(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 4: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी एवं सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र) |
संदर्भ
13 जुलाई, 2025 को लॉस एंजिल्स में 35 वर्षीय एक सिख व्यक्ति को पुलिस ने गोली मार दी, जब वह शहर के एक चौराहे पर ‘गतका (Gatka)’ नामक पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट का प्रदर्शन कर रहे थे। इस घटना ने पुलिस के बल प्रयोग एवं सांस्कृतिक गलतफहमी पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
मुद्दे के बारे में
- लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग (LAPD) द्वारा जारी बॉडीकैम फुटेज में दिखाया गया है कि एक सिख व्यक्ति दो फुट लंबी तलवार (Sword) लहरा रहा है जिसे पुलिस ने माचेटे (Machete) कहा है किंतु कुछ स्रोतों ने इसे गतका में इस्तेमाल होने वाली खांडा (Khanda) तलवार बताया।
- कथित तौर पर कई इमरजेंसी कॉल्स में दी गई जानकारी और पुलिस की चेतावनी को नज़रअंदाज करने के बाद के अधिकारियों ने गोली चला दी जिसमें व्यक्ति की अस्पताल में मृत्यु हो गई।
नैतिक दृष्टिकोण
- इस घटना को नैतिक दृष्टिकोण (Ethical Perspective) से देखने पर कई सवाल उठते हैं। क्या पुलिस का घातक बल (Lethal Force) का उपयोग उचित था? क्या सांस्कृतिक अज्ञानता (Cultural Ignorance) ने इस त्रासदी को बढ़ावा दिया?
- नैतिकता में किसी भी कार्रवाई का मूल्यांकन उसके इरादे (Intention), परिणाम (Consequence) एवं परिस्थितियों (Circumstances) के आधार पर किया जाता है।
- इस मामले में पुलिस का इरादा सार्वजनिक सुरक्षा (Public Safety) सुनिश्चित करना था किंतु इसका परिणाम एक व्यक्ति की मृत्यु के रूप में सामने आया। यह सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई पूरी तरह से उचित थी।
ऐसी परिस्थितियों में क्रूर बल के उपयोग का मुद्दा
- पुलिस का तर्क है कि सिख व्यक्ति का तलवार लहराना और पुलिस की ओर दौड़ना सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा था।
- नैतिक रूप से पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य समाज की सुरक्षा करना है। यदि कोई व्यक्ति हथियार के साथ आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करता है तो पुलिस को तुरंत निर्णय लेना पड़ता है।
- हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या घातक बल ही एकमात्र विकल्प था, खासकर जब उस व्यक्ति का व्यवहार शुरू में गतका प्रदर्शन जैसा प्रतीत हुआ।
क्या अन्य विकल्पों का उपयोग हो सकता था
- नैतिक दृष्टिकोण से पुलिस को कम घातक विकल्पों (Non-Lethal Options) के रूप में टेजर (Taser), बीनबैग राउंड (Beanbag Rounds) या रबर बुलेट्स (Rubber Bullets) का उपयोग करना चाहिए था। ये उपकरण बिना जान लिए व्यक्ति को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकते थे।
- इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को शामिल करना एक बेहतर रणनीति हो सकती थी क्योंकि कुछ रिपोर्ट्स में सिख व्यक्ति के व्यवहार को अनियंत्रित (Erratic Behavior) बताया गया।
- सांस्कृतिक प्रशिक्षण की कमी भी एक कारक हो सकती है क्योंकि गतका एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शन है, जिसे पुलिस ने गलत समझा।
अमेरिका एवं भारत में कानूनी दृष्टिकोण
- अमेरिका में कानून : अमेरिका में पुलिस को घातक बल का उपयोग तब करने की अनुमति है जब उन्हें लगता है कि उनकी या दूसरों की जान को तत्काल खतरा है। अमेरिका में उच्चतम न्यायालय के केस ‘ग्राहम बनाम कॉनर (Graham v. Connor, 1989)’ के अनुसार, बल का उपयोग ‘उचित’ (Reasonable) होना चाहिए जो स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। इस मामले में पुलिस विभाग ने व्यक्ति के आक्रामक व्यवहार एवं तलवार को खतरे के रूप में देखा।
