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कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 3: भूगोल एवं अवसंरचना)

संदर्भ 

नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी (NDSA) ने तेलंगाना की कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के तीन बैराजों- मेडिगड्डा, अन्नाराम एवं सुंदिल्ला में ‘अपूरणीय क्षति’ की पुष्टि की है, जिससे इसकी सुरक्षा, विश्वसनीयता व भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।

कालेश्वरम परियोजना के बारे में 

  • परिचय : कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (Kaleshwaram Lift Irrigation Project: KLIP) भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे बड़ी बहु-चरणीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना है। 
    • लिफ्ट सिंचाई प्रणाली : लिफ्ट सिंचाई में जल को गुरुत्वाकर्षण के बजाय शक्तिशाली पंपों से ऊँचाई पर स्थित जलाशयों तक पहुँचाया जाता है जिससे अधिक ऊँचाई पर स्थित खेतों को भी सिंचाई हेतु जल उपलब्ध हो पाता है जहाँ सामान्य नहर प्रणाली प्रभावी नहीं होती है। यह प्रणाली ऊर्जा-गहन होती है और इसके संचालन में सतत रखरखाव व तकनीकी दक्षता आवश्यक होती है।
  • उद्देश्य : सिंचाई, पेयजल एवं औद्योगिक उपयोग के लिए जलापूर्ति 
    • इस परियोजना के अनुसार, 240 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट (टी.एम.सी.) पानी में से 169 टी.एम.सी. या 70% से ज़्यादा पानी सिंचाई के लिए है। 30 टी.एम.सी. हैदराबाद नगरपालिका क्षेत्र के लिए है, 16 टी.एम.सी. विविध औद्योगिक उपयोगों के लिए है और 10 टी.एम.सी. आस-पास के गाँवों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए है।
  • प्रारंभ : जून 2019 (BRS सरकार के दौरान)
  • नदी : यह तेलंगाना राज्य की गोदावरी नदी पर स्थित है। 
  • विस्तार : यह परियोजना 13 जिलों में लगभग 500 किमी. तक फैली हुई है जिसमें 1,800 किमी. का नहर नेटवर्क है।
  • परियोजना के प्रमुख घटक : 
    • मेडिगड्डा बैराज – मुख्य जल संग्रहण केंद्र
    • अन्नाराम बैराज – जल नियंत्रण के लिए
    • सुंदिल्ला बैराज – पंपिंग और वितरण के लिए

परियोजना से संबंधित प्रमुख  समस्याएँ

संरचनात्मक क्षति

  • अक्तूबर 2023 में मेडिगड्डा बैराज के पिलर धँसने से बाढ़ आ गई।
  • अप्रैल 2024 में NDSA ने पाया कि तीनों बैराजों में डिज़ाइन में कमी, निर्माण की खामियाँ, गुणवत्ता नियंत्रण की समस्या और सुरक्षा मानकों की अनदेखी हुई।
  • मेडिगड्डा में पायर्स में झुकाव और दरारें, जबकि अन्नाराम व सुंदिल्ला में भी रिसाव जैसी समस्याएँ सामने आईं।

भू-तकनीकी त्रुटियाँ

  • परियोजना से पहले पर्याप्त भू-तकनीकी और मॉडलिंग अध्ययन नहीं किए गए।
  • क्षमता से अधिक जल संचयन (2 टी.एम.सी. की क्षमता के बैराजों में 10 टी.एम.सी. रखा गया) से नींव पर दबाव बढ़ा।

आगे की राह

  • NDSA ने डिज़ाइन की पुनर्वास (Rehabilitation), ढाँचागत मजबूती और भूमि की विस्तृत भू-तकनीकी जाँच की सिफारिश की है।
  • हाइड्रोलिक व संरचनात्मक मॉडलिंग, सुरक्षा मूल्यांकन और दीर्घकालिक निगरानी अनिवार्य की गई है।
  • सरकार को पारदर्शिता, जवाबदेही व स्वतंत्र तकनीकी मूल्यांकन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 

इसे भी जानिए!

नेशनल डैम सेफ्टी अथॉरिटी (NDSA) 

  • स्थापना: राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के तहत वैधानिक निकाय के रूप में।
  • उद्देश्य: भारत में बड़े बाँधों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और मानकीकरण को लागू करना।
  • नोडल मंत्रालय :  जल शक्ति मंत्रालय
  • प्रमुख कार्य:
    • बाँधों की डिज़ाइन, निर्माण व संचालन की निगरानी
    • संरचनात्मक संकट की स्थिति में तकनीकी निरीक्षण
    • राज्य डैम सेफ्टी (बाँध सुरक्षा) संगठनों के समन्वय का कार्य
    • बांध सुरक्षा के लिए कोड और दिशा-निर्देश तैयार करना
  • अधिकार क्षेत्र:
    • देशभर के सभी बड़े बाँध (1000+), विशेषकर अंतर-राज्यीय बाँधों पर निगरानी
    • राज्यों से रिपोर्ट की मांग और सुधारात्मक सुझाव
  • संगठनात्मक ढांचा:
    • अध्यक्ष: भारत सरकार द्वारा नियुक्त
    • सदस्य: CWC, IITs/NITs के विशेषज्ञ, राज्यों के प्रतिनिधि
  • विशेषाधिकार:
    • निरीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करना
    • दोषपूर्ण परियोजनाओं पर रिपोर्ट सौंपकर राज्य सरकारों को कार्रवाई के लिए निर्देशित करना
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