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राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन

प्रारंभिक परीक्षा

 (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ (योजनाए एवं कार्यक्रम )

मुख्य परीक्षा 

(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।)

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन - तिलहन (National Mission on Edible Oils- Oilseeds (NMEO-Oilseeds) को मंजूरी प्रदान की गयी है। 

राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन

  • उद्देश्य : मिशन का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) के लक्ष्य को प्राप्त करना है। 
  • अवधि एवं परिव्यय :मिशन को 10,103 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ वर्ष 2024-25 से वर्ष 2030-31 तक की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।

लक्ष्य  :

  • आयात निर्भरता कम करना : वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की आवश्यकताओं का लगभग 57 % आयात करता है।  
    • ऐसे में मिशन का लक्ष्य अगले सात वर्षों में ‘पाम तेल मिशन’ के साथ आयातित खाद्य तेल पर भारत की निर्भरता को मौजूदा 57 % से घटाकर लगभग 28 % तक लाना है।
  • प्रमुख फसलें : तिलहन मिशन मुख्य रूप से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
    • मिशन के तहत भारत के प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 69.7 मिलियन टन करने के लक्ष्य रखा गया है । 
    • प्रति हेक्टेयर उपज को 1,353 किलोग्राम से बढ़ाकर 2,112 किलोग्राम करना और वर्ष 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेलों का उत्पादन 12.7 मिलियन टन से बढ़ाकर 20.2 मिलियन टन करना है।
  • तेल के द्वितीयक स्रोतों का विस्तार : मिशन के तहत तिलहन फसलों के अलावा कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष-जनित तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से संग्रह और निष्कर्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। 
  • उत्पादन भूमि का विस्तार :मिशन के माध्यम से तिलहन की खेती के रकबे (क्षेत्रफल) में अतिरिक्त 40 लाख हेक्टेयर तक की वृद्धि करना है जिसके लिए चावल और आलू की परती भूमि को लक्षित किया जाएगा। 

रणनीति 

  • मिशन का उद्देश्य रणनीतियों के संयोजन के माध्यम से इन लक्ष्यों को प्राप्त करना है, मिशन के अंतर्गत उच्च उपज वाले तेल-सामग्री वाले बीज किस्मों को अपनाने को बढ़ावा देना, चावल की परती भूमि में खेती का विस्तार करना, तथा अंतर-फसल को बढ़ावा देना शामिल है।
  • मिशन के तहत गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, मिशन ‘बीज प्रमाणीकरण, पता लगाने की क्षमता और समग्र सूची (साथी)’ पोर्टल के माध्यम से एक ऑनलाइन 5-वर्षीय रोलिंग बीज योजना शुरू की जाएगी।  
    • यह राज्यों को सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और सरकारी या निजी बीज निगमों सहित बीज उत्पादक एजेंसियों को साथ लाने में सक्षम बनाएगा।
  • इसके अतिरिक्त, 347 जिलों में 600 से अधिक मूल्य श्रृंखला क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जो सालाना 10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कवर करेंगे। 
    • इन क्लस्टरों का प्रबंधन FPO, सहकारी समितियों और सार्वजनिक या निजी संस्थाओं जैसे मूल्य श्रृंखला भागीदारों द्वारा किया जाएगा। 
    • इन क्लस्टरों में किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, अच्छी कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षण तथा मौसम एवं कीट प्रबंधन पर सलाहकार सेवाएँ प्राप्त करने की सुविधा मिलेगी।
  • इसके अलावा, मिशन सूचना, शिक्षा और संचार अभियान के माध्यम से खाद्य तेलों के लिए अनुशंसित आहार संबंधी दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देगा।
  • इसके अंतर्गत जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक वैश्विक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के विकास को बढ़ावा दिया जाएगा । 
  • मिशन के तहत सार्वजनिक क्षेत्र में 65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाईयाँ स्थापित की जाएंगी।
  • मिशन के तहत नवाचार एवं तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने और तिलहन की खेती के तहत अधिक क्षेत्रों को लाने पर विचार किया जाएगा।

महत्व 

  • मिशन घरेलू तिलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि कर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को आगे बढ़ाएगा  जिससे आयात  में कमी आने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा विदेशी मुद्रा का संरक्षण भी होगा। 
  • इस मिशन से कम जल के उपयोग, बेहतर मृदा स्वास्थ्य और परती क्षेत्रों के उपयोग से महत्वपूर्ण पर्यावरणीय लाभ भी प्राप्त होंगे।
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