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विमान दुर्घटना पर संसदीय रिपोर्ट

चर्चा में क्यों 

हाल ही में रक्षा संबंधी स्थायी संसदीय समिति द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में 13वीं रक्षा योजना अवधि (2017-2022) के दौरान 34 विमान दुर्घटनाएं दर्ज की गईं जिसने पुनः विमानन सुरक्षा संबंधित चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • संसदीय रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-2022 में भारतीय वायुसेना के 34 विमान हादसों में से 50% से अधिक मानवीय भूल के कारण हुए  है। 34 दुर्घटनाओं के कारणों को वर्गीकृत किया गया है:
    • मानवीय त्रुटि (एयरक्रू): 19 घटनाएँ 
    • तकनीकी दोष: 9 घटनाएँ 
  • रिपोर्ट में मानवीय भूल के अलावा दुर्घटनाओं के लिए कई अन्य कारण बताए गए हैं जिसमें बाह्य वस्तु से क्षति (foreign object damage), तकनीकी खराबी और पक्षी का टकराना आदि शामिल हैं। 
    • उदाहरण के लिए, एमआई-17 हेलीकॉप्टर दुर्घटना, जिसमें जनरल रावत और 12 अन्य लोगों की जान चली गई थी, को “मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन” के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, जिसके कारण पायलट को स्थानिक भटकाव और नियंत्रित उड़ान की समस्या हुई थी।

स्थानिक भटकाव(Spatial disorientation) : स्थानिक भटकाव, पायलट की पृथ्वी या अन्य संदर्भ बिंदुओं के संबंध में विमान की स्थिति, ऊंचाई या वायुगति को सही ढंग से समझने में असमर्थता है।

  • दुर्घटना में शामिल विमान: सुखोई -30, एएलएच, मिग-23, किरण, एमआई-17, हॉक, जगुआर, मिग-21, मिग-27, मिग-29, एएन-32 और मिराज। इनमें से सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं(9) मिग-21 विमानों द्वारा हुई हैं। 
  • रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय द्वारा जोखिम कम करने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों औरगिरावट संबंधी रुझानों पर चर्चा की गई है।  
    • परिचालन प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण और रखरखाव प्रथाओं की व्यापक समीक्षा।
    • जांच रिपोर्ट से प्राप्त सिफारिशों का कार्यान्वयन।
  • रिपोर्ट के अनुसार विमानों की लैंडिंग और टेक-ऑफ को सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय वायुसेना के 52 परिचालन वायु सेना बेसों पर रात्रि लैंडिंग की जा सकती है। इसके अलावा  48 हवाई अड्डों पर श्रेणी II प्रकाश प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं।

निष्कर्ष 

विमान दुर्घटनाओं की दर में कमी आना एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, लेकिन मानवीय भूलों और तकनीकी दोषों से जुड़ी बार-बार सामने आने वाली समस्याएं पायलट प्रशिक्षण को बढ़ाने, उचित रखरखाव सुनिश्चित करने और मिग-21 जैसे पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

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