भारतीय तटरक्षक बल (ICG) द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन ओलिविया’ के तहत फरवरी 2025 में ओडिशा के रुशिकुल्या नदीमुख पर रिकॉर्ड 6.98 लाख ऑलिव रिडले कछुओं (Olive Ridley Turtles) के सुरक्षित अंडे देने की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया गया।
ऑपरेशन ओलिविया
- क्या है : भारतीय तटरक्षक बल (ICG) द्वारा प्रतिवर्ष संचालित एक समुद्री संरक्षण अभियान
- उद्देश्य : ऑलिव रिडले कछुओं के सुरक्षित प्रजनन और अंडे देने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना
- प्रमुख क्षेत्र : मुख्यतः ओडिशा के गहिरमाथा, रुशिकुल्या एवं देवी नदीमुख क्षेत्रों में सक्रिय
- शामिल गतिविधियाँ
- ऑलिव रिडले कछुओं के घोंसले वाले क्षेत्रों की रक्षा करना
- अवैध मछली पकड़ने पर निगरानी एवं नियंत्रण
- स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय और जागरूकता फैलाना
- हवाई एवं समुद्री गश्त के माध्यम से निगरानी
- टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED) के प्रयोग को बढ़ावा देना
- समयावधि : प्रतिवर्ष नवंबर से मई तक सक्रिय रूप से
- इस समय मादा कछुए अंडे देने के लिए तटों पर आती हैं।
मुख्य उपलब्धियाँ (2025)
- 6.98 लाख कछुओं का सुरक्षित आगमन
- 5387 सतही गश्त मिशन और 1768 हवाई निगरानी मिशन
- 366 अवैध मछली पकड़ने वाली नौकाओं को पकड़ना
- स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग व मछुआरों को TED के प्रयोग को प्रोत्साहित करना
- NGOs के साथ साझेदारी
ऑलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtle) के बारे में
- परिचय : ऑलिव रिडले कछुआ (Lepidochelys olivacea) दुनिया के सबसे छोटे और सर्वाधिक संख्या में पाए जाने वाले समुद्री कछुओं में से एक है।
- भारत के पूर्वी तट, विशेष रूप से ओडिशा के समुद्र तटीय क्षेत्र इनके सामूहिक अंडे देने (Mass Nesting/Arribada) के लिए विश्वविख्यात हैं।
- वैज्ञानिक नाम : लेपिडोचेलिस ओलिवेसिया(Lepidochelys olivacea)
- कुल : चेलोनीडे (Cheloniidae)
- संरक्षण स्थिति :
- IUCN स्थिति : संवेदनशील (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट I (Appendix I) में सूचीबद्ध
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 : अनुसूची-I में शामिल (पूर्ण सुरक्षा)
- भौगोलिक वितरण : मुख्यतःउष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में
- भारत में ये मुख्यतः ओडिशा (गहिरमाथा, रुशिकुल्या व देवी नदीमुख) के तटों पर अंडे देने आती हैं।
विशेषताएँ
- आकार में छोटे: वयस्कों की लंबाई लगभग 60–70 सेमी. होती है।
- जीवनकाल लगभग 50 वर्षों तक हो सकता है।
- प्रत्येक मादा एक मौसम में 100–120 अंडे देती है।
खतरे
- अवैध मत्स्यन और गिल नेट (Gill Net) में फंसकर मौत
- तटीय विकास परियोजनाएँ, जैसे- बंदरगाह, सड़कें, रोशनी आदि
- प्राकृतिक आवास का विनाश
- विशेष रूप से प्लास्टिक व तेल रिसाव जैसे प्रदूषण
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