चर्चा में क्यों ?
हाल ही में पश्चिमी ओडिशा का प्रमुख कृषि और सांस्कृतिक पर्व नुआखाई महोत्सव 2025 मनाया गया। यह पर्व हर वर्ष गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद, भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

अर्थ और महत्व
- "नुआखाई" शब्द दो उड़िया शब्दों से मिलकर बना है - “नुआ” (नया) और “खाई” (भोजन)।
- इसका अर्थ है - नए धान के चावल का प्रथम सेवन।
- मुख्य उद्देश्य -
- नई फसल के लिए ईश्वर और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना।
- पारिवारिक और सामुदायिक बंधनों को सुदृढ़ करना।
- किसानों की समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक।
- यह त्योहार न केवल ओडिशा (विशेषकर संबलपुरी क्षेत्र) बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के समीपवर्ती क्षेत्रों में भी सांस्कृतिक पहचान के रूप में मनाया जाता है।
नुआखाई के नौ रंग (अनुष्ठान)
- यह पर्व नौ प्रमुख अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें नुआखाई के नौ रंग कहा जाता है:
- बेहेरेन - त्योहार की तिथि की घोषणा।
- लग्न देखना - शुभ समय (मुहूर्त) का निर्णय।
- डाका हाका - रिश्तेदारों और समुदाय को आमंत्रित करना।
- सफा सुतुरा और लिपा पुछा - घरों की सफाई और सजावट।
- घिना बीका - आवश्यक सामग्री की खरीदारी।
- नुआ धन खूझा - नई फसल की खोज।
- बलि पाका - देवता को नई फसल का प्रसाद अर्पित करना।
- नुआखाई - पूजा के बाद नए चावल का सामूहिक सेवन और सांस्कृतिक आयोजन।
- जुहार भेट - बड़ों को प्रणाम, आशीर्वाद एवं उपहारों का आदान-प्रदान।
ओडिशा भर में उत्सव
- देवी लक्ष्मी को नये चावल अर्पित कर परिवार समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना करता है।
- बुजुर्ग परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटते हैं और सम्मान व अभिवादन अनुष्ठान पूरे होते हैं।
- लोग संबलपुरी पारंपरिक परिधान पहनकर रासाकेली, दलखाई, मैलाजादा और साजनी जैसे लोक नृत्यों का आयोजन करते हैं।
- प्रवासी ओडिया समुदाय भी इसे भारत और विदेशों में धूमधाम से मनाते हैं।
नुआखाई तिथि का निर्धारण
- ऐतिहासिक रूप से नुआखाई की तिथि फसल कटाई पर निर्भर करती थी।
- 1991 से इसे भाद्रपद शुक्ल पंचमी पर निश्चित कर दिया गया, ताकि सभी क्षेत्रों में एक साथ उत्सव मनाया जा सके।
प्रश्न. नुआखाई महोत्सव किस राज्य का प्रमुख कृषि पर्व है ?
(a) छत्तीसगढ़
(b) ओडिशा
(c) झारखंड
(d) बिहार
|