(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 4: सरकारी योजनाएँ एवं कार्यक्रम; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका) |
संदर्भ
केरल सरकार ने शिक्षा में नैतिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) के उपयोग के लिए एक अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत किया है। केरल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन (KITE) के माध्यम से राज्य ने 80,000 शिक्षकों को ए.आई. के नैतिक एवं आलोचनात्मक उपयोग में प्रशिक्षित किया है।
केरल की नैतिक ए.आई. पहल
- शिक्षक प्रशिक्षण : KITE ने कक्षा 8 से 12 तक के 80,000 शिक्षकों को ए.आई. के नैतिक उपयोग, पूर्वाग्रह पहचान एवं डाटा गोपनीयता पर प्रशिक्षण प्रदान किया है। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को ए.आई. को जिम्मेदारीपूर्वक कक्षा में एकीकृत करने के लिए सशक्त बनाता है।
- मुफ्त एवं ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर : केरल ने 15,000 से अधिक स्कूलों में मुफ्त एवं ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर अपनाया है जो पारदर्शिता, स्वायत्तता व पाठ्यक्रम संरेखण को बढ़ावा देता है।
- लिटिल काइट्स आईटी क्लब : ये क्लब छात्रों में ए.आई. एवं रोबोटिक्स के प्रति व्यावहारिक शिक्षा को प्रोत्साहित करते हैं जिसे यूनिसेफ ने वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास माना है।
- समग्र प्लस ए.आई. : केरल ने अपना स्वयं का पाठ्यक्रम-संरेखित ए.आई. इंजन एवं लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया है, जो विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा तैयार डाटासेट का उपयोग करता है। यह व्यावसायिक प्लेटफॉर्म्स के विपरीत स्थानीय संदर्भ एवं शैक्षिक लक्ष्यों को प्राथमिकता देता है।
- पूर्वाग्रह-रोधी दृष्टिकोण : ओपन-सोर्स तकनीकों एवं रिट्रीवल-ऑगमेंटेड जेनरेशन (RAG) का उपयोग करके केरल एक पूर्वाग्रह-रोधी ए.आई. इंजन विकसित कर रहा है जो डाटा संप्रभुता व सटीकता को सुनिश्चित करता है।
शिक्षा में ए.आई. की चुनौतियाँ
- एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रह : कई व्यावसायिक ए.आई. प्रणालियाँ ऐतिहासिक डाटासेट पर आधारित होती हैं जो भेदभावपूर्ण परिणाम उत्पन्न कर सकती हैं। ये ‘ब्लैक बॉक्स’ प्रणालियां निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण पूर्वाग्रहों को ठीक करना मुश्किल बनाती हैं।
- डाटा गोपनीयता : वर्ष 2022 में ह्यूमन राइट्स वॉच की एक जांच में पाया गया कि भारत में कई एडटेक (EdTech) प्लेटफार्म बच्चों के संवेदनशील डाटा को तीसरे पक्ष के विज्ञापनदाताओं के साथ साझा कर रहे थे, जिससे निगरानी एवं प्रोफाइलिंग का जोखिम बढ़ गया।
- डिजिटल विभाजन : ए.आई. कार्यान्वयन के लिए इंटरनेट व व्यक्तिगत उपकरणों की आवश्यकता वंचित समुदायों को हाशिए पर धकेल सकती है जिससे शैक्षिक असमानता बढ़ती है।
- शिक्षण गुणवत्ता : ए.आई. पर अत्यधिक निर्भरता शिक्षकों की भूमिका को कम कर सकती है और आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता एवं सांस्कृतिक प्रासंगिकता को नजरअंदाज कर सकती है।
- सांस्कृतिक संदर्भ की अनदेखी : मानकीकृत ए.आई. प्लेटफार्म प्राय: स्थानीय संदर्भों को अनदेखा करते हैं जिससे शिक्षा का एकरूपीकरण हो सकता है और एन.सी.ई.आर.टी./एस.सी.ई.आर.टी. जैसे ढांचों के लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
पहल का महत्व
- नैतिक ए.आई. की आवश्यकता : यूनेस्को और यूनिसेफ जैसी संस्थाओं ने शिक्षा में ए.आई. के नैतिक उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया है। केरल का दृष्टिकोण इन वैश्विक चिंताओं का जवाब देता है जो पारदर्शिता, डाटा सुरक्षा एवं समानता को प्राथमिकता देता है।
- शिक्षक केंद्रित दृष्टिकोण : केरल का मॉडल शिक्षकों को तकनीकी सूत्रधार के बजाय शैक्षिक प्रक्रिया का केंद्र बनाए रखता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहती है।
- डिजिटल समता : मुफ्त एवं ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का उपयोग डिजिटल विभाजन को कम करता है जिससे वंचित समुदायों को भी तकनीकी लाभ मिलता है।
- वैश्विक मानक : यूनिसेफ द्वारा मान्यता प्राप्त केरल की पहल वैश्विक स्तर पर नैतिक ए.आई. एकीकरण के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करती है, जो अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
आगे की राह
- नीतिगत ढांचा : सरकार को शिक्षा में ए.आई. के लिए स्पष्ट नैतिक दिशानिर्देश और नियम लागू करने चाहिए, जिसमें डाटा गोपनीयता और एल्गोरिदम पारदर्शिता पर जोर हो।
- शिक्षक प्रशिक्षण का विस्तार : अन्य राज्यों को केरल के मॉडल को अपनाकर शिक्षकों को ए.आई. प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
- डिजिटल बुनियादी ढांचा : ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट एवं उपकरणों की उपलब्धता बढ़ाकर डिजिटल विभाजन को कम करना।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग : सख्त डाटा सुरक्षा मानकों के साथ ओपन-सोर्स ए.आई. समाधानों को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग।
- जागरूकता अभियान : छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों के बीच नैतिक ए.आई. उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
निष्कर्ष
केरल का शिक्षा में नैतिक ए.आई. का दृष्टिकोण वैश्विक स्तर पर एक मिसाल कायम कर रहा है। KITE के माध्यम से शिक्षक सशक्तिकरण, ओपन-सोर्स तकनीकों का उपयोग एवं डाटा संप्रभुता पर जोर देकर केरल ने दिखाया है कि ए.आई. को शिक्षा में जिम्मेदारीपूर्वक एकीकृत किया जा सकता है। यह मॉडल न केवल शैक्षिक गुणवत्ता और समता को बढ़ाता है बल्कि वैश्विक चुनौतियों, जैसे- डाटा गोपनीयता व पूर्वाग्रह को भी संबोधित करता है।