- भारत में कानून : भारत में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure: CrPC) की धारा 46 पुलिस को बल प्रयोग की अनुमति देती है किंतु घातक बल का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है जब व्यक्ति गंभीर अपराध (Grievous Offense) कर रहा हो या जानलेवा खतरा पैदा कर रहा हो। भारतीय पुलिस को गैर-घातक हथियारों (Non-Lethal Weapons) का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और सांस्कृतिक संवेदनशीलता (Cultural Sensitivity) पर जोर दिया जाता है।
क्या यह नैतिक रूप से उचित है
- नैतिकता के सिद्धांतों, जैसे- अहिंसा (Non-Violence) और मानव जीवन की पवित्रता के आधार पर, घातक बल का उपयोग अंतिम उपाय होना चाहिए। यदि अपराधी व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संकट में था तो उनकी मृत्यु एक दुखद परिणाम है।
- सांस्कृतिक अज्ञानता और गैर-घातक विकल्पों की अनदेखी ने इस घटना को अधिक जटिल बना दिया। नैतिक रूप से पुलिस को ऐसी परिस्थितियों में अधिक धैर्य और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी।
गतका कला के बारे में
- गतका (Gatka) एक पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट है, जो पंजाब से उत्पन्न हुई है।
- यह सिख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों, जैसे- बैसाखी व गुरुपुरब में प्रदर्शित की जाती है।
- इसमें तलवार, खांडा, लाठी एवं ढाल जैसे हथियारों का उपयोग होता है। गतका का उद्देश्य आत्मरक्षा और सिख मूल्यों, जैसे- साहस एवं सम्मान को बढ़ावा देना है। यह एक अनुशासित और नियंत्रित कला है जिसे प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
समाज के लिए चुनौतियाँ
- सांस्कृतिक गलतफहमी : यह घटना सिख संस्कृति और गतका जैसे पारंपरिक प्रदर्शनों के प्रति अज्ञानता को दर्शाती है। इससे अल्पसंख्यक समुदायों में अविश्वास और डर पैदा हो सकता है।
- पुलिस और समुदाय के बीच तनाव : पुलिस द्वारा घातक बल का उपयोग अल्पसंख्यक समुदायों (विशेष रूप से सिख समुदाय) के बीच पुलिस के प्रति अविश्वास को बढ़ा सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य संकट : यदि वह व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, तो यह घटना पुलिस की मानसिक स्वास्थ्य संकटों को संभालने की अपर्याप्त तैयारी को उजागर करती है।
- सामाजिक एकता पर प्रभाव : ऐसी घटनाएँ सामाजिक एकता को कमजोर कर सकती हैं और नस्लीय या धार्मिक आधार पर भेदभाव की भावना को बढ़ा सकती हैं।
भविष्य का दृष्टिकोण
- सांस्कृतिक प्रशिक्षण : पुलिस को सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे गतका जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शनों को समझ सकें और गलतफहमियों से बच सकें।
- गैर-घातक हथियारों का उपयोग : पुलिस को टेजर, रबर बुलेट्स और बीनबैग राउंड जैसे गैर-घातक हथियारों का उपयोग बढ़ाना चाहिए ताकि जानलेवा परिणामों से बचा जा सके।
- मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप : मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को आपातकालीन कॉल्स में शामिल करना चाहिए, खासकर जब व्यवहार अनियंत्रित प्रतीत हो।
- समुदाय के साथ संवाद : पुलिस को अल्पसंख्यक समुदायों के साथ नियमित संवाद और विश्वास-निर्माण कार्यक्रम चलाने चाहिए।
- पारदर्शी जांच : ऐसी घटनाओं की निष्पक्ष एवं पारदर्शी जाँच होनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
निष्कर्ष
यह घटना पुलिस प्रशिक्षण, सांस्कृतिक जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित करती है। नैतिक दृष्टिकोण से मानव जीवन की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। भविष्य में सांस्कृतिक संवेदनशीलता और गैर-घातक उपायों पर ध्यान देकर ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकता है। यह समाज को अधिक समावेशी और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक कदम होगा।