(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ) |
संदर्भ
विगत कुछ दिनों से दिल्ली के आप-पास के क्षत्रों में महसूस किए गए भूकंप के झटके भारत की भूकंपीय संवेदनशीलता के लिए एक चेतावनी हैं।
भारत के भूकंपीय क्षेत्र
- भारत को 4 भूकंपीय क्षेत्रों (Zones) में बाँटा गया है— ज़ोन II, III, IV, V
भूकंपीय क्षेत्र
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तीव्रता
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शामिल क्षेत्र
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ज़ोन II
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न्यूनतम
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दक्षिणी-पश्चिमी भारत के अधिकांश भाग, जैसे– कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश
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ज़ोन III
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मध्यम
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मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, केरल, राजस्थान के कुछ हिस्से
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ज़ोन IV
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उच्च
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दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, बिहार का उत्तरी भाग
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ज़ोन V
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अति-उच्च
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कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्य (असम, अरुणाचल, मिजोरम), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, कच्छ
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- भारत के लगभग 59% क्षेत्र मध्यम से उच्च भूकंपीय क्षेत्र (ज़ोन III, IV, V) में आते हैं।
- ज़ोन I को अब समाप्त किया जा चुका है जो पुराने वर्गीकरण में था।
- ज़ोन IV और V में भवन निर्माण के लिए भूकंपरोधी डिज़ाइन अनिवार्य किया गया है।
भूकंपीय संहिता की आवश्यकता
- भवन निर्माण मानदंडों का अपर्याप्त कार्यान्वयन : भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के नियमों के बावजूद इनका क्रियान्वयन खराब है। भूकंपीय क्षेत्रों में उचित संरचनात्मक डिज़ाइन के बिना अनियंत्रित निर्माण कार्य जारी है।
- भारत का विश्व की सर्वाधिक सक्रिय विवर्तनकी प्लेट्स में से एक पर स्थित होना : भारत का भूकंपीय जोखिम भारतीय प्लेट के उत्तर की ओर खिसकने में निहित है, जो यूरेशियन प्लेट से प्रति वर्ष 4 सेंटीमीटर से 5 सेंटीमीटर की गति से टकराता है।
- शमन के स्थान पर आपदा-पश्चात राहत पर ध्यान : भारत राहत कार्यों के शमन एवं पुनर्निर्माण की तुलना में भूकंप-पश्चात बचाव एवं राहत कार्यों में अधिक निवेश करता है।
- अनियमित शहरी विकास : उचित ज़ोनिंग, भूमि उपयोग नियोजन और अनुपालन जाँच का अभाव है। भूकंप सुभेद्य क्षेत्रों में ऊँची इमारतें प्राय: भूकंप-रोधी विशेषताओं की अनदेखी करती हैं। रियल टाइम निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली का कमज़ोर होना भी एक मुद्दा है।
आगे की राह
- भारत को भूकंपीय संहिताओं को सख्ती से लागू करना
- भूकंप संवेदनशीलशील क्षेत्रों में पुरानी इमारतों को स्टील जैकेटिंग से सुसज्जित करना
- गहरी पाइल नींव को अनिवार्य करने से स्थिरता में वृद्धि
- विस्तारित रेट्रोफिटिंग एवं सामुदायिक आपदा प्रतिक्रिया टीमों का गठन करना
- विभिन्न शहरी विकास प्राधिकरणों को अनुपालन जांच में तेजी लाना
- जोन-5 में स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी प्रणाली का विस्तार करना