New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

कृषि भूमि पर वृक्षों की कटाई के लिए मॉडल नियम

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

19 जून, 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पूरे भारत में कृषि-वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कृषि भूमि पर वृक्षों की कटाई के लिए मॉडल नियम जारी किए। 

पृष्ठभूमि 

  • मंत्रालय के अनुसार, कृषि भूमि पर वृक्षों को काटकर गिराने के लिए स्पष्ट एवं सुसंगत नियमों का अभाव है जो कृषि वानिकी उत्पादों की खेती व विपणन को प्रभावित करता है।
  • मॉडल नियमों के अनुसार, लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना एवं विनियमन) दिशा-निर्देश, 2016 के तहत पहले से गठित राज्य स्तरीय समिति (SLC) ही इन नियमों के लिए समिति का काम करेगी। 

मॉडल नियमों के प्रमुख प्रावधान

कृषि भूमि पर वृक्षों की कटाई के लिए मॉडल नियम वृक्षों की कटाई एवं लकड़ी परिवहन की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित ढांचा प्रस्तुत करते हैं। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-

राज्य स्तरीय समिति (SLC) की भूमिका

  • लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना एवं विनियमन) दिशानिर्देश, 2016 के तहत गठित मौजूदा एस.एल.सी. इन नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
  • समिति में अब राजस्व एवं कृषि विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे ताकि अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित हो।
  • जिम्मेदारियाँ: 
    • राज्य सरकारों को कृषि-वानिकी को बढ़ावा देने की सलाह देना
    • व्यावसायिक मूल्य वाले वृक्ष प्रजातियों की कटाई और परिवहन के नियमों को सरल बनाना
    • आवेदनों के सत्यापन और लकड़ी परिवहन के लिए एजेंसियों को पैनल में शामिल करना

राष्ट्रीय लकड़ी प्रबंधन प्रणाली (NTMS) पोर्टल

  • किसानों को अपनी वृक्षारोपण भूमि को एन.टी.एम.एस. पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा, जिसमें निम्नलिखित जानकारी देनी होगी: 
    • भूमि स्वामित्व विवरण एवं स्थान
    • वृक्षारोपण विवरण, जिसमें प्रजातियों के अनुसार पौधों की संख्या, रोपण तिथि (माह व वर्ष) तथा पौधों की औसत ऊंचाई शामिल है।
    • प्रत्येक वृक्ष की जियोटैग की गई तस्वीरें KML फ़ाइल प्रारूप में।
  • एस.एल.सी. के दिशानिर्देशों के अनुसार वृक्षारोपण डाटा को नियमित रूप से अपडेट करना अनिवार्य है।
  • यह पोर्टल कटाई परमिट के लिए ऑनलाइन आवेदन एवं अनुपालन की निगरानी को सुगम बनाता है।

कटाई व सत्यापन प्रक्रिया

  • 10 से अधिक वृक्षों वाली भूमि के लिए: 
    • किसानों को एन.टी.एम.एस. के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसमें वृक्षों की विस्तृत जानकारी देनी होगी।
    • एक पैनल में शामिल सत्यापन एजेंसी स्थल का दौरा करेगी और भूमि, वृक्ष प्रजातियों और अनुमानित लकड़ी की मात्रा का विवरण सहित एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
    • इस रिपोर्ट के आधार पर कटाई परमिट जारी किया जाएगा।
  • 10 वृक्षों तक की भूमि के लिए
    • किसान वृक्षों की जियोटैग की गई तस्वीरें एन.टी.एम.एस. पर अपलोड करेंगे।
    • यह प्रणाली वृक्षों के आकार (परिधि, ऊंचाई), उपज व प्रजाति का अनुमान लगाएगा।
    • किसान नियोजित कटाई तिथि की जानकारी देंगे और कटाई के बाद स्टंप (शेष हिस्से या लकड़ी के ठूंठ) की तस्वीरें अपलोड करेंगे।
    • पोर्टल के माध्यम से स्वचालित रूप से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जारी किया जाएगा, जिसमें विभागीय अधिकारी द्वारा वैकल्पिक सत्यापन शामिल हो सकता है।

निगरानी एवं जवाबदेही

  • प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) सत्यापन एजेंसियों के प्रदर्शन की निगरानी करेंगे और हर तिमाही में एस.एल.सी. को उनकी कार्यक्षमता पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
  • वन, कृषि एवं पंचायती राज विभागों के क्षेत्रीय कर्मचारी नियमित निरीक्षण के माध्यम से अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

भारत के विकास लक्ष्यों के लिए महत्व

ये मॉडल नियम कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्यों के साथ संरेखित हैं:

  • किसानों की आय दोगुनी करना : नियमों को सरल बनाकर ये किसानों को कृषि-वानिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिससे लकड़ी और गैर-लकड़ी उत्पादों से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
  • जलवायु परिवर्तन का शमन : कृषि भूमि पर वृक्षावरण बढ़ाने से कार्बन अवशोषण में वृद्धि होती है जो पेरिस समझौते के तहत भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) का समर्थन करता है।
  • लकड़ी आयात में कमी : घरेलू लकड़ी उत्पादन को बढ़ावा देकर भारत की आयात पर निर्भरता कम होती है जिससे आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
  • सतत भूमि उपयोग : कृषि-वानिकी मृदा उर्वरता में सुधार, कटाव को कम करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करती है जिससे दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता सुनिश्चित होती है।
  • व्यवसाय सुगमता : सुव्यवस्थित प्रक्रियाएं नौकरशाही बाधाओं को कम करती हैं, जिससे कृषि-वानिकी किसानों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बन जाती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X