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एकीकृत अग्नि प्रबंधन स्वैच्छिक दिशा-निर्देश : सिद्धांत एवं रणनीतिक कार्रवाइयाँ

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं आपदा संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण , पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने वनों में लगने वाली आग (वनाग्नि) के जोखिम प्रबंधन को लेकर देशों को दिशा-निर्देश जारी किया है। वनाग्नि से व्यक्तियों एवं पर्यावरण को अत्यधिक खतरा हो सकता है। 

एकीकृत अग्नि प्रबंधन स्वैच्छिक दिशा-निर्देश (Integrated Fire Management Voluntary Guidelines)

  • इसमें सिद्धांत एवं रणनीतिक कार्यों को शामिल किया गया है। यह एफ.ए.ओ. का नवीनतम प्रकाशन है, जो दो दशक पूर्व पहली बार प्रकाशित अग्नि प्रबंधन दिशानिर्देशों को अपडेट (अद्यतन) करता है। 
  • यह संस्करण जलवायु संकट से उत्पन्न वर्तमान चुनौतियों को संबोधित करता है और सक्रिय रणनीतियों तथा तैयारियों पर जोर देता है।

अग्नि प्रबंधन स्वैच्छिक दिशा-निर्देश

  • इसे सर्वप्रथम वर्ष 2006 में जारी किया गया। इसका उद्देश्य देशों को अनुसंधान एवं विश्लेषण, जोखिम में कमी से लेकर प्रतिक्रिया (आग लगने पर) और बहाली तक अग्नि प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करना था।
  • वर्तमान में इसका दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया है, जिसका शीर्षक ‘एकीकृत अग्नि प्रबंधन स्वैच्छिक दिशा-निर्देश : सिद्धांत एवं रणनीतिक कार्रवाइयाँ’ हैं।

दिशा-निर्देश के प्रमुख सिद्धांत 

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक
    • आग का उपयोग एवं प्रबंधन उचित तरीके से करके सतत आजीविका को बढ़ावा देना।
    • आग के प्रतिकूल प्रभावों को न्यूनतम करके मानव स्वास्थ्य एवं सुरक्षा में सुधार करना।
    • स्थानीय लोगों एवं पारंपरिक ग्रामीण समुदायों की भूमि पर आग का उपयोग समुदायों के अनुरूप प्रथा के रूप में करना। 
      • हालाँकि, इसे वर्तमान में पर्यावरण अनुकूल बनाया जाना चाहिए।
  • आर्थिक : एक कुशल एकीकृत अग्नि प्रबंधन कार्यक्रम के माध्यम से लाभ को अधिकतम करना और वन की अग्नि से होने वाली हानि को न्यूनतम करना।
  • पर्यावरण : नियोजन एवं प्रबंधन में जलवायु परिवर्तन, वनस्पति तथा अग्नि व्यवस्था को एकीकृत करना।
  • विधान एवं शासन : सभी अग्नि प्रबंधन गतिविधियाँ कानूनी ढांचे पर आधारित होनी चाहिए तथा स्पष्ट नीति एवं प्रक्रियाओं द्वारा समर्थित होनी चाहिए।

दिशा-निर्देश के उद्देश्य

  • एकीकृत पहलों, अनुभवों एवं ज्ञान के संवर्धन व विस्तार पर चर्चा करने के लिए फायर हब के प्रमुख साझेदारों को एक साथ लाना।
  • अग्नि प्रबंधन रणनीतियों में पारंपरिक ज्ञान एवं प्रथाओं व वैज्ञानिक प्रगति को एकीकृत करने के महत्व को समझना।
  • वैश्विक वन अग्नि प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने तथा समुदायों व पर्यावरण पर वन की अग्नि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देना एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।

दिशा-निर्देश की प्रमुख विशेषताएँ

  • सक्रिय रणनीतियों का निर्माण
  • विज्ञान एवं पारंपरिक ज्ञान का एकीकरण
  • लिंग समावेशन 
  • रणनीतिक कार्यवाहियाँ 

क्या है वनाग्नि 

  • वनाग्नि मुख्यतः अनियोजित आग होती है। अंटार्कटिका को छोड़कर लगभग सभी महाद्वीपों में वनाग्नि की घटनाएँ देखी गई हैं। 
  • 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से वन को संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची में शामिल किया गया हैं।

वनाग्नि के प्रमुख कारण 

  • मानव जनित कारण : वनाग्नि की लगभग 90% घटनाएँ मानव जनित होती हैं। इसमें कैंपफायर को बिना बुझाए छोड़ देना, जलती सिगरेट को फेंकना, जानबूझकर की गई आगज़नी, कूड़े-मलबे आदि को ग़लत तरीके से जलाना एवं आतिश बाज़ी आदि आदि मुख्य हैं। 
  • प्राकृतिक कारण : आकाशीय बिजली, ज्वालामुखी विस्फोट एवं उच्च वायुमंडलीय तापमान व सूखापन वनाग्नि के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। वनाग्नि के प्रमुख कारणों में आकाशीय बिजली एक है। 
    • इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन से सतह पर वायुताप में वृद्धि हो रही है, जिससे कार्बन डाईऑक्साइड व वनाग्नि के प्रसार की प्रतिशतता में वृद्धि हुई है।

