New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

खजुराहो मंदिर

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू)

संदर्भ:

  • हाल ही में, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने ‘देखो अपना देश’ शृंखला के अंतर्गत ‘खजुराहो मंदिरों की वास्तुशिल्पीय भव्यता’ पर वेबिनार का आयोजन किया।
  • उल्लेखनीय है कि ‘देखो अपना देश’ वेबिनार शृंखला ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान’ के तहत भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। इस वेबिनार शृंखला का आयोजन पर्यटन मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग’ के तकनीकी सहयोग से किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय विरासत की भव्यता इसके वास्तुशिल्प, कला, हस्तशिल्प और संस्कृति में परिलक्षित होती है। विशालकाय किले, प्राचीन मंदिर, स्मारक इत्यादि भारत के प्राचीन, समृद्ध व गौरवशाली इतिहास के प्रमाण हैं।
  • खजुराहो की वास्तुशिल्प कुशलता न सिर्फ घरेलू पर्यटकों बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच अत्यंत आकर्षण का केंद्र है। भव्य मंदिरों के अलावा, यहाँ राजकीय जनजाति संग्रहालय और लोक कला केंद्र, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षण स्थल, रानेह जलप्रपात इत्यादि भी पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
  • पर्यटन मंत्रालय ने एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना के तहत देशभर में ऐसे 19 स्थलों की पहचान की है, जिन्हें प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। इस सूची में ‘खजुराहो’ भी शामिल है।
  • पर्यटन मंत्रालय की 'स्वदेश दर्शन योजना' के तहत यहाँ ‘महाराजा छत्रसाल सम्मेलन केंद्र’ विकसित किया गया है, इसका उद्देश्य पर्यटन व्यावसाय से जुड़े लोगों को एक ऐसा स्थल उपलब्ध कराना है, ताकि वे आवश्यक सम्मेलनों का आयोजन कर सकें।
  • इसके अतिरिक्त, एयर इंडिया द्वारा सप्ताह में दो बार दिल्ली से वाराणसी होते हुए खजुराहो के लिये हवाई-यात्रा सेवा भी प्रस्तावित है। 

खजुराहो का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • खजुराहो हिंदू व जैन मंदिरों का समूह है, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में विंध्य पर्वत शृंखला पर अवस्थित हैं। इन मंदिरों का सर्वप्रथम लिखित उल्लेख अबू-रिहान-अल-बरूनी तथा अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता के विवरणों में मिलता है।
  • इन मंदिरों का निर्माण 950-1050 ईस्वी के मध्य चंदेल शासकों ने कराया था। गुप्तकाल के दौरान तराशे हुए पाषाण खंडों से मंदिर निर्माण की जो कला आरंभ हुई थी, वह चंदेलों के शासनकाल में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची। इस दौरान मंदिरों के निर्माण के लिये चिनाई पद्धति का प्रयोग किया जाने लगा था।
  • खजुराहो के मंदिर वास्तुकला के ‘नागर शैली’ का अद्भुत उदाहरण हैं। गर्भगृह, शिखर (वक्रीय बुर्ज) और मंडप (प्रवेश द्वार) नागर शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं। इसमें संपूर्ण मंदिर का निर्माण एक विशाल चबूतरे पर किया जाता है। इन मंदिरों के निर्माण के लिये हल्के रेतीले पत्थरों, लोहे की कीलकों और ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग किया गया है।
  • खजुराहो के मंदिरों की वास्तुकला अत्यंत जटिल है। एक गर्भगृह, महामंडप, सभागृह, अर्धमंडप (अतिरिक्त सभागृह) तथा प्रदक्षिणा पथ इसके प्रमुख घटक हैं। यहाँ कुछ मंदिर पंचायतन शैली में भी बने हैं। ध्यातव्य है कि पंचायतन शैली के अंतर्गत एक केंद्रीय मंदिर के चारों कोनों पर चार अतिरिक्त मंदिर बने होते हैं।
  • मंदिरों की नक्काशी हिंदू जीवनशैली के चार पुरुषार्थों– धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाती हैं। ये मंदिर अपनी कामुक भाव से युक्त मूर्तियों के लिये विश्व-विख्यात हैं।
  • माना जाता है कि 12 वीं सदी के दौरान लगभग 20 कि.मी. में फैले इन मंदिरों की संख्या 85 थी। इनमें से अधिकांश मंदिर नष्ट हो गए हैं तथा वर्तमान में इनकी संख्या लगभग 20-25 है।
  • खजुराहो के मंदिर पश्चिमी, पूर्वी तथा दक्षिणी समूह में विभाजित हैं। इनमें पश्चिमी समूह के मंदिर शैव एवं वैष्णव संप्रदाय से संबंधित हैं। इन मंदिरों में चौंसठ योगिनी मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, चित्रगुप्त मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर, नंदी मंदिर, लक्ष्मण मंदिर (विष्णु् मंदिर), वराह मंदिर आदि प्रमुख हैं।
  • पूर्वी समूह के मंदिर हिंदू व जैन संप्रदायों से संबंधित हैं। इसमें ब्रह्मा, वामन, आदिनाथ, पार्श्वनाथ तथा घंटाई मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा, दुलादेव (शैव संप्रदाय) तथा जटकारी (वैष्णव संप्रदाय) मंदिर दक्षिणी समूह से संबंधित हैं।
  • इन मंदिरों को इनके शिल्पगत सौंदर्य के कारण यूनेस्को द्वारा वर्ष 1986 में ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया था।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR