(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
तमिलनाडु सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के नामकरण और प्रचार सामग्री में जीवित व्यक्तियों का नाम एवं राजनीतिक प्रतीकों का उपयोग एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है। विपक्षी सांसद सी.वी. शनमुगम द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के आधार पर मद्रास उच्च न्यायालय ने इस प्रथा पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश पारित किया।
संबंधित मुद्दा
- जीवित व्यक्तियों के नाम पर योजनाएँ : तमिलनाडु सरकार ने ‘उंगलुडन स्टालिन’ (आपके साथ स्टालिन) और ‘नलम काक्कुम स्टालिन थिट्टम’ (स्टालिन स्वास्थ्य संरक्षण योजना) जैसी योजनाओं में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नाम का उपयोग किया।
- राजनीतिक प्रचार का आरोप : याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जीवित व्यक्तियों के नाम और DMK के प्रतीकों/चिह्नों का उपयोग सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है जो सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों और सरकारी विज्ञापन (सामग्री विनियमन) दिशानिर्देश, 2014 का उल्लंघन करता है।
- योजनाओं का राजनीतिकरण : इन योजनाओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों, वैचारिक नेताओं की तस्वीरें और DMK के प्रतीक चिह्न/झंडे शामिल किए गए हैं जो राजनीतिक तटस्थता के सिद्धांत के खिलाफ है।
मद्रास उच्च न्यायालय का हालिया आदेश
- अंतरिम आदेश : 1 अगस्त, 2025 को मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस सुंदर मोहन की प्रथम डिवीजन बेंच ने तमिलनाडु सरकार को नई या पुनर्ब्रांडेड कल्याणकारी योजनाओं के नामकरण में किसी भी जीवित व्यक्ति के नाम का उपयोग करने से रोक दिया।
- विज्ञापनों पर प्रतिबंध : न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों में पूर्व मुख्यमंत्रियों, वैचारिक नेताओं की तस्वीरें या DMK के प्रतीक चिह्न/झंडे का उपयोग करने पर भी रोक लगाई।
- स्पष्टीकरण : न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश योजनाओं के शुभारंभ, कार्यान्वयन या संचालन को रोकता नहीं है बल्कि केवल नामकरण व प्रचार सामग्री तक सीमित है।
नियम एवं कानून
- सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश : सर्वोच्च न्यायालय के ‘कॉमन कॉज़ बनाम भारत संघ’ (2015) मामले में दिए गए फैसले में कहा गया कि सरकारी योजनाओं के नामकरण और प्रचार सामग्री में जीवित व्यक्तियों का नाम या राजनीतिक प्रतीकों का उपयोग सार्वजनिक धन के राजनीतिक दुरुपयोग को बढ़ावा देता है।
- कर्नाटक बनाम कॉमन कॉज़ (2016) : सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वर्तमान मुख्यमंत्री की तस्वीर का सीमित उपयोग सरकारी विज्ञापनों में अनुमत है किंतु पूर्व मुख्यमंत्रियों या वैचारिक नेताओं की तस्वीरें और राजनीतिक प्रतीकों का उपयोग निषिद्ध है।
- सरकारी विज्ञापन (सामग्री विनियमन) दिशानिर्देश, 2014 : ये दिशानिर्देश सरकारी विज्ञापनों में राजनीतिक तटस्थता सुनिश्चित करने और व्यक्तिगत या पार्टी गौरव को रोकने के लिए बनाए गए हैं।
- चुनाव आयोग के नियम : चुनाव प्रतीक (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 का पैराग्राफ 16A राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
संबंधित चिंताएँ और प्रभाव
- चिंताएँ :
- सार्वजनिक धन का दुरुपयोग : जीवित नेताओं के नाम पर योजनाओं का नामकरण और प्रचार सामग्री में पार्टी प्रतीकों का उपयोग सार्वजनिक धन का राजनीतिक लाभ के रूप में दुरुपयोग माना जाता है।
- राजनीतिक तटस्थता का उल्लंघन : यह प्रथा सरकारी योजनाओं की तटस्थता को कमजोर करती है और सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ प्रदान करती है, विशेष रूप से वर्ष 2026 के विधानसभा चुनावों के संदर्भ में।
- चुनावी निष्पक्षता पर प्रभाव : DMK जैसे दलों द्वारा सरकारी संसाधनों का उपयोग चुनावी प्रचार के लिए निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
- प्रभाव :
- कानूनी मिसाल : यह आदेश तमिलनाडु और अन्य राज्यों में सरकारी योजनाओं के नामकरण एवं प्रचार में राजनीतिक तटस्थता को मजबूत करने के लिए एक मिसाल कायम करता है।
- चुनाव आयोग की भूमिका : न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ECI इस मामले में स्वतंत्र रूप से कार्रवाई कर सकता है जिससे सरकार पर जवाबदेही बढ़ सकती है।
आगे की राह
- कानूनी अनुपालन : तमिलनाडु सरकार को सर्वोच्च न्यायालय और ECI के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए योजनाओं का नामकरण एवं प्रचार सामग्री तैयार करनी चाहिए।
- पारदर्शिता एवं जवाबदेही : सरकारी योजनाओं में राजनीतिक प्रतीकों और जीवित व्यक्तियों के नाम के उपयोग पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है।
- चुनाव आयोग की सक्रियता : ECI को पैराग्राफ 16A के तहत शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग रोका जा सके।
- जागरूकता और सुधार : सरकार को सरकारी विज्ञापनों में तटस्थता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश लागू करने चाहिए और कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षित करना चाहिए।
- नागरिक भागीदारी : जनहित याचिकाओं एवं नागरिक निगरानी के माध्यम से सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना चाहिए।
- राजनीतिक सुधार : राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से ऐसी प्रथाओं से बचना चाहिए जो सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को बढ़ावा देती हों ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे।
- नामकरण नीति का विकास : सरकार को एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए, जो यह सुनिश्चित करे कि कल्याणकारी योजनाओं का नाम तटस्थ एवं समावेशी हो, जैसे-सामाजिक कल्याण या क्षेत्रीय पहचान पर आधारित नाम।