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मरकरी प्रदूषण: वैश्विक पहल और भारत की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की पहल

  • UNEP ने स्वास्थ्य क्षेत्र में मरकरी-आधारित चिकित्सा उपकरणों को चरणबद्ध रूप से बंद करने के उद्देश्य से 134 मिलियन डॉलर की वैश्विक परियोजना शुरू की है।
  • इस परियोजना में भारत सहित 5 प्रमुख देश भाग ले रहे हैं और इसका उद्देश्य मरकरी के संपर्क और पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करना है।

परियोजना के बारे में जानकारी

उद्देश्य:-

  • चरणबद्ध समाप्ति: हर साल मरकरी थर्मामीटर और रक्तचाप मापने वाले यंत्र (sphygmomanometers) का 20% तक प्रतिस्थापन
  • रिसाव में कमी: अस्पतालों में मरकरी के रिसाव को बेहतर प्रथाओं के माध्यम से कम करना।
  • विकल्पों को बढ़ावा: मरकरी-मुक्त, सटीक, सुरक्षित और किफायती उपकरणों को अपनाना।
  • कचरा प्रबंधन सुधार: मरकरी वाले चिकित्सा कचरे के सुरक्षित निपटान की व्यवस्था।

भागीदार देश:-

  • भारत
  • अल्बानिया
  • बुर्किना फासो
  • मोंटेनेग्रो
  • युगांडा

वित्तपोषण एजेंसी:-

  • ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF)

क्रियान्वयन निकाय:-

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

मरकरी की प्रकृति और प्रभाव

प्राकृतिक गुण:-

  • मरकरी एक प्राकृतिक भारी धातु है, जो वायु, मिट्टी और जल में पाई जाती है।
  • यह कमरे के तापमान पर तरल अवस्था में रहने वाली एकमात्र धातु है।
  • यह एक स्थायी, जैव-संचयी और विषैली प्रदूषक है, जो जीवों के शरीर में समय के साथ इकट्ठा होती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:- मरकरी के संपर्क से हो सकते हैं:-

  • तंत्रिका तंत्र को नुकसान, विशेषकर भ्रूण और बच्चों में
  • पाचन, प्रतिरक्षा तंत्र और गुर्दों को क्षति
  • फेफड़े, त्वचा और आंखों पर दुष्प्रभाव

मिनामाटा रोग (Minamata Disease)

  • मिथाइल-मरकरी के ज़हरीले प्रभाव से होने वाला एक गंभीर तंत्रिका संबंधी रोग
  • 1950 के दशक में जापान के मिनामाटा शहर में समुद्र में औद्योगिक अपशिष्ट छोड़े जाने के कारण उत्पन्न हुआ।
  • लक्षण: शरीर में झटके, मोटर कौशल की कमी, मानसिक मंदता, कोमा, मृत्यु।

मरकरी प्रदूषण के स्रोत

  • छोटे स्तर की सोने की खदानें (ASGM)
  • कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र
  • औद्योगिक प्रक्रियाएं (जैसे: क्लोर-आल्कली उत्पादन)
  • प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी
  • मरकरी युक्त उत्पादों का गलत तरीके से निपटान

मिनामाटा कन्वेंशन (Minamata Convention)

  • ग्रहण किया गया: 2013, कुमामोटो, जापान
  • प्रवेश में आया: 2017
  • नाम पड़ा: जापान के मिनामाटा शहर के नाम पर
  • उद्देश्य:
    • नई मरकरी खदानों पर प्रतिबंध और पुरानी खदानों को चरणबद्ध रूप से बंद करना
    • मरकरी वाले उत्पादों (थर्मामीटर, बैटरियां आदि) का उपयोग घटाना
    • मरकरी कचरे का पर्यावरण के अनुकूल भंडारण और निपटान

महत्व:

  • यह मरकरी उत्सर्जन और दुष्प्रभावों को कम करने के लिए पहला वैधानिक रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
  • वैश्विक सहयोग, निगरानी और नीति-निर्माण को प्रोत्साहन देता है।

भारत की स्थिति

  • 2018 में मिनामाटा कन्वेंशन की पुष्टि (ratify) की।
  • WHO की सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल पहल के तहत मरकरी-आधारित उपकरणों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध।

भारत और मरकरी प्रदूषण – वर्तमान स्थिति

चुनौतियाँ:

  •  ग्रामीण अस्पतालों और छोटे क्लीनिकों में अभी भी मरकरी युक्त थर्मामीटर और बीपी उपकरणों का उपयोग।
  • मरकरी वाले कचरे के सुरक्षित संग्रहण और निपटान की अपर्याप्त व्यवस्था
  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से ज्यादा मरकरी उत्सर्जन
  •  जनता में मरकरी की विषाक्तता को लेकर जागरूकता की कमी

सरकारी उपाय:

  • कुछ राज्यों में मरकरी थर्मामीटर के आयात और निर्माण पर प्रतिबंध
  • डिजिटल और ऐनरॉयड बीपी मशीनों को बढ़ावा।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीतियों में मरकरी-मुक्त स्वास्थ्य सेवा को शामिल करना।
  • नीति पहलें:
    • मेक इन इंडियास्वदेशी मरकरी-मुक्त उपकरणों का निर्माण
    • स्वच्छ भारत अभियान मरकरी चिकित्सा कचरे का सुरक्षित निपटान
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