(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
तिरुवनंतपुरम में आयोजित ‘वृथि 2025: स्वच्छ केरल सम्मेलन’ नामक पाँच दिवसीय सम्मेलन में लगभग 25,000 लोगों ने भाग लिया।
वृथि 2025: स्वच्छ केरल सम्मेलन के बारे में
- आयोजन : 9 अप्रैल से 13 अप्रैल, 2025
- उद्देश्य : केरल की उपलब्धियों, विकसित किए गए मॉडलों एवं सफलतापूर्वक लागू की गई तकनीकों को प्रदर्शित करना और राज्य को स्वच्छ बनाने की दिशा में काम करने वाले व्यक्तियों व संस्थानों का सम्मान करना।
- उपलब्धि : केरल में घरों से कचरा संग्रहण लगभग 75% तक पहुँच गया है, जो एक वर्ष पूर्व तक केवल 40% थी।
- भागीदारी : 25,000 लोग (सभी स्तरों के हितधारक शामिल)
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केरल वृथि कार्यक्रम और स्वच्छ भारत अभियान: एक तुलनात्मक विश्लेषण
केरल वृथि कार्यक्रम के बारे में
- परिचय : केरल ने 2 अक्तूबर, 2024 से ‘वृथि’ नामक एक नया स्वच्छता अभियान शुरू किया है, जिसका अर्थ है ‘शरीर एवं मन की स्वच्छता’
- उद्देश्य : केरल को कचरा-मुक्त एवं स्वच्छ बनाना
- दृष्टिकोण : ‘मलिन्या मुक्तम नव केरलम’ (कचरा-मुक्त नया केरल) पर आधारित
- यह अभियान न केवल भौतिक स्वच्छता पर बल देता है बल्कि सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन एवं सामुदायिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है।
विशेषताएँ
- सामुदायिक भागीदारी
- घरेलू कचरा संग्रहण
- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
- स्थानीय समाधान
- ‘ब्लैक सोल्जर फ्लाई’ व ‘विंड्रो कम्पोस्टिंग’ जैसे विकेंद्रीकृत समाधानों और केंद्रीकृत समाधानों के सकारात्मक पहलुओं को अपनाना
स्वच्छ भारत अभियान के बारे में
- प्रारंभ : 2 अक्तूबर, 2014 को प्रारंभ
- लक्ष्य : वर्ष 2019 तक भारत को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाना एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना था।
- दूसरा चरण (SBM 2.0) : वर्ष 2020-25 तक कचरा-मुक्त शहरों व अपशिष्ट जल प्रबंधन पर केंद्रित
विशेषताएँ
- टॉप-टू-बॉटम दृष्टिकोण : SBM एक केंद्रीकृत ढांचे पर काम करता है जिसमें केंद्र सरकार शौचालयों, सीवेज उपचार संयंत्रों और अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की संख्या तय करती है।
- राष्ट्रीय स्तर : यह ग्रामीण (SBM-ग्रामीण) एवं शहरी (SBM-शहरी) दोनों क्षेत्रों को कवर करता है जिसमें 4041 वैधानिक शहरों में स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
- वित्तीय सहायता : SBM-U 2.0 के लिए 2021 के केंद्रीय बजट में 1,41,678 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, जिसमें अपशिष्ट जल व मल कीचड़ प्रबंधन शामिल है।
- स्वच्छ सर्वेक्षण : यह स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन के आधार पर शहरों की रैंकिंग करता है, जैसे- इंदौर को लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ।
इसे भी जानिए!
स्वच्छ भारत मिशन से पहले भारत में ग्रामीण स्वच्छता के लिए कई प्रयास किए गए, जैसे 1954 का पहला स्वच्छता कार्यक्रम, 1986 का केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम और 1999 का संपूर्ण स्वच्छता अभियान। हालाँकि, ये व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान न देने के कारण बहुत सफल नहीं रहे।
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वृथि अभियान और स्वच्छ भारत अभियान में अंतर
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वृथि अभियान
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स्वच्छ भारत अभियान
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दृष्टिकोण
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बॉटम-टू-टॉप दृष्टिकोण, सामुदायिक भागीदारी
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टॉप-टू- बॉटम दृष्टिकोण, केंद्रीकृत
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तकनीकी फोकस
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तकनीकी तटस्थता, स्थानीय समाधान
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केंद्रीकृत सुविधाएँ
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सामुदायिक भागीदारी
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व्यापक भागीदारी, कला-संस्कृति का उपयोग
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सीमित भागीदारी, सरकारी लक्ष्य
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स्वास्थ्य व पर्यावरण
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स्वच्छ सार्वजनिक स्थान, ज़ूनोटिक रोग रोकथाम
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ODF व स्वच्छता सुविधाएँ
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लाभ
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सामुदायिक सशक्तिकरण, स्थानीय समाधान, स्वास्थ्य सुधार, आर्थिक लाभ
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राष्ट्रीय स्वच्छता, बुनियादी ढांचा, जागरूकता एवं आर्थिक निवेश
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चुनौतियाँ
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निरंतरता, क्षमता की कमी, EPR कानून की आवश्यकता
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केंद्रीकृत दृष्टिकोण, सीमित भागीदारी एवं स्वच्छ सर्वेक्षण आलोचना
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महत्व
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सामुदायिक मॉडल, राष्ट्रीय प्रेरणा
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SDG के साथ संरेखण
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स्वच्छता अभियानों की सफलता के लिए उपाय
- बेहतर कानून : उत्पादकों पर अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी बढ़ाई जाए।
- क्षमता निर्माण : स्थानीय स्व-शासन को तकनीकी व प्रशासनिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।
- सामुदायिक जागरूकता : ‘मेरा कचरा, मेरी जिम्मेदारी’ जैसे नारों को स्कूलों व परिवारों तक पहुँचाया जाए।
- विकेंद्रीकृत समाधान : स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर समाधानों को प्राथमिकता दी जाए।
- सामुदायिक भागीदारी : व्यवहार परिवर्तन पर अधिक ध्यान दिया जाए।
- पारदर्शिता : घोटालों को रोकने के लिए निगरानी व जवाबदेही बढ़ाई जाए।