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राष्ट्रीय कैंसर दिवस- 7 नवम्बर

चर्चा में क्यों ?

  • भारत में हर वर्ष 7 नवम्बर को राष्ट्रीय कैंसर दिवस मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय कैंसर दिवस पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था, जिसकी घोषणा तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने की थी। 

  • कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर को मनाने की मुख्य वजह है-
    • इस दिन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक मैडम क्यूरी का जन्मदिन होता है। 
    • उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसॉ में हुआ था।
    • मैडम क्यूरी ने कैंसर से लड़ने में अहम योगदान दिया था।  
  • उन्होंने और उनके पति पियरे क्यूरी ने रेडियम और पोलोनियम की खोज की थी। 
  • मैडम क्यूरी के काम ने विकिरण-आधारित कैंसर उपचार, जिसे रेडियोथेरेपी कहते हैं, के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रीय कैंसर दिवस का उद्देश्य

  • लोगों को कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान सिखाना
  • निःशुल्क जांच शिविरों के माध्यम से स्क्रीनिंग को बढ़ावा देना
  • कैंसर रोगियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन का वातावरण बनाना
  • कैंसर को कलंक नहीं, बल्कि उपचार योग्य बीमारी के रूप में समझाना

कैंसर क्या है ?

  • कैंसर उन बीमारियों का समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के असामान्य और अनियंत्रित विकास से संबंधित होती हैं।
  • सामान्य परिस्थितियों में शरीर की कोशिकाएँ एक नियंत्रित प्रक्रिया के माध्यम से बढ़ती और विभाजित होती हैं; किंतु जब इन कोशिकाओं के जीन में परिवर्तन (म्यूटेशन) हो जाता है, तब यह नियंत्रण समाप्त हो जाता है।
  • इन म्यूटेशनों के परिणामस्वरूप कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं तथा स्वस्थ कोशिकाओं के सामान्य नियमों का पालन नहीं करतीं। 
  • ये असामान्य कोशिकाएँ प्रायः एकत्र होकर गांठ (ट्यूमर) का निर्माण करती हैं।
  • कैंसर की सबसे खतरनाक विशेषता यह है कि ये कोशिकाएँ शरीर के अन्य भागों, जैसे लिम्फ नोड्स या दूरस्थ अंगों तक फैलने की क्षमता रखती हैं; इस प्रक्रिया को मेटास्टेसिस (Metastasis) कहा जाता है।
  • जब कैंसर कोशिकाएँ शरीर के विभिन्न अंगों में फैल जाती हैं, तो वे सामान्य शारीरिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करती हैं, जिससे यह रोग जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

कैंसर के प्रमुख प्रकार  

प्रकार

प्रभावित अंग

कार्सिनोमा (Carcinoma)

त्वचा, फेफड़े, स्तन, कोलन, प्रोस्टेट आदि

सारकोमा (Sarcoma)

हड्डियों, मांसपेशियों या संयोजी ऊतकों में

ल्यूकेमिया (Leukemia)

रक्त बनाने वाली ऊतकों में

लिम्फोमा (Lymphoma)

प्रतिरक्षा प्रणाली (Lymphatic System) में

मेलानोमा (Melanoma)

त्वचा की रंगद्रव्य कोशिकाओं में

कैंसर के प्रकार शरीर के विभिन्न अंगों में विकसित हो सकते हैं, परंतु कुछ कैंसर विशेष रूप से पुरुषों या महिलाओं में अधिक पाए जाते हैं- 

  • महिलाओं में : महिलाओं में कैंसर के सबसे आम प्रकार हैं-
    • स्तन कैंसर (Breast Cancer) – महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर, जो स्तन ऊतकों की कोशिकाओं में उत्पन्न होता है।
    • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (Cervical Cancer)- यह गर्भाशय के निचले हिस्से (ग्रीवा) की कोशिकाओं में होता है और प्रायः ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण से संबंधित होता है।
  • पुरुषों में : पुरुषों में कैंसर के प्रमुख प्रकार हैं
    • फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) – अधिकतर धूम्रपान या प्रदूषण से जुड़ा होता है।
    • मुख का कैंसर (Oral Cancer) – तंबाकू, गुटखा, पान-मसाला या शराब के सेवन से होने की संभावना अधिक होती है।
    • प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) – यह पुरुषों की प्रजनन प्रणाली से जुड़ी प्रोस्टेट ग्रंथि में विकसित होता है, प्रायः उच्च आयु वर्ग में देखा जाता है।

कैंसर के प्रमुख कारण 

श्रेणी

कारण

जीवनशैली से संबंधित

धूम्रपान, तंबाकू, शराब, अस्वस्थ आहार, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता

