(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले विषय) |
संदर्भ
कर्नाटका के दक्षिण कन्नड़ जिला पुलिस ने 36 व्यक्तियों के खिलाफ निष्कासन (Extern) की कानूनी प्रक्रिया शुरू की है। इन व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों के सबूत हैं। यह कदम जिले में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
राज्य से व्यक्ति को निष्कासित करने की प्रक्रिया के बारे में
- भारत में कुछ व्यक्तियों को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक राज्य या जिले से निष्कासित किया जा सकता है।
- यह प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 और विभिन्न राज्य पुलिस अधिनियमों के तहत संचालित होती है।
क्या है निष्कासन
- निष्कासन एक कानूनी उपाय है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को एक निश्चित अवधि के लिए किसी जिले या राज्य से बाहर रहने का आदेश दिया जाता है।
- इसका उद्देश्य अपराधी गतिविधियों को रोकना एवं सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- यह उन व्यक्तियों पर लागू होता है, जो बार-बार अपराध करते हैं या जिनके व्यवहार से समाज में अशांति फैलने का खतरा होता है।
कानूनी ढांचा
- BNSS, 2023 : यह कानून (जैसे- धारा 55) जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त को अधिकार देता है कि वे किसी व्यक्ति को एक निश्चित क्षेत्र से बाहर जाने और वहां प्रवेश न करने का आदेश दे सकते हैं, यदि उनका व्यवहार सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक हो।
- राज्य पुलिस अधिनियम : उदाहरण के लिए, कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 की धारा 55-58 निष्कासन से संबंधित प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। ये धाराएं उन व्यक्तियों को लक्षित करती हैं, जो बार-बार अपराध करते हैं या जिनकी उपस्थिति सामाजिक शांति के लिए खतरा है।
- अन्य कानून: कुछ मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 या अन्य स्थानीय कानून भी निष्कासन के लिए लागू हो सकते हैं, यदि व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
निष्कासन की प्रक्रिया के विभिन्न चरण
पहचान एवं सबूत संग्रह
- पुलिस या प्रशासन उस व्यक्ति की पहचान करता है, जो बार-बार अपराधों में शामिल है या जिसका व्यवहार समाज के लिए हानिकारक है।
- उदाहरण के लिए, दक्षिण कन्नड़ में 36 व्यक्तियों की पहचान उनके आपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर की गई।
- सबूत एकत्रित किए जाते हैं, जैसे- आपराधिक रिकॉर्ड, FIR या गवाहों के बयान।
नोटिस जारी करना
- संबंधित व्यक्ति को एक नोटिस जारी किया जाता है जिसमें पूछा जाता है कि निष्कासन का आदेश क्यों न दिया जाए।
- इस नोटिस में व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है जो प्राकृतिक न्याय (निष्पक्ष सुनवाई का सिद्धांत) का हिस्सा है।
सुनवाई एवं जांच
- जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त के समक्ष सुनवाई आयोजित की जाती है।
- व्यक्ति को अपने बचाव में सबूत या गवाह प्रस्तुत करने का अधिकार है।
- यदि व्यक्ति का व्यवहार सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा माना जाता है तो निष्कासन आदेश जारी किया जाता है।
निष्कासन आदेश
- आदेश में यह निर्दिष्ट किया जाता है कि व्यक्ति को कितने समय के लिए (प्राय: 6 महीने से 2 वर्ष तक) और किस क्षेत्र (जिला या राज्य) से बाहर रहना होगा।
- आदेश की अवहेलना करने पर गिरफ्तारी एवं दंड हो सकता है।
अपील का अधिकार
निष्कासित व्यक्ति उच्च न्यायालय में अपील (कानूनी पुनर्विचार) दायर कर सकता है, यदि उसे लगता है कि आदेश अनुचित है।
चुनौतियाँ
- प्राकृतिक न्याय का पालन : सुनवाई के दौरान व्यक्ति को उचित अवसर न देना कानूनी चुनौती का कारण बन सकता है।
- दुरुपयोग का खतरा : निष्कासन का उपयोग व्यक्तिगत या राजनीतिक बदले के लिए हो सकता है।
- मानवाधिकार : अत्यधिक निष्कासन व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।