भारतीय थलसेना प्रमुख (COAS) ने पहली बार ऑपरेशन पवन के शहीदों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर औपचारिक श्रद्धांजलि दी।
ऑपरेशन पवन के बारे में
पृष्ठभूमि
- वर्ष 1987 में भारत एवं श्रीलंका के मध्य इंडो-श्रीलंका समझौता हुआ।
- इस समझौते के तहत भारत ने श्रीलंका में जारी गृहयुद्ध और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए अपनी सैन्य टुकड़ी भेजने पर सहमति दी।
- इसके तहत तैनात की गई सेना को भारतीय शांति रक्षक सेना (IPKF) कहा गया।
उद्देश्य
- श्रीलंका में उग्रवादी संगठनों को नियंत्रित करना
- लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की हिंसक गतिविधियों को रोकना
- सामान्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- शांति एवं राजनीतिक समाधान के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करना
मुख्य विशेषताएँ
- ऑपरेशन पवन भारतीय सेना के सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण विदेशी अभियानों में से एक था।
- LTTE एक संगठित, प्रशिक्षित व अत्यधिक उग्र संगठन था जो गुरिल्ला युद्ध तकनीकों में माहिर था।
- भारतीय सेना को शहरी, ग्रामीण व घने जंगलों में लड़ाई के कठिन अभियानों का सामना करना पड़ा।
- ऑपरेशन के दौरान 1000 से अधिक सैनिकों ने बलिदान दिया और हजारों घायल हुए।