जल के नीचे युद्ध (Undersea Warfare) की क्षमता से लैस है जिसमें स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-सबमरीन हथियार एवं सेंसर आदि शामिल हैं। 
    • इसमें 75% से अधिक स्वदेशी उपकरणों का उपयोग किया गया है जो भारत की बढ़ती रक्षा स्वावलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • अन्य विशेषताएँ : 
    • लंबाई : लगभग 163 मीटर
    • वजन : लगभग 7,400 टन
    • गति : 30 नॉट्स (लगभग 55 किमी./घंटा)

रणनीतिक महत्व

  • प्रौद्योगिकीय उपलब्धि : यह परीक्षण भारतीय नौसेना की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता को दर्शाता है।
  • रणनीतिक महत्व : इस परीक्षण से भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं में वृद्धि हुई है जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है।
  • आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम : इस प्रकार के परीक्षण भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को साकार करते हैं।
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