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शक्ति अधिनियम

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ: मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 1 : विषय- महिलाओं की भूमिका उनके रक्षोपाय)

चर्चा में क्यों?

महाराष्ट्र में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये, राज्य मंत्रिमंडल ने 'शक्ति अधिनियम' को प्रस्तुत किया है। इस अधिनियम को विगत वर्ष आंध्र प्रदेश द्वारा लाए गए दिशा अधिनियम की तर्ज पर लाया गया है।

शक्ति अधिनियम : प्रमुख प्रावधान

  • इस अधिनियम में दोषियों को मौत की सजा के साथ ही भारी जुर्माने सहित कड़ी सजा का प्रावधान है।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ मामलों की जाँच और परीक्षण के लिये विशेष पुलिस बल और अलग अदालतें स्थापित की जाएंगी।
  • अपराधियों को दोषी पाए जाने पर कम से कम दस वर्ष के लिये कारावास की सजा दी जाएगी लेकिन अपराध के जघन्य होने की स्थिति में इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।
  • प्लास्टिक सर्जरी और चेहरे के उपचार के लिये एसिड अटैक पीड़ित को 10 लाख रुपए की राशि दी जाएगी और यह राशि दोषी से जुर्माने के रूप में एकत्र की जाएगी।
  • अपराध दर्ज किये जाने की तारीख से 15 कार्य दिवसों के भीतर जाँच पूरी हो जानी चाहिये, विशेष परिस्थितियों में इसे 7 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • चार्जशीट दायर होने के बाद, मुकदमा प्रतिदिन के आधार पर लड़ा जाएगा और 30 कार्य दिवसों की अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा।
  • कुछ मामलों में पीड़ितों और गवाहों के सबूतों की रिकॉर्डिंग कैमरे के द्वारा की जाएगी।

आगे की राह

  • कई कानूनों के बावजूद बलात्कार की घटनाओं को रोका नहीं जा पा रहा है। वास्तव में, अब अत्यधिक क्रूरता के मामले सामने आने लगे हैं।
  • यह कानून बलात्कार के मामलों में जाँच को तेज़ और ट्रायल को फास्ट ट्रैक करने का प्रावधान करता है।
  • बेहतर पुलिसिंग की ज़रूरत है, जिससे सार्वजनिक स्थानों को महिलाओं के लिये सुरक्षित बनाया जा सके, अलग-अलग क्षेत्रों की चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित की जा सके और ज़रूरी स्थानों पर पुलिस की तैनाती की जा सके।
  • बलात्कार के मामलों में सज़ा से ज़्यादा इस तरह की घटनाओं को रोका जाना ज़्यादा ज़रूरी है और इसके लिये सभी हितधारकों की ओर से ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
  • यह ध्यान देना आवश्यक है कि सिर्फ कठोर सज़ा के कारण अपराधी अपराध नहीं छोड़ देगा बल्कि अपराधियों में पकड़े जाने का डर और फिर बच के ना निकल पाने का डर का होना अधिक ज़रूरी है।
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