वनाग्नि के मुख्य प्रकार

  • क्राउन फायर (Crown Fires) : इसमें वृक्ष अपनी पूरी लंबाई अर्थात ऊपर तक जल जाते हैं। ये सबसे तीव्र व खतरनाक वनाग्नि होती है।
  • सरफेस फायर (Surface Fires) : यह केवल वन क्षेत्र की सतह को प्रभावित करती है और पृष्ठीय कूड़े व मलबे के जलने का कारण बनती है। यह सबसे साधारण आग है जो वन को न्यूनतम रूप से प्रभावित करती है।
  • ग्राउंड फायर (Ground Fires) : इसे कभी-कभी भूमिगत या उपसतह आग कहा जाता है। ह्यूमस, पीट एवं इसी तरह की मृत वनस्पति पर्याप्त शुष्क हो जाती हैं और इनमें लगी आग को उपसतह अग्नि कहते हैं। ये आग अत्यधिक मंद गति से बढ़ती है किंतु इससे पूर्णतया बाहर निकलना या इस आग को नियंत्रित करना बहुत कठिन होता है।

वनाग्नि का प्रभाव 

  • मूल्यवान लकड़ी (टिम्बर) संसाधनों की क्षति 
  • जलग्रहण वाले क्षेत्रों का क्षरण
  • जैव-विविधता, पौधों एवं जानवरों की विलुप्त का खतरा
  • वैश्विक तापमान में वृद्धि 
  • कार्बन सिंक संसाधन की हानि के साथ-साथ वातावरण में CO2 के प्रतिशत में वृद्धि
  • माइक्रॉक्लाइमेट (किसी विशेष लघु क्षेत्र की जलवायु) में परिवर्तन
  • मृदा अपरदन एवं मृदा उत्पादकता पर प्रभाव 
  • ओज़ोन परत रिक्तीकरण
  • आदिवासियों एवं ग्रामीणों की आजीविका की क्षति

वनाग्नि की घटनाएँ

  • अनुमान है कि इस सदी के अंत तक भीषण वनाग्नि की घटनाएँ लगभग 50% बढ़ जाएंगी। साथ ही, जलवायु परिवर्तन से संबंधित पर्यावरणीय परिवर्तनों, जैसे- सूखे में वृद्धि, उच्च वायु तापमान एवं तेज हवाओं के कारण आग लगने की अवधि अधिक गर्म, शुष्क व लंबी हो सकती है। 
  • वर्तमान में पृथ्वी की सतह का लगभग 340 मिलियन से 370 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र प्रतिवर्ष जंगल की आग से प्रभावित होता है। चरम स्थिति में पहुँचने की स्थिति में जंगल की आग सतत विकास को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं, समुदायों की आजीविका को ख़तरा पैदा कर सकती हैं और अत्यधिक मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित कर सकती हैं। 

वनाग्नि निवारण एवं प्रबंधन 

राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास 

  • इसके प्रबंधन के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय वनाग्नि कार्य योजना, 2018 (National Action Plan on Forest Fires) जारी किया है।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय वनाग्नि निवारण एवं प्रबंधन (Forest Fire Prevention and Management : FPM) योजना के तहत वनाग्नि से बचाव व प्रबंधन उपायों की देखरेख करती है।
  • एफ.पी.एम. के तहत आवंटित धनराशि में पूर्वोत्तर एवं पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में केंद्रीय व राज्य निधि का अनुपात 90:10 है जबकि अन्य सभी राज्यों के लिये यह अनुपात 60:40 का है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास 

  • वैश्विक अग्नि प्रबंधन हब (Global Fire Management Hub) को एफ.ए.ओ. एवं यू.एन.ई.पी. ने मई 2023 में लॉन्च किया। इसे कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है।
    • इसका उद्देश्य वैश्विक अग्नि प्रबंधन समुदाय को एकजुट करना है और एकीकृत अग्नि प्रबंधन रणनीतियों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय क्षमताओं को बढ़ाना है।
    • एकीकृत अग्नि प्रबंधन रणनीतियों के लिए राष्ट्रीय क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 5 मिलियन डॉलर की धनराशि सुरक्षित की गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने वैश्विक सरकारों से एक नया 'फायर रेडी फॉर्मूला' अपनाने का आह्वान किया है। इसमें वनाग्नि प्रबंधन के लिये कुल बजटीय आबंटन में 66% हिस्सा नियोजन, रोकथाम, तैयारी एवं रिकवरी के लिये, जबकि शेष हिस्से को प्रतिक्रिया (Response) पर व्यय करने की परिकल्पना की गई है।
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