(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
1 नवंबर 2025 को केरल आधिकारिक रूप से ‘अत्यंत/चरम गरीबी मुक्त राज्य’ (Free of Extreme Poverty State) घोषित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में इस घोषणा का औपचारिक कार्यक्रम करेंगे।
क्या है चरम गरीबी (Extreme Poverty)
- अत्यंत/चरम गरीबी वह स्थिति है जब व्यक्ति या परिवार की मूलभूत आवश्यकताएँ भोजन, आवास, स्वास्थ्य और आजीविका, पूरी नहीं हो पातीं।
- अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन $2.15 (लगभग ₹180) से कम पर जीवन यापन करता है, उसे चरम गरीबी में माना जाता है।
- भारत में इसके आकलन में बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) का प्रयोग किया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर को सम्मिलित किया गया है।
केरल : पहला चरम गरीबी मुक्त राज्य
- नीति आयोग के वर्ष 2021 के अध्ययन के अनुसार, केरल में गरीबी दर मात्र 0.7% थी, जो देश में सबसे कम है।
- इस छोटी आबादी को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने सभी योजनाओं का समन्वय किया।
- राज्य ने विभिन्न विभागों, स्थानीय निकायों और सामाजिक संगठनों को जोड़कर सामूहिक प्रयास के माध्यम से यह लक्ष्य प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु
- केरल सरकार ने वर्ष 2021 में चरम गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया था।
- राज्यभर में किए गए सर्वेक्षण में 64,006 परिवारों को अत्यंत गरीब के रूप में चिन्हित किया गया।
- इन परिवारों को भोजन, स्वास्थ्य, आजीविका और आवास के आधार पर चयनित किया गया।
- सरकार ने व्यक्तिगत सूक्ष्म योजनाएँ बनाकर प्रत्येक परिवार की तात्कालिक और दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा किया।
- जिनके पास कोई सरकारी दस्तावेज नहीं थे, उन्हें राशन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराए गए।
- 3,913 परिवारों को घर, 1,338 परिवारों को भूमि, और 5,651 परिवारों के घरों की मरम्मत ₹2 लाख तक कराई गई।
- प्रत्येक लाभार्थी के घर को जियो-टैग किया गया ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

उपलब्धि के लाभ
- सामाजिक न्याय और समावेशिता को बल मिलेगा।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के क्षेत्र में दीर्घकालिक सुधार होंगे।
- श्रमिकों और वंचित वर्गों की मानव गरिमा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी।
- केरल के मॉडल से अन्य राज्य लक्षित सामाजिक कल्याण योजनाओं की दिशा में प्रेरणा ले सकेंगे।
यह भी जानें!
भारत में गरीबी दर (Poverty Rate in India)
- नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी रिपोर्ट (2023) के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 के बीच लगभग 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।
- भारत में गरीबी दर घटकर लगभग 11% के आसपास रह गई है।
- फिर भी, ग्रामीण क्षेत्रों में 15% से अधिक आबादी अब भी बहुआयामी गरीबी का सामना कर रही है।
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निष्कर्ष
केरल का “चरम गरीबी मुक्त राज्य” बनना भारत के सामाजिक विकास के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल सरकारी योजनाओं की दक्षता को दर्शाता है बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामुदायिक सहयोग से गरीबी उन्मूलन संभव है। अब आवश्यकता है कि अन्य राज्य भी केरल के इस मॉडल को अपनाकर समग्र और न्यायपूर्ण विकास की दिशा में कदम बढ़ाएँ।