पर्यावरणीय

प्रदूषण, विकिरण, रसायन, विषैले पदार्थ

जैविक

वायरस (HPV, Hepatitis B/C), बैक्टीरिया, जेनेटिक उत्परिवर्तन

आनुवंशिक

परिवार में कैंसर का इतिहास

लक्षण 

  • अचानक वजन घटना
  • लंबे समय तक खांसी या आवाज बैठना
  • किसी गांठ या सूजन का बनना
  • त्वचा पर असामान्य परिवर्तन
  • अनियंत्रित रक्तस्राव या थकान

रोकथाम

उपाय

विवरण

तंबाकू और शराब से परहेज़

40% कैंसर तंबाकू से संबंधित हैं

स्वस्थ आहार

फल, सब्जियाँ, अनाज, कम वसा वाले भोजन

3नियमित व्यायाम

प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है

टीकाकरण

HPV और Hepatitis B के टीके

प्रारंभिक जांच

स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, प्रोस्टेट आदि की समय-समय पर जांच

नवीनतम आँकड़े:

  • कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। 2022 में, लगभग 20 मिलियन नए कैंसर के मामले सामने आए और वैश्विक स्तर पर 9.7 मिलियन लोगों की इस बीमारी के कारण मृत्‍यु हुई।
  • लैंसेट की नवीनतम ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ रिपोर्ट के अनुसार, जहाँ वैश्विक स्तर पर कैंसर की घटनाएँ और मृत्यु दर में कमी आ रही है, वहीं भारत में इन मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। 
  • वर्ष 2023 में भारत में अनुमानित 15 लाख नए कैंसर मामले और 12 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गईं।
    • हर 8 भारतीयों में से 1 व्यक्ति को जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना रहती है।
  • वैश्विक स्तर पर कैंसर की घटनाओं की दर 1990 में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 220.6 से घटकर वर्ष 2023 में 205.1 हो गई और वर्ष 2025 तक यह आँकड़ा  192.9 तक पहुँचने का अनुमान है। 
  • हालाँकि, जनसंख्या वृद्धि और उम्र बढ़ने के कारण वर्ष 2050 तक कैंसर के कुल मामलों और मृत्यु की संख्या में तीव्र वृद्धि की संभावना है।
  • भारत में कैंसर की घटनाओं की दर वर्ष 1990 में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 84.8 से बढ़कर वर्ष 2023 में 107.2 हो गई, जबकि इसी अवधि में मृत्यु दर 71.7 से बढ़कर 86.9 प्रति 1 लाख तक पहुँच गई।
  • वैश्विक स्तर पर लगभग 42% कैंसर मृत्यु तंबाकू, शराब, अस्वस्थ आहार और संक्रमण जैसे परिवर्तनीय जोखिम कारकों से जुड़ी हैं। भारत में इन कारकों से संबंधित मृत्यु की हिस्सेदारी लगभग 70% तक हो सकती है।
  • भारत में कैंसर से मृत्यु के प्रमुख कारण स्तन, फेफड़े, ग्रासनली/अन्ननली, मुख, गर्भाशय ग्रीवा, पेट और बड़ी आंत के कैंसर हैं। 

भारत में कैंसर मामलों में वृद्धि के प्रमुख कारण

1. जनसांख्यिकी में परिवर्तन

  • बुज़ुर्ग जनसंख्या में वृद्धि:
    • भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ने और कुल जनसंख्या में वृद्धजनों की संख्या में वृद्धि के कारण कैंसर के प्रति संवेदनशील आबादी भी तेज़ी से बढ़ रही है।
    • लंबी आयु के कारण गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases - NCDs) जैसे हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर की व्यापकता भी बढ़ी है।

2. अस्वस्थ जीवनशैली का प्रभाव

  • भारत में तंबाकू सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता और शराब का अत्यधिक सेवन प्रमुख जोखिम कारक हैं।
  • इन आदतों से फेफड़े, मुख, गला, ग्रासनली, अग्न्याशय और यकृत के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

3. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की कमियाँ

  • भारत में कैंसर का निदान अक्सर तीसरे या चौथे चरण में होता है, जिससे उपचार की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
  • ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ), रेडियोथेरेपी मशीनों और उपयुक्त स्वास्थ्य अवसंरचना की कमी उपचार को प्रभावित करती है।
  • उच्च स्वास्थ्य व्यय के कारण कई मरीज इलाज में देरी करते हैं या बीच में ही उपचार छोड़ देते हैं, जिससे मृत्यु दर बढ़ती है।

4. पर्यावरणीय और औद्योगिक कारक

  • बाहरी वायु प्रदूषण (PM2.5), जिसे WHO ने Class I कार्सिनोजेन घोषित किया है, फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है।
  • ठोस ईंधन से उत्पन्न आंतरिक वायु प्रदूषण और औद्योगिक तथा रासायनिक प्रदूषण भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

