हाल ही में, कश्मीरी पंडितों द्वारा माता खीर भवानी मंदिर में वार्षिक खीर भवानी उत्सव का आयोजन किया गया।
खीर भवानी मंदिर के बारे में
- परिचय : जम्मू एवं कश्मीर के गांदरबल ज़िले के तुलमुला गाँव में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल
- अन्य नाम : क्षीर भवानी या राग्न्या देवी मंदिर
- आराध्य देवी : देवी राग्न्या (मां दुर्गा का एक स्वरूप) को समर्पित
- नामकरण : देवी को खीर (चावल एवं दूध से बनी मिठाई) का भोग अर्पित करने के कारण
- पवित्र कुंड : मंदिर के भीतर स्थित एक पवित्र जलकुंड के पानी के रंग में समय-समय पर बदलाव
- यह रंग परिवर्तन शुभ या अशुभ घटनाओं का संकेत माना जाता है। उदाहरणस्वरूप वर्ष 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन और कोविड-19 महामारी से पहले इस कुंड का पानी काला हो गया था।
- संबंधित किंवदंती : रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी राग्न्या लंका गईं किंतु रावण की क्रूरता से नाराज होकर उन्होंने लंका छोड़ दी। हनुमान जी की सहायता से देवी कश्मीर के तुलमुला पहुँचीं, जहाँ यह मंदिर स्थित है।
मंदिर का इतिहास
- निर्माण एवं जीर्णोद्धार : मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में करवाया था। बाद में महाराजा हरि सिंह ने इसका नवीनीकरण कराया।
- स्वामी विवेकानंद की यात्रा : स्वामी विवेकानंद ने भी इस मंदिर का दौरा किया था और इसकी आध्यात्मिकता से प्रभावित हुए थे।
खीर भवानी मेला
- यह कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक उत्सव है।
- आयोजन : प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को खीर भवानी मेला आयोजित होता है, जो कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद सबसे बड़ा हिंदू उत्सव माना जाता है।
- मुस्लिम एकता : मंदिर की देखभाल एवं मेले के आयोजन में स्थानीय मुस्लिम समुदाय भी सक्रिय भूमिका निभाता है जो कश्मीर की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है।