असम में कोच-राजबोंगशी समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर ऑल कोच-राजबोंगशी स्टूडेंट्स यूनियन (AKRSU) ने विरोध प्रदर्शन किया।
कोच-राजबोंगशी समुदाय के बारे में
- कोच-राजबोंगशी पूर्वोत्तर भारत का एक स्थानीय समुदाय है जो मुख्यत: असम के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, नेपाल, बांग्लादेश व भूटान में बसा हुआ है।
- इन्हें असम में ‘कोच राजबोंगशी’, पश्चिम बंगाल में ‘राजबोंगशी’, मेघालय में ‘कोच’ और नेपाल में ‘राजबंशी’ के नाम से जाना जाता है।
- यह मूल रूप से ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी के निचले भाग के निवासी हैं।
- इस समुदाय के लोग अपनी जड़ें कामतापुर साम्राज्य (650 ई. से 1494 ई.) से जोड़ते हैं।
- यह साम्राज्य वर्तमान असम, पश्चिम बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्से में विस्तृत था।
- AKRSU समुदाय के लिए एक अलग कामतापुर राज्य के निर्माण की भी माँग कर रहा है।
- असम में लगभग 25 लाख कोच राजबोंगशी निचले असम, गोलाघाट, कालियाबोर, बरहामपुर, मोरीगांव, जोनाई एवं लखीमपुर में फैले हुए हैं।
- भाषाएँ : राजबोंगशी भाषा एवं कोच भाषा
- आजीविका : प्राथमिक आजीविका स्रोत कृषि है और वे प्रकृति के बहुत करीब रहते हैं।
- राजनीतिक प्रभाव : यह समुदाय राज्य की 126 विधानसभा सीटों में से कम से कम 25 सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग : यह समुदाय असम के उन छह समुदायों में से एक हैं जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं।
- अन्य पाँच समुदाय : अहोम, चुटिया, मटक, आदिवासी (चाय जनजाति) व मोरन
- 29 फरवरी, 2016 को गृह मंत्रालय ने इन छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित की थी।