चर्चा में क्यों ?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अरुणाचल प्रदेश के सुदूर शि-योमी जिले के मेचुका सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु:
- यह पहल मुस्कान फ़ाउंडेशन के सहयोग से शुरू की गई।
- इसका औपचारिक उद्घाटन 16 अगस्त 2025 को अरुणाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री पासंग दोरजी सोना ने किया।
प्रयोगशाला का उद्देश्य और दृष्टि
- अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में व्यावहारिक शिक्षण के अवसर प्रदान करना।
- छात्रों में जिज्ञासा,नवाचार और वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना।
- STEM शिक्षा (विज्ञान,प्रौद्योगिकी,इंजीनियरिंग, गणित) में ग्रामीण युवाओं की भागीदारी बढ़ाना।
- शहरी और ग्रामीण शैक्षिक अवसरों के बीच की खाई को पाटना और दूरदराज़ क्षेत्रों के छात्रों को आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
सुविधा का नामकरण
- इस प्रयोगशाला का नाम पसांग वांगचुक सोना के नाम पर रखा गया है,जो शिक्षा मंत्री पासंग दोरजी सोना के पिता थे।
- यह नाम शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और उनके योगदान को सम्मानित करता है।
अरुणाचल प्रदेश के लिए महत्व
- दूरस्थ क्षेत्रों में विज्ञान को बढ़ावा देना: मेचुका जैसे सुदूर और भारत-चीन सीमा के निकट स्थित कस्बों में आधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना,वैज्ञानिक संसाधनों को समावेशी और सुलभ बनाने की इसरो की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- भावी वैज्ञानिकों को सशक्त बनाना: स्थानीय प्रतिभाओं को पोषित करना और छात्रों को अंतरिक्ष अनुसंधान, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक नवाचार में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना।
ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन)
- स्थापना: 15 अगस्त 1969, बेंगलुरु
- संस्थापक: डॉ. विक्रम साराभाई
- मुख्य उद्देश्य: भारत के लिए शांति और विकास हेतु अंतरिक्ष तकनीक का विकास
- प्रमुख मिशन: आर्यभट्ट (1975), चंद्रयान-1 (2008), मंगलयान (2013), गगनयान (आगामी)
- विशेषता: कम लागत में सफल अंतरिक्ष मिशन, ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा
प्रश्न. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अरुणाचल प्रदेश में किस जिले के स्कूल में अंतरिक्ष प्रयोगशाला का उद्घाटन किया ?
(a) तवांग
(b) शि-योमी
(c) लोहित
(d) पश्चिम कामेंग
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