19 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर जी की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य के बारे में
परिचय
- महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर त्रिपुरा के अंतिम शासक थे, जिन्हें ‘आधुनिक त्रिपुरा का निर्माता’ कहा जाता है।
- उनके शासनकाल में त्रिपुरा ने शिक्षा, बुनियादी ढांचे एवं सामाजिक सुधारों में महत्वपूर्ण प्रगति की।
- उनकी दूरदृष्टि और जनजातीय समुदायों के प्रति समर्पण ने त्रिपुरा को आधुनिकता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म और परिवार
- जन्म : 19 अगस्त, 1908 को त्रिपुरा में
- पिता : महाराजा बीरेंद्र किशोर माणिक्य देबबर्मन
- माणिक्य वंश से संबंधित, जिसने त्रिपुरा पर सदियों तक शासन किया।
- शिक्षा
- प्रारंभिक शिक्षा त्रिपुरा में; बाद में उच्च शिक्षा के लिए विदेश।
- वर्ष 1931 एवं 1939 में यूरोप और अमेरिका की यात्रा; वहां शिक्षा व प्रशासन का अध्ययन।
शासनकाल और योगदान
- शासनकाल
- वर्ष 1923 में पिता की मृत्यु के बाद 15 वर्ष की आयु में गद्दी संभाली; 1947 तक शासन।
- त्रिपुरा के भारत में विलय (1949) से पूर्व अंतिम शासक।
- प्रमुख योगदान
- आर्थिक एवं सामाजिक सुधार: शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा; स्कूल, कॉलेज, त्रिपुरा की पहली यूनिवर्सिटी।
- भूमि सुधार: तिप्रासा लोगों के लिए जमीन आरक्षित, जिससे TTAADC बना।
- अगरतला का विकास: आधुनिक अगरतला और पहली नगर पालिका।
- हवाई अड्डा: द्वितीय विश्व युद्ध में अगरतला हवाई अड्डा; 2018 में उनके नाम पर।
- बंगाल में सहायता: सूखे में मदद; हिंदू शरणार्थियों को आश्रय।
- विदेशी यात्राएं: यूरोप और अमेरिका से आधुनिक ज्ञान लाए।
व्यक्तिगत जीवन
- विवाह और परिवार
- रानी कंचन प्रभा देवी से विवाह; पुत्र किरीट बिक्रम किशोर 1947-1949 तक नाममात्र राजा के रूप में।
- रानी कंचन प्रभा देवी ने रीजेंसी परिषद की अध्यक्षता की।
- रुचियां: शिक्षा, संस्कृति, जनजातीय कल्याण; गांधीवादी सिद्धांत।
निधन और विरासत
- निधन : 17 मई, 1947 को 39 वर्ष की आयु में निधन।
- विरासत:
- ‘त्रिपुरा के आधुनिक वास्तुकार’; वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा उनकी प्रतिमा का अनावरण
- अगरतला में उनके नाम पर महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डा
- जनजातीय सशक्तिकरण के प्रेरणादायी प्रयास