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खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC)

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।) 

संदर्भ

वित्त वर्ष 2024–25 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 1.70 लाख करोड़ से अधिक का कारोबार दर्ज किया है जो कि स्वतंत्रता के बाद अब तक का सबसे अधिक कारोबार है। 

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) 

  • परिचय : यह भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है, जो खादी तथा ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने, नियोजन करने, और उनके विकास के लिए जिम्मेदार है।
  • स्थापना: वर्ष 1957
  • अधिनियम: खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 (Khadi and Village Industries Commission Act, 1956)
  • मुख्य उद्देश्य:
    • खादी और ग्रामोद्योगों का नियोजन, प्रचार, और संगठन करना।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना।
    • स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर टिकाऊ उत्पादन को बढ़ावा देना।
    • हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योगों को आर्थिक सहायता देना।
    • महिलाओं और कमजोर वर्गों की आर्थिक भागीदारी को सशक्त करना।
  • नोडल मंत्रालय : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of MSME)
  • मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र
  • क्षेत्रीय कार्यालय : दिल्ली, भोपाल, बैंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
  • वर्तमान अध्यक्ष (2025): मनोज कुमार

आयोग के प्रमुख  कार्य

  • खादी तथा ग्रामोद्योगों के लिए वित्तीय सहायता (soft loans, सब्सिडी) प्रदान करना।
  • उत्पादों का विपणन एवं वितरण (मार्केटिंग नेटवर्क और खादी इंडिया स्टोर्स)।
  • अनुसंधान, प्रशिक्षण और कौशल विकास।
  • PMEGP (Prime Minister’s Employment Generation Programme) जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का कार्यान्वयन।
  • स्वदेशी उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में सहयोग।

KVIC का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

  • रोज़गार सृजन: वर्ष 2024-25 में अनुमानित1.5 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार
  • महिला सशक्तीकरण : खादी और कुटीर उद्योगों में 60% से अधिक महिलाएँ कार्यरत हैं।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: खादी वस्त्र के उत्पादन में नगण्य मात्रा में जल का उपयोग होने के साथ ही ये ऊर्जा-कुशल होते हैं।
  • आर्थिक विकेंद्रीकरण : छोटे-छोटे ग्रामीण इकाइयों के ज़रिए स्थानीय उत्पादन और उपभोग का चक्र बनाना।

निष्कर्ष 

KVIC न केवल खादी और ग्रामोद्योगों का प्रतिनिधि है, बल्कि यह गांधीजी के स्वदेशी दर्शन और आत्मनिर्भर भारत की आत्मा भी है। आज जब भारत स्थानीय से वैश्विक (Local to Global) बनने की ओर अग्रसर है, तब KVIC की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। इअसे में आवश्यक है कि इसके संचालन में नवाचार, डिजिटलीकरण, और युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए।

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