New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

जुलाई चार्टर : नए बांग्लादेश की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।)

संदर्भ

17 अक्टूबर 2025 को बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस ने ‘जुलाई चार्टर’ पर हस्ताक्षर कर इसे “नए बांग्लादेश का जन्म” बताया। यह चार्टर ‘राष्ट्रीय सहमति आयोग’ द्वारा तैयार किया गया, जिसमें 25 राजनीतिक दलों ने हस्ताक्षर किए। हालांकि छात्र-नेतृत्व वाले नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने इसे “कानूनी आधार के बिना हस्ताक्षरित” बताते हुए इसका बहिष्कार किया।

क्या है जुलाई चार्टर (July Charter)

  • यह चार्टर बांग्लादेश में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना और संस्थागत सुधार के लिए तैयार किया गया एक राजनीतिक दस्तावेज है।
  • इसमें 80 से अधिक सुधार प्रस्ताव शामिल हैं जो शासन, न्यायपालिका, शिक्षा, और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में परिवर्तन लाने पर केंद्रित हैं।
  • अंतरिम प्रधानमंत्री डॉ. यूनुस ने कहा, “यह नए बांग्लादेश का जन्म है, जहाँ जनता की इच्छा सर्वोपरि होगी।”

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • जुलाई 2024 में हुए छात्र और जन-आंदोलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को हटाने में प्रमुख भूमिका निभाई।
  • इस आंदोलन को “जुलाई विद्रोह” कहा गया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए एवं मारे गए।
  • उसके बाद से देश में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसकी अगुवाई डॉ. यूनुस ने की।
  • चार्टर का उद्देश्य इस उथल-पुथल के बाद स्थायी लोकतांत्रिक ढांचा तैयार करना है।

मुख्य प्रावधान

  • राजनीतिक सुधार:
    • वर्ष 1975 के बाद से चली आ रही एकदलीय प्रवृत्तियों को समाप्त कर बहुदलीय लोकतंत्र की पुनर्स्थापना।
    • वर्ष 2014, 2018 और 2024 के विवादास्पद चुनावों की पुनर्समीक्षा और चुनावी सुधारों पर जोर।
  • न्यायपालिका और प्रशासन:
    • न्यायपालिका, पुलिस और प्रशासन को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने की प्रतिज्ञा।
    • भ्रष्टाचार और परिवारवाद पर रोक लगाने की योजना।
  • सामाजिक न्याय और मानवाधिकार:
    • जुलाई आंदोलन के प्रतिभागियों (July Fighters) को कानूनी संरक्षण और पुनर्वास प्रदान करना।
    • मानवाधिकार उल्लंघनों की स्वतंत्र जांच समिति का गठन।
  • इतिहास और लोकतांत्रिक विरासत का पुनर्मूल्यांकन:
    • चार्टर में भाषा आंदोलन (1952), स्वतंत्रता संग्राम (1971) और जनउभार (1969) जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों को सम्मानपूर्वक पुनः उल्लेखित किया गया है।
  • सात सूत्री प्रतिबद्धता (Seven-Point Commitment):
    • जनता की इच्छा के प्रति निष्ठा
    • पारदर्शी शासन व्यवस्था
    • चुनावी निष्पक्षता
    • न्यायिक स्वतंत्रता
    • मानवाधिकार संरक्षण
    • युवाओं की भागीदारी
    • राष्ट्रीय सहमति आधारित शासन

प्रभाव (Impact)

राजनीतिक प्रभाव

  • चार्टर के माध्यम से देश में लोकतांत्रिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • विपक्षी दलों जैसे BNP और जमात-ए-इस्लामी की पुनः राजनीतिक सक्रियता को वैधता मिली।

सामाजिक प्रभाव

  • “जुलाई फाइटर्स” को सम्मान देने से समाज में न्याय और सम्मान की भावना बढ़ी।
  • जनता में शासन परिवर्तन को लेकर विश्वास का वातावरण बना।

प्रशासनिक प्रभाव

  • प्रशासन और पुलिस में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग मजबूत हुई।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश को लोकतांत्रिक सुधारों के उदाहरण के रूप में देखा जाने लगा।

चिंताएँ और चुनौतियाँ

  • कानूनी वैधता की कमी: NCP का आरोप है कि चार्टर का संवैधानिक या विधिक आधार स्पष्ट नहीं है।
  • राजनीतिक विभाजन: छात्र संगठनों और युवा वर्ग का विरोध अभी भी जारी है।
  • हिंसक विरोध प्रदर्शन: चार्टर हस्ताक्षर समारोह के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं।
  • पूर्व सरकार के समर्थकों की अनुपस्थिति: आवामी लीग को चर्चाओं से पूरी तरह बाहर रखा गया, जिससे राष्ट्रीय एकता पर प्रश्नचिह्न लग गया।
  • संस्थागत स्थिरता की कमी: अंतरिम सरकार की सीमित वैधता के कारण सुधारों के क्रियान्वयन को लेकर संदेह बना हुआ है।

आगे की राह

  • संवैधानिक आधार सुनिश्चित करना : चार्टर को संसद और न्यायपालिका की मान्यता दिलाना आवश्यक है।
  • सभी पक्षों को शामिल करना : आवामी लीग समेत सभी दलों को संवाद की प्रक्रिया में जोड़ना होगा।
  • युवाओं की भागीदारी बढ़ाना : NCP जैसे छात्र संगठनों को सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बनाना।
  • सुरक्षा और शांति की गारंटी : विरोध प्रदर्शनों के बजाय संवाद आधारित समाधान पर बल देना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग : लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य साझेदार देशों से समर्थन लेना।

निष्कर्ष

जुलाई चार्टर बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय है, जहाँ लोकतंत्र, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि चुनौतियाँ अनेक हैं, लेकिन यदि चार्टर को कानूनी और सामाजिक समर्थन मिला, तो यह वास्तव में “नए बांग्लादेश” की नींव साबित हो सकता है; एक ऐसा देश जो लोकतंत्र की भावना और जनता की आकांक्षाओं पर टिका हो।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X