5. उपचार से जुड़ी आर्थिक कठिनाइयाँ

  • कैंसर के उपचार (जैसे सर्जरी, कीमोथेरपी, रेडियोथेरेपी) की उच्च लागत गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन जाती है।
  • इसके कारण उपचार तक पहुँच सीमित होती है, कई मरीज इलाज देर से शुरू करते हैं या छोड़ देते हैं, जिससे रोग की गंभीरता और मृत्यु दर दोनों बढ़ती हैं।

6. संक्रमण-संबंधित कैंसर में वृद्धि

  • भारत में कुछ प्रकार के कैंसर संक्रमण से भी संबंधित हैं, जैसे- 
    • ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV)गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर
    • हेपेटाइटिस B और C वायरस-  यकृत का कैंसर
    • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. pylori)- पेट का कैंसर
  • इन संक्रमणों की व्यापकता ने संक्रमण-जनित कैंसर के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

भारत में कैंसर रोकथाम के प्रयास:

  • केंद्रीय बजट 2025-26: कैंसर देखभाल को प्राथमिकता
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को कुल   99,858.56  करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं , जिसमें से  95,957.87 करोड़ रुपये  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग  के लिए   तथा  3,900.69 करोड़ रुपये स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग  के लिए  निर्धारित किए गए हैं।
  • केंद्रीय  बजट 2025-26  कई प्रमुख पहलों के माध्यम से कैंसर देखभाल को बढ़ाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है:
    • डे केयर कैंसर सेंटर : सरकार की योजना अगले  तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर  स्थापित करने की है,  2025-26 तक 200 सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य है।
    • समग्र कैंसर नियंत्रण: एक नीति-संचालित दृष्टिकोण

1. एनपीसीडीसीएस (NPCDCS)

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत शुरू किया गया यह कार्यक्रम कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों (NCDs) की रोकथाम और नियंत्रण पर केंद्रित है।
मुख्य घटक :

  • सामुदायिक स्तर पर ओरल, स्तन व सर्वाइकल कैंसर की जांच
  • शीघ्र पहचान व जन-जागरूकता
  • तृतीयक कैंसर केंद्र (TCC) व राज्य कैंसर संस्थान (SCI) की स्थापना

2. तृतीयक कैंसर देखभाल सुदृढ़ीकरण

राज्यों में कैंसर उपचार सुविधाओं को विकेन्द्रित करने के लिए:

  • 19 राज्य कैंसर संस्थान (SCI)
  • 20 तृतीयक कैंसर केंद्र (TCCC)
  • प्रमुख संस्थान: झज्जर (राष्ट्रीय कैंसर संस्थान) और कोलकाता (चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान)

3. आयुष्मान भारत योजना (2018)

ग्रामीण व कमजोर वर्गों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।

  • कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी की सुविधा
  • 30 दिनों में उपचार आरंभ का लक्ष्य

4. स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि (HMCPF)

गरीबी रेखा से नीचे के रोगियों को ₹5–15 लाख तक की वित्तीय सहायता।

  • 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों में उपचार
  • प्रत्येक केंद्र को ₹50 लाख का रिवॉल्विंग फंड
  • 2009 से संचालित, वंचित रोगियों के लिए राहत योजना

5. राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG)

2012 में स्थापित; 287 सदस्य संस्थान, विश्व का सबसे बड़ा कैंसर नेटवर्क।

  • हर साल 7.5 लाख से अधिक रोगियों का इलाज
  • आयुष्मान भारत–PMJAY के साथ मिलकर सस्ती, मानकीकृत कैंसर देखभाल
  • इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड व NDHM में सहयोग

कैंसर अनुसंधान और नवाचार

1. नेक्सCAR19 (2024)

भारत की पहली स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी — IIT बॉम्बे, टाटा मेमोरियल सेंटर और ImmunoACT द्वारा विकसित।

  • रक्त कैंसर के लिए प्रभावी, किफायती उपचार
  • आयात निर्भरता में कमी और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

2. क्वाड कैंसर मूनशॉट (2024): भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी में सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन हेतु पहल — जांच, टीकाकरण, शोध और वैश्विक सहयोग पर बल।

3. एसीटीआरईसी विस्तार (2025): टाटा मेमोरियल सेंटर की शाखा — उपचार, शोध और शिक्षा के लिए अत्याधुनिक ढांचा, ऑन्कोलॉजी में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ बनाता है।

प्रश्न. भारत में राष्ट्रीय कैंसर दिवस कब मनाया जाता है ?

(a) 4 फरवरी

(b) 7 अप्रैल

(c) 7 नवम्बर

(d) 10 अक्टूबर

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