संदर्भ
ब्रिक्स समूह ने ‘ब्रिक्स भूमि पुनरुद्धार साझेदारी’ की शुरूआत करते हुए वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली को निष्पक्ष, समावेशी, नवीन एवं टिकाऊ बनाने के अपने संकल्प को दोहराया है।
भूमि पुनरुद्धार साझेदारी के बारे में
- ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित 15वीं ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की बैठक में सदस्य देशों ने इस कदम का समर्थन किया।
- उद्देश्य : भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण एवं मृदा उर्वरता हानि के मुद्दों का समाधान करना
- प्रमुख तत्व
- खाद्य सुरक्षा
- जलवायु अनुकूलन
- महिलाओं एवं युवाओं का सशक्तीकरण
- सतत मत्स्य पालन एवं पशुधन विकास
- मृदा एवं भूमि बहाली
- डिजिटल कृषि प्रमाणन
- वैश्विक दक्षिण की कृषि अर्थव्यवस्थाओं के लिए वित्तीय एवं व्यापार तंत्र को बढ़ावा
साझेदारी के लाभ
ब्रिक्स भूमि बहाली भागीदारी एक सहयोगात्मक पहल है जिसका उद्देश्य भूमि क्षरण को रोकना और सदस्य देशों में संधारणीय कृषि को बढ़ावा देना है। इसके प्रमुख लाभ हैं :
पर्यावरणीय स्थिरता
- भूमि क्षरण का मुकाबला : यह क्षरित भूमि की उर्वरता को बहाल करने के साथ ही मरुस्थलीकरण का मुकाबला करती है और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वृद्धि करती है।
- जैव विविधता का समर्थन : प्राकृतिक आवासों की पुनर्बहाली के माध्यम से वनस्पतियों एवं जीवों के संरक्षण में योगदान देती है।
- जलवायु शमन : पुनर्बहाल की गई भूमि कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती है जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सहायक है।
खाद्य एवं जल सुरक्षा
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि : बेहतर मृदा स्वास्थ्य फसल की पैदावार को बढ़ाती है जो विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है।
- जल प्रतिधारण में सुधार : स्वस्थ मृदा अपवाह को कम करती है और भूजल पुनर्भरण में वृद्धि कर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
आर्थिक विकास
- ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का सशक्तीकरण : भूमि बहाली कृषि वानिकी, वाटरशेड विकास एवं पारिस्थितिकी बहाली परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करती है।
- स्थायी आजीविका : टिकाऊ खेती एवं संबद्ध क्षेत्रों के माध्यम से आय सृजन के समर्थन से ग्रामीण निर्धनता में कमी आती है।
समावेशी विकास
- लघु एवं सीमांत किसानों पर केंद्रित : भारत ने इस साझेदारी के माध्यम से हाशिए पर स्थित समुदायों को बहाली मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करने पर बल दिया है।
- सामुदायिक भागीदारी : यह नियोजन एवं कार्यान्वयन में स्थानीय भागीदारी को प्रोत्साहित कर लचीलापन व स्वामित्व को बढ़ाती है।
भू-राजनीतिक सहयोग
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूती : यह समान पारिस्थितिक चुनौतियों वाले विकासशील देशों के बीच एकजुटता एवं संसाधन साझाकरण को बढ़ाती है।
- नीति सामंजस्य : यह सर्वोत्तम प्रथाओं, प्रौद्योगिकियों एवं डाटा के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर पर्यावरण शासन में अभिसरण को बढ़ावा देती है।
वैश्विक लक्ष्यों के साथ संरेखण
- SDG 15 (भूमि पर जीवन) का समर्थन : भूमि क्षरण को रोकने एवं भूमि क्षरण तटस्थता प्राप्त करने में योगदान।
- संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र बहाली दशक (2021-2030) का समर्थन : निम्नीकृत पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने की दिशा में वैश्विक गति को मजबूती।