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समुद्री माल परिवहन विधेयक 2024

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2; संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।)

चर्चा में क्यों

लोकसभा द्वारा 28 मार्च, 2025 को ‘समुद्री माल परिवहन विधेयक 2024’ पारित किया गया। यह विधेयक 9 अगस्त, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। 

समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2024 के बारे में

  • परिचय : यह विधेयक, स्वतंत्रता-पूर्व के सौ वर्ष पुराने कानून ‘भारतीय समुद्री माल परिवहन अधिनियम, 1925’ को प्रतिस्थापित कर विधायी सुधार दर्शाता है। 
    • हालांकि अधिनियम के अधिकांश प्रावधानों को इस विधेयक में बरकरार रखा गया है।
  • उद्देश्य : समुद्र के रास्ते माल की ढुलाई से संबंधित प्रावधानों का आधुनिकीकरण करना और समुद्री नियमों को सरल एवं तर्कसंगत बनाना।
  • विधेयक का दायरा : यह विधेयक भारतीय बंदरगाह से विदेशी बंदरगाह तक तथा भारतीय बंदरगाहों के बीच माल परिवहन करने वाले जहाजों पर लागू होता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय तथा घरेलू दोनों वाहक (Carriers) इसके दायरे में आ जाते हैं।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं

  • औपनिवेशिक कानूनों की समाप्ति : यह विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने और व्यापार को आसान बनाने के लिए समुद्री नियमों को सरल एवं तर्कसंगत बनाने की केंद्र सरकार की व्यापक पहल का हिस्सा है।
  • मालवाहकों की जिम्मेदारी : यह विधेयक नौवहन उद्योग में वाहकों के लिए स्पष्ट जिम्मेदारियां, देयताएं, अधिकार और प्रतिरक्षा प्रदान करता है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुरूप : यह विधेयक अगस्त 1924 के बिल ऑफ लैडिंग से संबंधित कानून के कुछ नियमों के एकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (हेग नियम) और उसके बाद किए गए संशोधनों के अनुरूप है।
  • केंद्र सरकार की शक्ति : 
    • विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश जारी करना।
    • बिल ऑफ लैडिंग पर लागू नियमों को निर्दिष्ट करने वाली अनुसूची में संशोधन करना।
      • यह नियम मालवाहकों की जिम्मेदारियों, देनदारियों, अधिकारों और प्रतिराक्षाओं को रेखांकित करते हैं।

इसे भी जानें !

  • बिल ऑफ लैंडिंग : यह एक ऐसा दस्तावेज होता है जो माल वाहक द्वारा माल भेजने वाले को जारी किया जाता है। इसमें ले जाए जा रहे माल के प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य जैसे विवरण शामिल होते हैं।
  • हेग कन्वेंशन ऑन बिल ऑफ़ लैंडिंग : यह वर्ष 1924 में अपनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है, जो समुद्र के रास्ते माल के परिवहन में देता और जिम्मेदारियों को तय करता है।
    • भारत ने हेग कन्वेंशन की पुष्टि नहीं की है, हालांकि कन्वेंशन के प्रावधानों को भारतीय समुद्री माल परिवहन अधिनियम, 1925 में शामिल किया गया था। 
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